22 फ़रवरी को अमेरिका के कैंसस शहर में एक बंदूकधारी ने श्रीनिवास कुचीवोतला नाम के एक भारतीय इंजीनियर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्या की निंदा कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने भी की। श्रीनिवास की पत्नी सुनयना ने अपने पति के मारे जाने पर और उनसे जुड़ी सुनहरी यादों को लेकर फ़ेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है। उसी पोस्ट का एक अंश-
ब्लॉग के रूप में फ़ेसबुक पर यह मेरी पहली पोस्ट है। मैं बहुत भारी और उदास मन से इन शब्दों को लिख रही हूं। 22 फ़रवरी 2017, बुधवार की रात मेरे लिए डरावनी थी। इस रात मैंने अपना पति खो दिया- मेरा जीवनसाथी, मेरा दोस्त और मेरा आत्मविश्वास था वो। वह मेरी प्रेरणा का स्रोत था। वह न केवल मेरा सहारा था बल्कि उन सबके लिए था जो उसे जानते थे। वह सबके लिए एक मुस्कान रखता था। सबके लिए एक सम्मान रखता था। ख़ासकर बड़ों को लिए उसके मन में इज़्ज़त थी।
हम लोग 2006 अगस्त में ऑनलाइन पोर्टल ऑर्कुट के ज़रिए मिले थे। हम लोगों का आमने-सामने परिचय नहीं हुआ था, तभी एक दूसरे को हमने तत्काल पसंद करना शुरू कर दिया था। वह इतना आकर्षक था कि मैं ख़ुद को रोक नहीं सकी।
मैं अपने घर में सबसे छोटी हूं। मुझसे बड़ी दो बहनें हैं। मैं अपने घर में बिल्कुल बेफ़िक्र तरीके से पली-बढ़ी थी। वह श्रीनिवास ही था जिसने मुझे सपनों का पीछा करने के लिए अमरीका आकर पढ़ने का साहस दिया। जो शख़्सियत मैं आज हूं, वह उसी का बनाया हूं। मैं किसी पर अश्रित नहीं हूं, आत्मनिर्भर हूं और एक मजबूत महिला हूं। मैंने हाल ही में मई, 2016 में काम करना शुरू किया था। मुझे नौकरी तक पहुंचाने में उसने बड़ी भूमिका अदा की थी। वह हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाता था। मैंने चार साल के करियर ब्रेक के बाद काम शुरू किया था। ऐसे में वह मेरी निराशाओं से ख़ुद जूझता था।
एविएशन इंडस्ट्री में उसकी लालसा जबर्दस्त थी। वह इसी के दम पर हमेशा कुछ नया करता था। अमरीका में उसने रॉकवेल कॉलिन्स से करियर की शुरुआत की थी और उसने फ़्लाइट कंट्रोल सिस्टम ख़ासकर प्राइमरी फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर के लिए काम किया। इसके ज़रिए फ़्लाइट के कामों में कई सुधार हो सकते हैं।
उसने इस प्रगति के लिए अपने जीवन को पूरी तरह से समर्पित कर दिया था। वह घर पर डिनर के वक़्त आता था और फिर काम पर निकल जाता था। उसके बाद वह रात में दो या तीन बजे लौटता था। वह रॉकवेल के साथ काफी ख़ुश था। वह आयोवा के छोटे शहर सीडर रैपिड में रहना पसंद करता था। हालांकि उसने मेरी वजह से बड़े शहर में शिफ्ट होने का फ़ैसला किया ताकि मुझे नौकरी मिल सके। वह ख़ुद भी सक्षम था। कैंसस शहर को हमने जल्दबाज़ी में चुना था। यहां कई सपनों के साथ आए थे। हमने एक सपनों का घर बनाया।
अपने घर पर काम करते हुए वह काफी ख़ुश रहता था। यह वही घर है जिसे उसने बनाया। घर हम लोगों के लिए था और हमारा कोई बच्चा होता तो उसके लिए। पारिवारिक जीवन की शुरुआत करने के लिए यह पहला क़दम था। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे सारे सपने ध्वस्त हो गए। ऐसा सब कुछ एक व्यक्ति की उस सोच के कारण हुआ जिसने ऐसा करते वक़्त सोचा तक नहीं कि पीड़ित परिवार पर क्या असर होगा।
जब पुलिस मेरे घर पर आई तो रात का वक़्त था। पुलिस इस ख़बर के साथ आई थी कि एक बंदूकधारी ने मेरे पति की ज़िंदगी ले ली। मुझे पुलिस पर भरोसा नहीं हुआ। यह किसी बुरे स्वप्न की तरह था। मैं लगातार पूछती रही कि क्या यह ख़बर सच है? क्या आप सच कह रहे हैं? जिस आदमी के बारे में आप बात कर रहे हैं क्या आपने उसे देखा था?
क्या आप मुझे उसकी तस्वीर दिखा सकते हैं ताकि मैं उसे पहचान सकूं? जिस आदमी की आप बात कर रहे हैं क्या वह 6 फुट दो इंच लंबा था? पुलिस वाले सहमति में अपना सिर हिला रहे थे। कैंसस में मेरे कोई परिवार वाले नहीं थे। मेरे पति के भाई डलास में रहते हैं। मैंने पुलिस से तत्काल अपने पति के भाई को फ़ोन करने के लिए कहा। जब मैंने उनको फ़ोन किया और इसके बारे में बताया तो उन्हें लगा मैं मज़ाक कर रही हूं।
मेरे दोस्त मेरे साथ थे और उन्होंने मुझे एक सेकंड के लिए भी नहीं छोड़ा। अमेरिका में कई शहरों से मेरे दोस्त आए। वह 9 मार्च को 33 साल का होता। हम दोनों की न्यूजर्सी जाने की योजना थी। वहां उसके भतीजे की सगाई थी। वह बेसब्री से इसका इंतज़ार कर रहा था। हम लोगों ने इसके लिए ख़रीदारी की योजना बनाई थी। चीज़ें इस कदर बदलीं कि मैं उसके शव के साथ भारत की ओर चल पड़ी।
हम लोगों ने 6 साल की दोस्ती के बाद शादी की थी। शादी तक पहुंचना कोई आसान राह नहीं रही। उसने न केवल अपने परिवार वालों को समझाया बल्कि मुझे भी भरोसे में लिया था। उसने मेरे माता-पिता के साथ शादी को लेकर कई बार मुलाक़ात की थी।
आख़िरकार वह समझाने में कामयाब रहा कि उनकी प्यारी बेटी के लिए वह सबसे अच्छा है। उसने सारे सवालों का जवाब चेहरे पर एक मुस्कान लिए दिया था। वह जल्द ही मेरे परिवार का हिस्सा बन गया। वह पसंदीदा दामाद और जीजा बना। लोग इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि वह अब इस दुनिया में नहीं है।
वह छोटी-छोटी चीज़ों में ख़ुशियां तलाश लेता था। वह वक़्त गुजारने के लिए टीवी देखता था। वह बड़े उत्साह के साथ टीवी देखता था। उसका पसंदीदा टीवी शो था- पर्सन ऑफ इंट्रेस्ट और इंडियन आइडल। वह परिवार का आदमी था और घर का बना खाना ही खाना पसंद करता था। हर रात उसके लिए और ख़ुद के लिए लंच पैक करती थी। वह ख़ुद से लंच पैक करना पसंद नहीं करता था।
वह इस काम को नहीं करने के पीछे मज़ाकिया तर्क देता था। वह कहता था, ''यदि मैं अपना लंच ख़ुद पैक करूंगा तो मुझे पता रहेगा कि मैं क्या खाने वाला हूं। लेकिन तुम पैक करोगी तो यह टिफ़िन खोलते वक़्त एक सरप्राइज की तरह होगा। यदि कोई उसे मन से खाना देता तो एक आशीर्वाद देता था- अन्नदाता सुखी भवः। वह लंच के वक़्त अर्नब गोस्वामी के प्रोग्राम को इंजॉय करता था। वह बड़ी बेसब्री से अर्नब का इंतज़ार करता था।
वह बच्चों से काफ़ी प्यार करता था। जल्द ही वह बच्चों का पसंदीदा बन जाता था। हम लोग बच्चे को लेकर सोच रहे थे। आने वाले हफ्तों में वह डॉक्टर के पास जाने वाला था। हमने इसके लिए पैसे बचाना शुरू कर दिया था कि कहीं हमें इन-विट्रो के ज़रिए बच्चा पैदा न करना पड़े। मैं यह सब लिख रही हूँ क्योंकि ये सारे सपने बिखर चुके हैं।
हमारा एक बच्चा होता ताकि उसमें श्रीनिवास को देख पाती और उसे श्रीनु कहती। दुनिया भर में चारों तरफ़ क्या हो रहा है इसे लेकर वह काफी सतर्क रहता था। उसे नरेंद्र मोदी जी और भारत पर बहुत गर्व था। वह इस बात को लेकर आश्वस्त था कि भारत को एक नेता मिल चुका है जो उसे शिखर तक ले जाएगा। यह अवास्तविक लग सकता है लेकिन मैं उसे जानती थी। ऐसा एक दिन भी नहीं होता था जब वह बिना न्यूज़ देखे और बिना कई अख़बारों को पढ़े बिस्तर पर गया हो।
वह विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज को देखकर काफी ख़ुश होता था। वह कहता था कि सुषमा एक बहादुर महिला हैं और वह लोगों की समस्याओं पर तत्काल प्रतिक्रिया देती हैं। उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि उन्हीं मदद पाने वालों में से एक दिन वह ख़ुद भी होगा। मैडम आपकी मदद से श्रीनु काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा होगा। फिर से शुक्रिया मैडम। मैं उम्मीद करती हूं कि आप दोनों से मिलने का मौका मिलेगा।