• Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. बीबीसी हिंदी
  3. बीबीसी समाचार
  4. Chinese media on demonetization or currency
Written By
Last Modified: मंगलवार, 29 नवंबर 2016 (10:25 IST)

चीनी मीडिया के नोटबंदी को 'बोल्ड' बताने का मतलब जानिए

चीनी मीडिया के नोटबंदी को 'बोल्ड' बताने का मतलब जानिए - Chinese media on demonetization or currency
सैबल दासगुप्ता, वरिष्ठ पत्रकार (बीजिंग से)
 
चीन के विशेषज्ञ जो खासकर भारत को देखते हैं, उन्हें ये जानने की दिलचस्पी है कि मोदी का जनाधार क्या उतना ही मजबूत है जितना पहले था। वो जानना चाहते हैं कि क्या मोदी की पकड़ देश पर कमजोर पड़ रही है?
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने हाल में नोटबंदी के मामले पर खबर छापते हुए उसे 'बोल्ड फैसला' बताया था और इस बात पर हैरानी जताई थी कि पश्चिमी लोकतंत्र की तर्ज पर अपनी व्यवस्था चलाने वाला देश ऐसा कैसे कर सकता है।
 
जब चीन आज के भारत को देखता है और जब वह विमुद्रीकरण (नोटों को रद्द करने) को देखता है तो वह जानना चाहता है कि क्या भारत कमजोर पड़ रहा है? इस मुद्दे पर क्या कोई पॉलिटिकल कन्फ्यूजन है? वो भारत की विदेशी नीति और सैन्य नीति की संपूर्ण तस्वीर देख रहे हैं। भारत का पाकिस्तान के साथ कैसा रिश्ता है, उसे भी देख रहे हैं।
 
पहले तो यह समझ लीजिए कि चीन यदि सार्वजनिक रूप से सवाल पूछता है तो यह जरूरी नहीं है कि वह वैसा ही सोचता है। चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स जब कोई सवाल उठाता है तो कई बार उसे नजअंदाज कर दिया जाता है, ये सोचते हुए कि ये सोच विदेश मंत्रालय की नहीं है।
 
यहां तक कि कम्युनिस्ट पार्टी का अखबार होने के बावजूद वह पार्टी की सोच नहीं होती है। ग्लोबल टाइम्स एक ऐसा मीडियम है जिसको स्ट्राइकिंग बोर्ड यानी किसी मुद्दे पर तापमान या प्रतिक्रिया देखने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी इस्तेमाल करती है।
 
दरअसल, वो किसी बात को हवा में छोड़कर देखते हैं कि वह कितनी देर तक टिकती है।
 
जहां तक नोटबंदी की बात है तो इस कन्फ्यूजन में भारत की छवि कुछ धुंधली पड़ रही है। चीन में विशषज्ञ मान रहे हैं कि भारत की मिलिटरी स्ट्रैटिजी पर भी असर हो सकता है क्योंकि इकोनॉमी का मिलिटरी स्ट्रैटिजी से सीधा ताल्लुक है।
 
ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में बड़ी बात है कि भारत में वेस्टर्न स्टाइल डेमोक्रैटिक सिस्टम है इतना बोल्ड मूव कैसे सह सकता है। वेस्टर्न स्टाइल पॉलिटिकल सिस्टम में नेता को अपनी लोकप्रियता बनाए रखनी पड़ती है।
 
अखबार का यह भी कहना है कि चीन में इस तरह की परेशानी नहीं होती है क्योंकि लोग जो चाहते हैं वह कम्युनिस्ट पार्टी करती है। अखबार के मुताबिक मोदी ने बहुत बड़ा जुआ खेला है और अभी देखना बाकी है कि जुए का फायदा किसे मिलता है।
 
चीन में टैक्स कम है। वहां अधिकतम 22 फीसदी टैक्स है, जबकि भारत में 33 फीसदी है। चीन में बहूत छूट दी जाती है। भारत में भी किसानों को छूट मिलती है। चीन में इन्होंने आसान तरीका यह किया है कि हर जगह जहां बिल बनता है, उसी में करदाता का नाम लिखा जाता है।
 
कागजी काम इतना होता है कि कोई टैक्स बचा नहीं पाता। टैक्स भरने के लिए सरकार कई तरह के इन्सेंटिव के जरिए प्रोत्साहित भी करती है।
ये भी पढ़ें
लुट पिटे रोहिंग्याओं को वापस भेजा जाएगा