कुंडली में शुक्र शुभ हो तो सुंदर होते हैं लोग...
शुक्र ग्रह दक्षिण-पूर्व दिशा का स्वामी, स्त्री जाति, श्याम, गौर वर्ण का है। अत: इसके भाव से जातक का रंग गेंहुआ होता है। इस ग्रह का अधिकार मनुष्य के चेहरे पर होता है। यह ग्रह सौरमंडल का सबसे दैदीप्यमान ग्रह है। इसका वर्षमान हमारे 225 दिनों के समान है। 22 मील प्रति सेकंड की गति से सूर्य की प्रदक्षिणा करता है।
लग्न से छठे स्थान पर निष्फल व सातवें स्थान पर अशुभ होता है। मदन पीड़ा, गान, वाहन आदि का कारक होता है।
जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह से सगाई, विवाह, संबंध विच्छेद, तलाक, विलास, प्रेम सुख, संगीत, चित्रकला, कोषाध्यक्ष, मानाध्यक्ष, विदेश गमन, स्नेह तथा मधुमेह प्रमेह आदि रोगों का अध्ययन होता है।
मिथुन, कन्या, मकर और कुंभ लग्नों में यह योगकारक होता है।
आश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती, कृतिका व स्वाति और आर्द्रा नक्षत्रों में रहकर शुभ फल देता है तथा भरणी, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा नक्षत्रों में स्थित होकर शुभ फल प्रदान करता है। शेष पंद्रह नक्षत्रों में सम फल देता है।
शुक्र ग्रह के गुरु, सूर्य, चंद्र मित्र, बुध, शनि सम तथा मंगल शत्रु होते हैं। यह ग्रह एक राशि पर डेढ़ माह रहता है। यह वृष तथा तुला राशि का स्वामी है तथा तुला राशि पर विशेष बली रहता है।
जिन स्त्रियों की आंखें बड़ी हो, रंग निखरा हो भले ही सांवला हो, गाल सुकोमल हो, होंठ लाल हो, बाल घने हो, कान गुलाबी हो, गर्दन सुराहीदार हो, होंठों पर तिल या मस्सा हो, नाक तीखी, स्तन सुडौल हो, कमर पतली और त्वचा चमकदार हो तो निश्चित जानिए कि उसका शुक्र कुंडली में प्रभावी है लेकिन अगर शुक्र ज्यादा असरकारी हो तो स्त्री का चरित्र दूषित भी कर सकता है।
उसी तरह जिन पुरुषों को सुगंध से प्रेम हो, विपरीत लिंग के प्रति प्रबल आकर्षण हो, रंग साफ हो, घने बाल हो और आंखें तरल हो उनका भी शुक्र प्रभावी होता है लेकिन अत्यधिक उच्च की अवस्था में पुरुष के कई स्त्रियों से संबंध हो सकते हैं।