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Written By WD Feature Desk
Last Modified: सोमवार, 19 मई 2025 (17:04 IST)

वर्ष 2026 का भविष्यफल, जानिए क्या होने वाला है?

Year 2026 predictions
वर्ष 2026 में बृहस्पति 2 जून तक मिथुन राशि में रहेंगे, फिर 2 जून से 31 अक्टूबर तक कर्क राशि में रहेंगे। कुंभ से निकलकर 5 दिसंबर को राहु मकर में गोचर करेगा। सिंह से निकलकर केतु कर्क में गोचर करेगा। 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे। ALSO READ: क्या Nuclear की मौत मरेगा पाकिस्तान, जानिए भविष्यवाणी का सच
 
मिथुन में गुरु : 5 दिसंबर 2025 से 2 जून 2026 तक मिथुन राशि में बुध का गोचर शुभ नहीं रहेगा। गुरु की मिथुन राशि में स्थिति के दौरान, मीडिया में भ्रम, झूठी सूचनाओं का प्रसार और कूटनीतिक तनाव बढ़ सकते हैं। दो देशों के बीच तनाव चरम पर रहेगा। 
 
कर्क में गुरु: कर्क राशि में गुरु के उच्च अवस्था में आने पर, राष्ट्रीयता की भावना, सांस्कृतिक पहचान और नए वैश्विक गठबंधन उभर सकते हैं। गुरु की कर्क राशि में उच्च अवस्था के दौरान, जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, तूफान और जल संबंधित प्राकृतिक आपदाएँ बढ़ सकती हैं। जब गुरु कर्क राशि में प्रवेश करेंगे, तो यह उच्च अवस्था में होंगे, जिससे कुछ समय के लिए आर्थिक स्थिरता, सरकारी कल्याण योजनाओं, कृषि और रियल एस्टेट क्षेत्र में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। 2 जून 2026 मंगलवार को मध्यरात्रि 02:25 पर जब बृहस्पति कर्क राशि में गोचर करेंगे तो फिर से भारत पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर रह सकता है। हालांकि भारत पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा।ALSO READ: बलूचिस्तान के बारे में 5 खास बातें, भविष्यवाणी- पाकिस्तान से होगा अलग?
 
सिंह में गुरु: 31 अक्टूबर 2026 में गुरु सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे प्रभावशाली नेताओं का उदय और वैश्विक राजनीति में बदलाव की संभावना है। भारत की भूमि, नभ और जल में शक्ति बढ़ेगी लेकिन उसके शत्रु भी साजिश रचना में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।
 
मंगल: 16 जनवरी 2026 को धनु से निकलकर मंगल मकर में गोचर करेगा। इसके बाद वह कुंभ, मीन, मेष, मिथुन, कर्क और सिंह में गोचर करेंगे। यदि हम भारत की कुंडली की बात करें तो उसमें मंगल की महादशा चल रही है। वर्तमान में 3 अप्रैल से 7 जून 2025 तक मंगल कर्क राशि में होकर नीच का फल दे रहा है। भारत की कुंडली में मंगल की महादशा चल रही है जो 31 मार्च 2025 से प्रारंभ हुई थी। यह दशा 2032 तक रहेगी तब तक भारत अपने पराक्रम का प्रदर्शन संपूर्ण विश्व में करके अपनी पताका लहराएगा। भारत के खिलाफ कोई भी शक्ति सफल नहीं हो पाएगी। वर्ष 2026 में भारत एक बड़े युद्ध में आएगा और 28 दिसंबर 2027 तक पाकिस्तान के कई टुकड़े हो जाएंगे। नरेंद्र मोदी जी की कुंडली में भी मंगल की महादशा चल रही है जो 28 अप्रैल 2028 तक रहेगी। वर्ष 2026 में एक ओर जहां सीमाओं पर संघर्ष बढ़ेगा वहीं प्रकृतिक आपदा, भूकंप और खद्यान संकट से दुनिया परेशान रहेगी।ALSO READ: पुराणों में क्या लिखा है कश्मीर की भविष्यवाणी के बारे में?

रौद्र संवत्सर 2083
वर्तमान में विक्रम संवत 2082 के अंतर्गत कालयुक्त सिद्धार्थ संवत्सर चल रहा है। इस संवत्सर के फलानुसार भारत में और दुनिया में युद्ध और आतंकवाद की घटओं के दर्शन होंगे, जो एक बड़े युद्ध की भूमिका तय करेंगे। महंगाई बढ़ेगी। वर्षा खंडित होगी। कई जगह अकाल और कई जगह बाढ़ के हालात देखने को मिलेंगे। वैश्‍विक स्तर पर दोस्त और दुश्मन तय हो जाएंगे।  
 
इसके बाद अगले साल 19 मार्च 2026 से रौद्र नाम संवत्सर प्रारंभ होगा। यानी विक्रम संवत 2083 से प्रारंभ होगा रौद्र संवत्सर। यह देश और दुनिया में नरसंहार लेकर आएगा। मध्य एशिया में नरसंहार जारी है और अब यह दक्षिण एशिया में भी देखा जाएगा। इस दौरान मौसम में भारी बदलाव होगा और किसी बड़े भूकंप के आने या ज्वालामुखी फटने के संकेत भी मिलते हैं।