- लारा ओवेन और यूनयंग ली
हिंदुस्तानी समाज में महिलाओं के सिर पर पल्लू और सीने को आंचल से छुपा कर रखना उनकी शराफ़त माना जाता है। बच्चियों की उम्र बढ़ने के साथ ही उन्हें अहसास कराया जाने लगता है कि वो लड़की हैं, उनमें सेक्शुअल अपील है। मर्दों की नज़रों से बचने के लिए लड़कियों को अपना शरीर ढंककर रखना चाहिए। महिलाओं के संदर्भ में लगभग सारी दुनिया में कमोबेश यही सूरतेहाल है। सभी समाज पुरुष प्रधान हैं, लिहाज़ा उन्होंने महिला विरोधी क़ानून ही बनाए। यहां तक कि मर्दों ने ये भी तय कर दिया कि औरतें क्या लिबास पहनें। लेकिन अब औरतें अपनी आज़ादी के लिए आवाज़ उठा रही हैं।
इस कड़ी में एक नई मुहिम छिड़ी है, नो ब्रा मूवमेंट। दक्षिण कोरिया में इन दिनों हैशटैग #NoBra नाम की मुहिम सोशल मीडिया पर ख़ूब सुर्खियां बटोर रही है। महिलाएं बिना ब्रा के कपड़े पहनकर अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं। इस मुहिम की शुरुआत आख़िर क्यों और कहां से हुई? बता रही हैं बीबीसी की लारा ओवेन और यूनयंग ली। दक्षिण कोरिया की महिलाएं इन दिनों अपनी ऐसी तस्वीरें ऑनलाइन शेयर कर रही हैं, जिसमें उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी होती है।
#NoBra हैशटैग बहुत बड़ा सोशल मीडिया अभियान बन गया है। इसकी शुरुआत, दक्षिण कोरिया की गायिका और अभिनेत्री सुली के अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर बग़ैर ब्रा वाली तस्वीर शेयर करने से हुई। इंस्टाग्राम पर उनके लाखों फ़ॉलोअर हैं। लिहाज़ा देखते ही देखते ये तस्वीर वायरल हो गई। और सुली दक्षिण कोरिया में ब्रा मुक्त अभियान की प्रतीक बन गईं। इस अभियान के ज़रिए दक्षिण कोरिया की महिलाएं ये संदेश देने में जुटी हैं कि ब्रा पहनना या न पहनना निजी आज़ादी का मसला है।
ब्रा मुक्त मुहिम
इस मसले पर बहुत से लोग सुली की हिमायत में आए तो बहुतों ने आलोचना की। इसमें मर्द और औरतें दोनों शामिल थे। कुछ ने इसे सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का हथकंडा बताया, तो कुछ ने महिलाओं के नाम पर तवज्जो हासिल करने का तरीक़ा। कुछ लोगों ने बड़ी सख़्ती से कहा कि सुली, महिलाओं के आंदोलन को अपनी शोहरत बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। मिसाल के लिए एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा- मैं समझती हूं कि ब्रा पहनना या नहीं पहनना निजी मामला है। लेकिन वो हमेशा इतनी टाइट और फिट शर्ट में बिना ब्रा के फोटो खिंचाती हैं जिसमें उनके स्तन बिलकुल तने हुए नज़र आते हैं। मुझे लगता है उन्हें ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है।
इसी तरह एक अन्य पोस्ट में लिखा है- ब्रा पहनने या नहीं पहनने के लिए हम तुम्हें इल्ज़ाम नहीं धरते। हम तुम्हें बता रहे हैं कि तुम्हें अपने निपल छिपाने चाहिए। औरों ने तो सुली को निशाना बनाते हुए ये भी लिखा कि, तुम्हें शर्म आनी चाहिए। क्या तुम इस हालत में चर्च में जा सकती हो? क्या तुम अपनी बहन के पति से या अपने सास-ससुर से इस हालत में मिल सकती हो? सिर्फ़ मर्द ही नहीं, औरतें भी अहसज महसूस करती हैं। हाल ही में एक और हाई प्रोफ़ाइल सिंगर ह्वासा ने अपनी बिना ब्रा वाली फ़ोटो से इस मुहिम की मशाल को और भड़का दिया है।
चुनने की आज़ादी
हाल ही में हांगकांग से लौटते हुए सुली ने बिना ब्रा के सफ़ेद टी-शर्ट पहनी हुई थी। उनकी ये तस्वीरें वायरल हो गईं। अभी तक ये एक महिला की पसंद-नापसंद का मुद्दा था। लेकिन इन तस्वीरों के बाद ये दक्षिण कोरिया की आम महिलओं के लिए भी एक मुहिम बन गई है। अब ये कुछ मुट्ठीभर महिलाओं के चुनने की आज़ादी का मसला नहीं रह गया है। साल 2018 में दक्षिण कोरिया में एस्केप द कॉर्सेट मुहिम भी ज़ोरों पर थी जिसके तहत महिलाओं ने अपने बाल मुंडवा कर बिना मेकअप वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थीं।
ये एक तरह से महिलाओं की बग़ावत की आवाज़ थी। एस्केप द कॉर्सेट नारा बाक़ायदा गूंजने लगा था। ये नारा महिलाओं की ख़ूबसूरती के उन पैमानों के ख़िलाफ़ था जिन्हें दक्षिण कोरिया के समाज ने महिलाओं के लिए तय किया था। बहुत सी महिलाओं ने बात करते हुए बताया कि नो ब्रा मुहिम और एस्केप द कॉर्सेट मुहिम में गहरा रिश्ता है। सोशल मीडिया ने इन दोनों ही मुहिम को आग की तरह फैलाने में मदद की है। इसमें एक नए तरह के सामाजिक आंदोलन का संकेत मिलता है।
घूरकर देखना
महिलाओं को उनकी मर्ज़ी के बग़ैर घूरकर देखना उनकी आज़ादी के ख़िलाफ़ है। लेकिन बदक़िस्मती से ज़्यादातर देशों में मर्दों को ये आदत होती है। दक्षिण कोरिया में महिलाएं आजकल इसी के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद कर रही हैं। वो समाज में मर्दों के दबदबे, यौन हिंसा और छिपकर महिलाओं को देखने के खिलाफ़ मुहिम चला रही हैं। दक्षिण कोरिया में बहुत से सार्वजनिक ठिकानों जैसे होटल के कमरों, बाथरूम और टॉइलेट में कैमरा छुपाकर लगा दिया जाता है, ताकि महिलाओं के निजी पलों को कैमरे में क़ैद करके देखा जा सके। मर्द छुपकर उन्हें घूरते रहते हैं जबकि ये महिलाओं की निजी आज़ादी का हनन है।
दक्षिण कोरिया में महिलाएं इसी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रही हैं। साल 2018 में इसके लिए दक्षिण कोरिया में अब तक का सबसे बड़ा महिला अभियान चला था। जब दसियों हज़ार महिलाएं सड़कों पर उतरी थीं और ख़ुफ़िया कैमरों पर पाबंदी लगाने की मांग की थी। बहुत सी महिलाओं का कहना है कि वो ब्रा के बग़ैर रहने की मुहिम के समर्थन में तो हैं। लेकिन मर्दों की घूरने की आदत के सबब वो बिना ब्रा पहने सार्वजनिक स्थानों पर जाने का साहस नहीं जुटा पा रही हैं। इसके लिए वो दक्षिण कोरिया के पुरुषों की लगातार घूरने की आदत को ज़िम्मेदार बताती हैं, जिसे दक्षिण कोरिया में गेज़ रेप यानी घूरकर महिलाओं का बलात्कार करना कहा जाता है।
28 साल की ज्योंग स्योंग युन उन 2014 में बनी डॉक्यूमेंट्री नो ब्रॉबलम की प्रोडक्शन टीम का हिस्सा थीं। उन्होंने ये प्रोजेक्ट अपने कॉलेज के साथियों के साथ शुरू किया था। ये डॉक्यूमेंट्री बिना ब्रा के रहने वाली महिलाओं के अनुभवों पर आधारित थी। ज्योंग स्योंग उन का कहना है कि उन्होंने कॉलेज में एक प्रोजेक्ट के तहत लड़कियों से सवाल पूछना शुरू किया था कि आख़िर हम ये क्यों सोचते हैं कि ब्रा पहनना एक सामान्य और वाजिब ज़रूरत है। उनका कहना है कि उन्हें ख़ुशी है कि अब महिलाएं इस मुद्दे पर आम लोगों के बीच खुलकर बात कर रही हैं।
साथ ही वो ये भी मानती हैं कि अभी भी बहुत सी ऐसी महिलाएं हैं जो शर्ट से निपल नज़र आने पर शर्मिंदगी महसूस करती हैं। ज्योंग स्योंग का कहना है, अभी भी दक्षिण कोरिया में ऐसी महिलाएं हैं जो ब्रा पहनना जीवन के अन्य कामों की तरह ज़रूरी समझती हैं। और सिर्फ़ इसीलिए ब्रा पहनती हैं। 24 वर्षीय दक्षिण कोरियाई मॉडल पार्क आई-स्योल बॉडी पॉज़िटिविटी मुहिम से जुड़ी हैं। पिछले साल उन्होंने सिओल में तीन दिन तक बिना ब्रा पहने रहने के अनुभव पर डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। इसके लिए उन्होंने तीन दिन तक शूटिंग की थी। सोशल मीडिया पर आते ही ये वीडियो हिट हो गया। इसे 26 हज़ार व्यूज़ मिले। इनका कहना है कि इनकी बहुत सी फ़ॉलोवर ने पैडेड ब्रा पहनना छोड़कर, अब वायरलेस सॉफ़्ट कप ब्रा पहनना शुरू कर दिया है। वो कहती हैं मुझे ये ग़लतफ़हमी थी कि अगर मैंने बिना वायर वाली ब्रा पहनी तो स्तन लटक जाएंगे और बहुत भद्दे लगेंगे। लेकिन जब उन्होंने बिना ब्रा पहने ख़ुद का वीडियो बनाया, तो उनकी ग़लतफ़हमी दूर हो गई। अब वो गर्मी में बिना वायर वाली ब्रा पहनती हैं और सर्दी में तो पहनती ही नहीं। ये मुहिम सिर्फ़ राजधानी सिओल तक ही सीमित नहीं है। इसने 22 बरस की डिज़ाइनर और छात्रा नाहयून ली को भी प्रेरित किया है। नाहयून ने एक पॉप-अप ब्रांड यिप्पी शुरू किया। कीमयुंग यूनिवर्सिटी में ये उनका मास्टर प्रॉजेक्ट था। इसी साल मई महीने से उन्होंने निपल पैच बेचने शुरू कर दिए हैं। और इसके साथ नारा दिया है अगर आपने ब्रा नहीं पहनी है तो कोई बात नहीं। जियोलानम-डू प्रांत की 28 वर्षीय डा-केयुंग का कहना है कि वो अदाकारा और गायिका सुली की बिना ब्रा वाली तस्वीरों से बहुत प्रेरित हैं। अब वो उतनी ही देर ब्रा पहनती हैं जितनी देर अपने बॉस के आस-पास रहती हैं। लेकिन जब अपने बॉयफ़्रेंड के साथ होती हैं, तो ब्रा नहीं पहनतीं। वो कहती हैं, मेरा बॉयफ्रेंड भी कहता है कि अगर मुझे ब्रा के साथ ठीक नहीं लगता, तो मुझे नहीं पहनना चाहिए। इन सभी का एक ही संदेश है कि ब्रा पहनने या नहीं पहनने का फ़ैसला निजी है।
लेकिन ब्रा नहीं पहनने पर रिसर्च क्या कहता है?
ऑस्ट्रेलिया की वोलोनगोंग यूनिवर्सिटी की डॉक्टर डेड्रे मैक्घी का कहना है कि महिलाओं को इस बात का पूरा अधिकार है कि वो ये तय करें कि ब्रा पहननी है या नहीं। लेकिन अगर आप के स्तन भारी हैं, तो उन्हें सहारे की ज़रूरत होती है। ऐसा न होने पर आप के शरीर की बनावट अजीब हो जाती है। इसका असर गर्दन और पीठ पर भी पड़ता है। डॉक्टर डेड्रे मैक्घी का कहना है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर के ढांचे पर भी असर पड़ता है। त्वचा ढीली पड़ जाती है तो स्तन को प्राकृतिक रूप से मिलने वाला सहारा भी कमज़ोर पड़ जाता है।
डॉक्टर मैक्घी कहती हैं, जब महिलाएं ब्रेस्ट को कोई सहारा दिए बग़ैर एक्सरसाइज़ करती हैं, तो इससे उनके स्तनों में दर्द बढ़ जाता है। वहीं स्पोर्ट्स ब्रा ब्रेस्ट के साथ-साथ कमर और गर्दन के दर्द को रोकने में मददगार होती है। डॉ. मैक्घी के मुताबिक़, स्तन औरत की सेक्शुअल पहचान हैं। रिसर्च से पता चला है कि जिन औरतों के स्तन किसी वजह से (जैसे ब्रेस्ट कैंसर की) से हटा दिए जाते हैं, वो भी अपनी छाती के हिस्से की हिफ़ाज़त करती हैं। इसी तरह जो महिलाएं इस बात के लिए चिंतित रहती हैं कि उनके ब्रेस्ट कैसे लग रहे हैं, अगर वो बिना ब्रा के रहती हैं तो उन्हें मुश्किल हो सकती है।
डॉक्टर मैक्घी कहती हैं जिन महिलाओं की मैस्टेक्टॉमी की सर्जरी हो जाती है, मैं उन्हें भी आत्मविश्वास बढ़ाने और सही पोस्चर रखने के लिए ब्रा पहनने की सलाह देती हूं। डॉक्टर जेनी बरबेज यूनिवर्सिटी ऑफ़ पोर्ट्समाउथ में बायोमेकैनिक्स की सीनियर लेक्चरर हैं। उनका मानना है कि ब्रा पहनने के बाद दर्द या बेचैनी महसूस करने का संबंध ख़राब फिटिंग वाली ब्रा पहनने से है।
डॉक्टर जेनी के मुताबिक़, उनके रिसर्च में अब तक ये बात कहीं भी सामने नहीं आई है कि ब्रा पहनने का ताल्लुक़ ब्रेस्ट कैंसर से है। ऐसा पहली बार नहीं है कि महिलाओं ने ब्रा के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ी हो। 1968 में मिस अमरीका ब्यूटी कॉन्टेस्ट के दौरान महिलावादियों ने ब्रा जलाकर अपना विरोध जताया था। प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने जो सामान कूड़ेदान में फेंका था, उसमें ब्रा भी शामिल थी। वो इसे महिलाओं के शोषण का प्रतीक मानती थीं। हालांकि उन्होंने ब्रा को कभी जलाया नहीं था, लेकिन इस प्रदर्शन के बाद से ब्रा का जलाया जाना औरतों की आज़ादी से जुड़ी हर मुहिम का हिस्सा बन गया।
इसी साल जून महीने में स्विट्ज़रलैंड में हज़ारों महिलाओं ने मुनासिब पगार, बराबरी और यौन उत्पीड़न ख़त्म करने की मांग के लिए सड़क पर जाम लगा दिया और अपनी ब्रा जला डालीं। ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 13 अक्टूबर को दुनिया भर में नो ब्रा डे के तौर पर मनाया जाने लगा। लेकिन पिछले साल फ़िलिपींस की महिलाओं ने इस दिन को लैंगिक समानता का अधिकार मांगने के दिन के तौर पर मनाना शुरू कर दिया।
पत्रकार वनीसा अल्मेडा कहती हैं कि नो ब्रा डे हमें फ़ख़्र महसूस कराता है और ब्रा इस बात का प्रतीक है कि महिलाओं को किस तरह बंधनों में बांध कर रखा गया है। हाल के कुछ वर्षों में ऐसे अभियान चलाने वाले इस मुहिम को और दो क़दम आगे ले गए हैं। वो मर्द और औरत के निपल को लेकर समाज के दोहरे पैमाने को उजागर करते हैं। दिसंबर 2014 में नेटफ़्लिक्स पर फ़्री द निपल नाम की एक डॉक्यूमेंट्री आई थी। इसमें न्यूयॉर्क शहर में महिलाओं के स्तन पर सेंसरशिप लगाने और अपराधीकरण के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वाली महिलाओं के एक समूह की कहानी है। यहीं से फ़्री द निपल मुहिम अंतरराष्ट्रीय अभियान बन गई।
दक्षिण कोरिया में चलने वाली हालिया नो ब्रा मुहिम इस बात की मिसाल है कि किस तरह दुनिया भर में महिलाओं पर तमाम तरह की पाबंदियां लगाई जाती हैं। इसमें शामिल महिलाओं को जिस तरह विरोध का सामना करना पड़ा उससे पता चलता है कि दक्षिण कोरिया का समाज सांस्कृतिक रूप से महिलाओं की आज़ादी का कितना बड़ा विरोधी है। लेकिन दक्षिण कोरिया की बहुत सी महिलाओं के लिए ये आज़ादी और निजता का मामला बन चुका है। इस आंदोलन को जिस तरह समर्थन मिल रहा है, उससे लगता है कि दक्षिण कोरिया की बहुत सी महिलाओं के लिए तब तक इस हैशटैग #NoBra की अहमियत बनी रहेगी, जब तक बिना ब्रा पहने रहना एक आम बात नहीं हो जाती और जब तक दक्षिण कोरियाई समाज महिलाओं की पसंद-नापसंद के इस चुनाव के अधिकार को स्वीकार नहीं कर लेता।