शनिवार, 12 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. बैसाखी
  4. Difference between Lohri and Baisakhi in hindi
Written By WD Feature Desk
Last Modified: शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025 (18:53 IST)

लोहड़ी और बैसाखी में क्या है अंतर?

Difference between Lohri and Baisakhi
difference between lohri and baisakhi in hindi: भारत विविधताओं का देश है, और यहां हर त्योहार किसी न किसी सांस्कृतिक, धार्मिक या मौसमी बदलाव से जुड़ा होता है। पंजाब की धरती पर ऐसे ही दो प्रमुख त्यौहार मनाए जाते हैं – लोहड़ी और बैसाखी। दोनों पर्व न सिर्फ पारंपरिक हैं, बल्कि कृषि आधारित संस्कृति की आत्मा को दर्शाते हैं। हालांकि ये दोनों पर्व दिखने में समान लग सकते हैं, पर इनमें कई बुनियादी अंतर हैं जो इन्हें विशेष बनाते हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि लोहड़ी और बैसाखी के बीच क्या फर्क है – इतिहास, महत्व, मनाने का तरीका, समय, और सांस्कृतिक महत्व के आधार पर।
 
1. त्योहार की तिथि और मौसम का संबंध: लोहड़ी हर साल 13 जनवरी को मनाई जाती है। यह मकर संक्रांति से एक दिन पहले आती है और सर्दियों के अंत और बसंत के आगमन का संकेत देती है। इस दिन दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं, और अग्नि को प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का माध्यम माना जाता है।
 
बैसाखी हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है। यह रबी की फसल के कटाई के साथ जुड़ा हुआ पर्व है। यह गर्मियों की शुरुआत और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है। यह सिख नववर्ष का भी प्रारंभ होता है।
 
2. धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व: लोहड़ी का सीधा धार्मिक संबंध नहीं है, लेकिन यह पंजाब की लोक परंपराओं और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ पर्व है। इसे विशेष रूप से दुल्ला भट्टी की बहादुरी की कहानी से जोड़ा जाता है। यह दिन नये विवाहित जोड़ों और नवजात शिशुओं के लिए भी शुभ माना जाता है।
 
बैसाखी का धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। जानकारी अनुसार, 1699 में इसी दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसलिए यह दिन सिख धर्म के अनुयायियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। साथ ही यह सिंचाई और कृषि महोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
 
3. अनुष्ठान और परंपराएं: लोहड़ी पर लोग लोहड़ी की आग जलाते हैं, उसमें मूंगफली, तिल, रेवड़ी, गुड़ डालकर अग्नि देवता को अर्पित करते हैं। लोग गिद्दा और भांगड़ा करते हुए गीत गाते हैं। यह उत्सव सामूहिक रूप से रात को खुली जगहों पर मनाया जाता है।
 
बैसाखी पर लोग सुबह गुरुद्वारों में जाते हैं, शब्द कीर्तन सुनते हैं और लंगर का आयोजन करते हैं। बैसाखी मेलों का आयोजन होता है, जहां पारंपरिक पहनावे में लोग भांगड़ा-गिद्धा करते हैं। नदी या सरोवर में स्नान कर पुण्य प्राप्त करने की परंपरा भी है।
 
4. कृषि से संबंध: लोहड़ी को सर्दियों की फसल (रबी) के पकने की खुशी में मनाया जाता है। यह किसान समुदाय के लिए एक उम्मीद का प्रतीक होती है – कि आने वाली फसल अच्छी होगी।
 
बैसाखी पर किसान अपनी मेहनत की फसल को काटकर घर लाते हैं, और ईश्वर का धन्यवाद करते हैं। यह असली फसल उत्सव होता है, जिसमें समृद्धि और परिश्रम की सफलता का जश्न मनाया जाता है।
 
5. भोजन और प्रसाद: लोहड़ी पर गुड़, तिल, मूंगफली और रेवड़ी खासतौर पर खाई जाती है। लोहड़ी का भोजन गर्म तासीर वाला होता है, जो ठंड में शरीर को हीट देता है।
 
बैसाखी पर पंजाबी व्यंजन जैसे सादा घी वाला खाना, मक्की की रोटी, सरसों का साग, लस्सी और खीर इत्यादि परोसे जाते हैं। यह एक पारंपरिक ग्रामीण भोज की तरह होता है। 


अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 
ये भी पढ़ें
हनुमान जयंती पर पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और मंत्र सहित विधि