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Corona time period : योग व आयुर्वेद के ये 6 नुस्खे आजमाकर बढ़ाएं इम्युनिटी और बने रहें सेहतमंद

Ayurvedic Tips For Immunity| योग व आयुर्वेद के ये 6 नुस्खे आजमाकर बढ़ाएं इम्युनिटी और बने रहें सेहतमंद
कोरोना वायरस के काल में इम्युनिटी पावर कैसे बढ़ाएं यह सभी जानना चाहते हैं साथ ही आप सेहतमंद कैसे बने रहे हैं यह भी जरूरी है। परंतु यह बात समझना जरूरी है कि भोजन से ही रोग उत्पन्न होते हैं और उसी से समाप्त। मतलब यह कि भोजन ही आपकी इम्युनिटी बढ़ाने मददगार होते हैं और वही इसके कमजोर करते हैं। इसीलिए हम लाएं हैं आयुर्वेद की ऐसी 6 बातें जो जानना जरूरी है। यदि आप यह नहीं करते हैं तो भले ही विटामिन सी लेते रहें या ड्रॉयफूट खाते रहें उससे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है।
 
 
1.आयुर्वेद के अनुसार भोजन का पचना जरूरी है। समय पर पच गया तो समझो की इम्यून सिस्टम भी सही होने लगेगा। तो आंतों को पचाने में ज्यादा मेहनत ना करना पड़े इसलिए दांतों का भरपूर उपयोग करें। एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाएं फिर ही निगलें। यह भी कर सकते हैं कि छोटे छोटे ग्रास लें और उसे तब तक चबाएं जब तक की वह मीठा ना लगने लगे। 32 दांत होते हैं इसलिए कम से कम 32 बार। 32 बार चबाने से भोजन पूरी तरह से टूट कर saliva में घुल जाता है जो आसानी से पच जाता है।
 
 
2.आयुर्वेद कहता है कि यदि भोजन के डेढ़ घंटे बाद आप पानी पीएंगे तो हमेशा निरोगी बने रहेंगे। भोजन के दौरान या उसके तुरंत बाद पानी पीने के कई नुकसान होते हैं। अत: उचित मात्रा में और उचित समय पर पानी पीना चाहिए। उचित अर्थात सम्यक। पानी का काम भोजन को पचाना होता है। यदि आपने कम पानी पीया है तो यह उचित नहीं है और ज्यादा पीया है तो भी उचित नहीं है सम्यक अर्थात ठीक ठीक मात्रा में पानी पीएं। आपके शरीर को जब प्यास लगे तभी पानी पीएं और उतना ही पीएं जितनी की प्यास है। यदि आपके शरीर के तापमान के अनुसार आप 4 डिग्री कम या ज्यादा पानी पीते हैं तो यह एक आदर्श स्थिति है। पानी घुंट घुंट पीएं। एक साथ बहुत ज्यादा पानी नहीं पीएं।
 
 
3. आयुर्वेद कहता है कि सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कड़वा खाना चाहिए, नहीं तो एक जैसे ही भोजन करें। सबसे पहले रसदार, बीच में गरिष्ठ, अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करें। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि खाने के पहले तीखा इसलिए खाते हैं क्योंकि इससे आपका पाचन तंत्र सक्रिय हो जाए। आयुर्वेद के अनुसार शुरुआत में तीखा भोजन करने के बाद पेट में पाचन तत्व तथा अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। जिससे पाचन तंत्र तेज जाता है। मीठी चीजों में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो पाचन प्रक्रिया को धीमी कर देता है इसलिए खाना खाने के बाद मीठा खाने से पाचन प्रक्रिया दुरुस्त रहती है। भोजन के बाद इसीलि कहते भी हैं कि अब कुछ मीठा हो जाए। यह मीठा पानी की प्यास बुझा देता है।

आयुर्वेद के अनुसार खाने के बाद मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है जिससे पेट में जलन या एसिडिटी नहीं होती है। मीठे में आपको सफेद शक्कर नहीं खाना चाहिए यह नुकसानदायक है। इससे तैयार चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इससे मोटापे और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा हो सकता है। इसके बजाय आपको आर्गेनिक गुड़ खाना चाहिए या इससे बनी चीजों का ही सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो ब्राउन शुगर या नारियल की शुगर का उपयोग कर सकते हैं।
 
 
4. थोड़ा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुंदर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है। अर्थात भोजन भरपेट ना खाएं कम से कम एक रोटी की भूख बाकी रखें। ज्यादा भोजन करने के नुकसान भी है। भोजन चिड़ियों की तरह करें। भोजन के पश्चात दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। भोजन के एक घंटे पश्चात मीठा दूध एवं फल खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। 
 
5. भोजन के मेल को समझे, जैसे दूध के साथ नमक, दही, छाछ, खट्टी चीजें, इमली, खरबूज, गुढ़, नाररियल, मूली या उसके पत्ते, तुरई, बेल, कुलथी, बैंगन, कटहल, घट्टेफल और सत्तू हानिकारक होते हैं। चावल के साथ सिरका हानिप्रद होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि पालक के साथ पनीर और दूध के साथ चाय लेना भी हानिकारक होता है। इसी तरह कई तरह के बेमेल भोजन हम करते रहते हैं जिससे अनजाने में ही नुकसान होता रहता है और हमारा इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। इसलिए एक बार आप बेमेल भोजन के बारे में अच्छे से जान लीजिये।
 
 
6. जिस तरह पानी का कार्य भोजन को पचाना और वजन को घटाना होता है उसी तरह वायु का काम भी भोजन को पचाकर बाहर निकालना होता है। यदि आप उचित रूप से श्‍वास लेकर बाहर छोड़ नहीं रहे हैं तो भोजन को पचने में देर लगेगी। यदि आप उचित रूप से श्वास नहीं ले पा रहे हैं तो प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम विलोम करने से भोजन जल्दी से पचता है।