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पुष्य नक्षत्र क्यों है सारे नक्षत्रों से अलग? जानिए महिमा और सरल उपाय

पुष्य नक्षत्र क्यों है सारे नक्षत्रों से अलग? जानिए महिमा और सरल उपाय - pushya nakshatra information
pushya nakshatra
 
पुष्य नक्षत्र (pushya nakshatra) को सभी नक्षत्रों का राजा कहा गया है। यह 27 नक्षत्रों (27 nakshatra) में आठवें क्रम पर आता है। पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति और स्वामी शनि हैं। पुष्य नक्षत्र के सिरे पर बहुत से सूक्ष्म तारे हैं जो कांति घेरे के अत्यधिक समीप हैं। पुष्य नक्षत्र के मुख्य रूप से तीन तारे हैं, जो एक तीर (बाण) की आकृति के समान आकाश में दिखाई देते हैं। इसके तीर की नोक कई बारीक तारा समूहों के गुच्छ या पुंज के रूप में दिखाई देती है। आकाश में इसका गणितीय विस्तार 3 राशि 3 अंश 20 कला से 3 राशि 16 अंश 40 कला तक है।
 
importance पुष्य नक्षत्र की महिमा: पुष्य नक्षत्र का शुभ योग हर महीने में बनता है। पुष्य नक्षत्र स्थायी होता है़ अत: इस नक्षत्र में खरीदी की गई कोई भी वस्तु लंबे समय तक उपयोगी रहती है तथा शुभ फल प्रदान करती है। पुष्य नक्षत्र पर बृहस्पति (गुरु), शनि और चंद्र का प्रभाव होता है इसलिए सोना, चांदी, लोहा, बही खाता, परिधान, उपयोगी वस्तुएं खरीदना और बड़े निवेश करना इस नक्षत्र में अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं जिसका कारक सोना है। स्वामी शनि है अत: लोहा और चंद्र का प्रभाव रहता है इसलिए चांदी खरीदते हैं। स्वर्ण, लोहा या वाहन आदि और चांदी की वस्तुएं खरीदी जा सकती है। 
 
वर्ष के सभी पुष्य नक्षत्रों में कार्तिक पुष्य नक्षत्र (Kartik pushya nakshatra) का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका संबंध कार्तिक मास के प्रधान देवता भगवान लक्ष्मी नारायण से है। इसीलिए दिवाली पूर्व आने वाला पुष्य नक्षत्र सबसे खास और अत्यंत लाभकारी माना जाता है। भारतीय संस्कृति पूर्ण रूप से प्रकृति से जुड़कर दैनिक प्रक्रिया करने की सलाह देती है। पुष्य को ऋग्वेद में वृद्धिकर्ता, मंगलकर्ता, एवं आनंदकर्ता कहा गया है।

पुष्य नक्षत्र का संयोग जिस भी दिन या वार के साथ होता है उसे उस वार से कहा जाता है। यदि यह नक्षत्र रविवार, बुधवार या गुरुवार को आता है, तो इसे अत्यधिक शुभ माना गया है। इस नक्षत्र के गुरु-पुष्य, शनि-पुष्य और रवि-पुष्य योग सबसे शुभ माने जाते हैं। चंद्र वर्ष के अनुसार महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ संयोग करता है। अत: इस मिलन को अत्यंत शुभ कहा गया है। पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग अतिविशिष्ट, सर्वगुण संपन्न और भाग्यशाली होते हैं। 
 
पुष्य नक्षत्र के सरल उपाय- pushya nakshatra remedies
 
1. इस दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाने से लक्ष्मी जी की कृपा बरसती है। 
 
2. पुष्य नक्षत्र के दिन व्रत या उपवास रखकर पूजन करने से जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। 
 
3. पुष्य नक्षत्र के दिन नवीन बही खाते या लेखन सामग्री को शुभ मुहूर्त में खरीदकर उन्हें अपने व्यापारिक स्थल पर स्थापित करना चाहिए। 
 
4. इस दिन सोना, चांदी, रत्न या आभूषण आदि कीमती वस्तुएं खरीदकर घर लाना बहुत लाभकारी होता हैं। 
 
5. पुष्य नक्षत्र के दिन शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में जाना जाने वाला 'सोना' खरीदने का प्रचलन हैं, क्योंकि इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ मानी गई है, अगर सोना नहीं ले सकते हैं तो पीतल या चांदी अवश्य ही खरीदना चाहिए।
 
 
6. विशेष कर कार्तिक मास में आने वाले पुष्य नक्षत्र के दिन अपने आराध्य तथा कुल देवता का पूजन करने से उनका शुभाशीष मिलता है। 
 
7. पुष्य नक्षत्र काल में दाल, चावल, खिचड़ी, बेसन, कढ़ी, बूंदी की लड्डू आदि चीजों का सेवन करना चाहिए तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार इनका दान करना भी उचित रहता है। 
 
8. इस दिन किसी भी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करना शुभ माना गया है।

 
9. शनि, रवि या गुरु पुष्‍य नक्षत्र के दिन इन ग्रहों से संबंधित देवता का पूजन करना और उनके मंत्रों का जाप करने से जीवन में चल रही या आ रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
 
10. इस नक्षत्र में नए कार्यों की शुरुआत- जैसे विद्या आरंभ करना, दिव्य औषधियों की सिद्धि तथा नया व्यापार शुरू करना शुभ है। 
 
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