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Last Updated : मंगलवार, 9 फ़रवरी 2021 (00:29 IST)

Vehicle scrapping policy : जानिए क्या है स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति, क्या नहीं रख पाएंगे पुरानी गाड़ियां

Vehicle scrapping policy : जानिए क्या है स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति, क्या नहीं रख पाएंगे पुरानी गाड़ियां - Benefits on buying new vehicles on scrapping of old; taxes, levies for polluting cars
मोदी सरकार ने बजट 2021-22 में स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति का ऐलान किया है। इस नीति में स्वैच्छिक वाहन कबाड़ नीति के तहत व्यक्तिगत या निजी वाहनों का 20 वर्ष में और कर्मिशियल गाड़ियों को 15 साल में ‘फिटनेस टेस्ट’ होगा। सरकार का कहना है कि इस नीति से प्रदूषण में कमी के साथ ही ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी बूस्ट मिलेगा। सड़क यातायात मंत्रालय की तरफ से अगले दो हफ्तों में स्क्रैपिंग पॉलिसी की घोषणा की जाएगी। 
 
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि नई नीति के में नया वाहन खरीदते समय अपने पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को ‘कबाड़’ (स्क्रैप) करने का विकल्प चुनने वाले खरीदारों को कई लाभ दिए जाएंगे। राजमार्ग मंत्री के मुताबिक इससे आने वाले वर्षों में भारतीय वाहन उद्योग का कारोबार 30 प्रतिशत बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए पर पहुंचा जाएगा। 
 
पुरानी गाड़ी रखना पड़ेगा महंगा : सरकार जल्द ही इस नीति का पूरा विवरण जारी करेगी। गडकरी ने कहा कि इसमें हरित कर और अन्य शुल्कों का प्रावधान है। ऐसे वाहनों को कड़े ऑटोमेटेड फिटनेस परीक्षण से भी गुजरना होगा। इससे कोई भ्रष्टाचार या आंकड़ों की गड़बड़ी नहीं हो सकेगी।  नई व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी लागू होने के बाद 15 साल से पुरानी गाड़ियां रखना बहुत ही महंगा पड़ेगा। 
 
इसका कारण है कि फिटनेस सर्टिफिकेट लेने की कीमत 62 गुना से भी अधिक हो जाएगी और प्राइवेट व्हीकल के रजिस्ट्रेशन को रीन्यू कराने की लागत भी करीब 8 गुना अधिक हो जाएगी। राज्यों को रोड टैक्स के अलावा ग्रीन टैक्स लगाने का भी अधिकार होगा। ये सभी टैक्स गाड़ी मालिक को ही भरना होंगे। 
 
अनुमान है कि 15 साल से पुरानी कमर्शियल गाड़ियों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट फीस मौजूदा की 200 रुपए से बढ़कर 7500 रुपए कैब के लिए हो जाएगी और ट्रक के लिए 12,500 रुपए हो जाएगी। 15 साल से पुरानी प्राइवेट गाड़ियों के लिए भी चार्जेज बढ़ जाएंगे।

दोपहिया वाहन का रजिस्ट्रेशन चार्ज मौजूदा 300 से 1000 रुपए हो जाएगा और कारों के लिए यह चार्ज 600 रुपए से बढ़कर 5000 रुपए हो जाएगा। राज्यों की तरफ से रोड टैक्स के अलावा गाड़ी पर करीब 5 साल के लिए ग्रीन टैक्स भी लगा दिया जाएगा। हर प्राइवेट गाड़ी का 15 साल के बाद रजिस्ट्रेशन रीन्यू कराना होगा और उसके बाद यही प्रक्रिया हर 5 साल के बाद होगी।