Yogi Adityanath PM: योगी आदित्यनाथ की कुंडली (जन्म कुंडली) का विश्लेषण उनके जन्म विवरण पर आधारित होता है। ज्योतिषीय गणना के लिए, उनके जन्म की तारीख और स्थान की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, लेकिन सटीक जन्म समय पर ज्योतिषियों में मतभेद हैं। हालांकि प्राप्त कुंडली के आधार पर लाल किताब की ज्योतिष विद्या के अनुसार उनके जन्म ग्रहों, दशा, महादशा और गोचर के ग्रहों में ऐसे प्रबल योग बन रहे हैं कि आने वाले समय में में देश की सत्ता के शीर्ष पर होंगे। हो सकता है कि वे प्रधानमंत्री बने या फिर गृहमंत्री। लेकिन ऐसा कैसे होगा? क्या यह संभव है? चलिए जानते हैं कि लाल किताब के अनुसार कि क्या कहते हैं उनके ग्रह गोचर और राजयोग।
सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले जन्म विवरण इस प्रकार हैं:
मूल नाम: अजय मोहन सिंह बिष्ट
जन्म तिथि: 5 जून 1972
जन्म स्थान: पंचूर गांव, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश)
राशि: चंद्र राशि कुंभ, हिंदू सूर्य राशि वृषभ और पाश्चात्य सूर्य राशि मिथुन।
योगी आदित्यनाथ की कुंडली का विश्लेषण
जन्म कुंडली के ग्रह: उपरोक्त जन्म विवरण के अनुसार योगी आदित्यनाथ का जन्म लग्न सिंह है और उनके सप्तम भाव में चंद्रमा कुंभ राशि का है। बृहस्पति पंचम भाव में धनु राशि में स्थित है। राहु छठे भाव में मकर राशि में स्थित है। दशम भाव में वृषभ राशि में बुध, सूर्य और शनि की युति है। एकादश भाव में मंगल और शुक्र की युति मिथुन राशि में है और अंत में बारहवें भाव में केतु कर्क राशि में विराजमान है। हालांकि लाल किताब राशियों को हटाकर काल पुरुष की कुंडली ही लेती है।
1. पंचम भाव में गुरु: पांचवें घर सूर्य का अपना घर होता है। यहां बैठा गुरु ब्रह्मज्ञानी कहलाता है। सम्मानीय लोगों के बीच बैठा विशिष्ट व्यक्ति। इसके लिए इज्जत ही इसकी दौलत है। जरा-सी बात पर गुस्सा होने वाले इस गुरु का कोई मुकाबला नहीं। कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के यहां यदि बृहस्पति के दिन पुत्र हो तो छुपे हुए भाग्य का खजाना खुल जाता है। अगले-पिछले सारे पाप कट जाते हैं। वास्तव में जातक के जितने अधिक पुत्र होंगे वह उतना ही अधिक समृद्धशाली होगा। यदि ऐसा नहीं होगा तो धर्म की ध्वजा चारों ओर लहराएगा। पंचम भाव का गुरु बताता है कि पिछले जन्म का पुण्य कर्म लेकर आया है जातक, इसलिए इस जन्म में राजाओं की तरह ही जिएगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझें तो योगी आदित्यनाथ ब्रह्मज्ञानी गुरु की तरह ही है और वे सनातन धर्म की ध्वजा चारों लहरा रहे हैं। वे सम्मानीय लोगों के बीच बैठे विशिष्ट व्यक्ति हैं।
2. सप्तम भाव का चंद्रमा: सातवां घर शुक्र और बुध का घर है। शुक्र और बुध मिलकर सूर्य का प्रभाव देते हैं। जब चंद्रमा इस भाव में स्थित होता है तो परिणाम सूर्य, शुक्र, बुध और चंद्रमा से प्रभावित होता है। पहला भाव सातवें को देखता है नतीजन पहले घर से सूर्य की किरणें सातवें भाव में बैठे चंद्रमा को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं इसका मतलब यह है कि चंद्रमा से संबंधित चीजों और रिश्तेदारों से लाभ मिलेगा। उसके पास जमीन जायदाद हो या न हो लेकिन उसके पास नकद निश्चित रूप से हमेशा रहेगा। वह कविता, ज्योतिष, रहस्यवाद और अध्यात्मवाद में रुचि रखेगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर अंतिम लाइन फिट बैठती है कि वे रहस्यवाद और अध्यात्मवाद में रुचि रखते हैं।
3. छठे भाव में राहु: मददगार हाथी। राहु शुभ है तो मुसीबत के समय साथ देगा। लाल किताब के अनुसार बुध और केतु से प्रभावित इस घर में राहु उच्च का होता है और अच्छे परिणाम देता है। इसे राजयोग माना गया है। ऐसे में जातक सभी प्रकार की झंझटों या मुसीबतों के मुक्त होगा। यहां स्थित राहु के बारे में कहा जाता है कि जिसे राहु तारे उसे कौन मारे। यनि ऐसे जातक के दुश्मन भले ही कितने ही हो वे सभी एक-एक करके मारे जाएंगे। ऐसे जातक को फांसी तक देने का अधिकार मिलता है। जातक बुद्धिमान और विजेता होगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर छठे भाव के राहु का विवरण पूर्णत: सटीक बैठता है।
4. दशम भाव का शनि: यहां स्थित शनि को कोरा कागज समझों अर्थात तुमने उस पर जैसा लिख दिया वैसा जीवन हो जाएगा। किस्मत को जगाने वाला, लेकिन शर्त यह की शनि के मंदे कार्य न करें। यह शनि का अपना खुद का घर है, जहां वह अच्छे परिणाम देता है। जातक जब तक अपना खुद का घर नहीं बनाएगा तब तक पद, प्रतिष्ठा, धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा। जातक महत्वाकांक्षी होगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर दशम भाव के शनि का विवरण पूर्णत: सटीक बैठता है। यहां बैठा शनि शुभ फल देता है।
5. दशम भाव का बुध: बुध यहां अच्छा है तो जातक सत्यवादी, गुणवान, प्रसिद्ध और विद्वान होगा। जातक साहित्य, शिल्पकला, लेखन, मध्यस्थ और साहूकारी आदि व्यापारों के माध्यम से भी आजीविका चला सकता है। ऐसा जातक जिस भी काम को हाथ में लेगा उसमें सफलता मिलना तय है।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर दशम भाव के बुध का विवरण पूर्णत: सटीक बैठता है।
6. दशम भाव का सूर्य: दसवें भाव का सूर्य किसी और की परवाह न करने और काम को आगे बढ़ाने का साहस देता है। सूर्य शुभ है तो कांतिमय चेहरे और आंखों वाला व्यक्ति महान राजनीतिज्ञ भी हो सकता है या सरकारी महकमे का कोई बड़ा अधिकारी। सोच-समझकर हित अनुसार गुस्सा करने वाला व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। सूर्य नवम और दशम भाव में सर्वश्रेष्ठ और यह अच्छा फल देता है। शर्त यह कि पिता और गुरु का सम्मान करते रहें। दशम भाव का सूर्य राजसत्ता का कारक है जो अथॉरिटी है और पार्लियामेंट भी है। ऐसा जातक यदि सिर मुंडा ले या सफेद टोपी पहने तो सत्ता के शीर्ष पर उसे जाने से कोई रोक नहीं सकता।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर दशम भाव के सूर्य का विवरण पूर्णत: सटीक बैठता है। वे सिर मुंडवाकर रहते हैं। सिर मुंडाने से शनि का अशुभ असर खत्म हो जाता है।
7. एकादश भाव का मंगल: एकादश भाव का मंगल जंजीर से बंधा चीता है यदि खोल दिया तो सभी के लिए घातक सिद्ध होगा। मां-बाप के घर दौलत का भंडार भरने वाला। कम उम्र में ही दौलत मंद होगा शर्त यह की पिता से धन न लें।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर एकादश भाव के मंगल का विवरण पूर्णत: सटीक बैठता है।
8. एकादश भाव का शुक्र: यह घर शनि और बृहस्पति से प्रभावित होने के कारण इस घर में शुक्र पर दोनों का प्रभाव रहता है। यह घर तीसरे भाव से देखा जाता है जो कि मंगल और बुध का घर है। माया के चक्कर में घूमता व्यक्ति।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझे तो योगी आदित्यनाथ पर यह विवरण इस मायने में ठीक नहीं है क्योंकि उन्होंने विवाह नहीं किया है। वे माया के चक्कर में नहीं रहते हैं यही बात उनके मंगल और राहु को स्ट्रांग बनाती है।
9. बारहवें भाव का केतु: अमीर कुत्ता। अर्थात गुरु द्वारा पाला गया कुत्ता। यहां केतु को उच्च का माना जाता है। जातक अमीर होगा, बड़ा पद प्राप्त करेगा और अच्छे कामों को समर्पित होगा। यदि राहु छठवें भाव में बुध के साथ हो तो बेहतर परिणाम मिलते हैं। लेकिन यदि 12वें घर में स्थित केतु अशुभ है तो जातक किसी निःसंतान व्यक्ति से भूमि खरीदता है तो खुद भी निःसंतान हो जाता है। यदि जातक किसी कुत्ते को मार देता है तो केतु हानिकारक परिणाम देता है।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण को यदि हम समझें तो योगी आदित्यनाथ को गुरु ने ही पाला है और उन्हीं के आशीर्वाद से आज में यूपी के मुख्यमंत्री पद पर हैं।
ग्रह विश्लेषण:
ग्रह: योगी जी की सिंह लग्न की कुंडली में पंचम में गुरु और कर्म भाव में शनि, सूर्य और बुध की युति है। छठे में राहु और 12वें में केतु विराजमान है। इसी के साथ लाभ भाव में मंगल और शुक्र की युति है और सप्तम भाव में चंद्रमा है।
शत्रुहंता योग: योगी आदित्यनाथ की कुंडली में पंचम भाव में गुरु स्वग्रही होकर बैठे है, लेकिन छठे भाव में राहु का शत्रुहंता योग बन रहा है। इससे यह साबित होता है कि यह अपने आसपास शत्रुओं से घिरे रहेंगे लेकिन यह शत्रुओं पर हावी रहेंगे।
राजयोग: छठे भाव का राहु और दशम भाव का सूर्य प्रबल राज सुख का निर्माण करता है। योगी आदित्यनाथ की कुंडली के अनुसार उनका लग्न सिंह है और लग्नेश कर्म का कारक होकर सूर्य, शनि और बुध की युति के साथ में विद्यमान है। सूर्य की ऐसी स्थिति जातक को राजसत्ता का सुख देती है। जिसकी कुंडली में लग्नेश कर्म भाव होता है, उस जातक को जीवन में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
पारिजात योग: ग्यारहवें भाव को देखें तो इसमें शुक्र और उसी भाव में मंगल हैं। सिंह लग्न का स्वामी मंगल है। यानी इसका अर्थ है कि लग्नेश लाभ स्थान पर बैठा है और पंचम के गुरु को पूरी दृष्टि से देखकर पारिजात योग बना रहा है। पारिजात योग के कई फायदे हैं, जिनमें प्रमुख हैं: जीवन में सफलता, राजसत्ता और यश-वैभव की प्राप्ति, समाज में उच्च स्थान और सम्मान, और धन-समृद्धि।
शंख योग: गुरु पर शुक्र और मंगल की दृष्टि से शंख योग बनाता है। कुंडली में शंख योग तब बनता है जब पंचम और षष्ठम भाव के स्वामी एक-दूसरे से केंद्र या चतुर्थांश में स्थित हों और लग्न का स्वामी बलवान हो। ऐसे जातक का शंखनाद होता रहता है। यह योग जातक को बड़े पैमाने पर लोकप्रिय बनाता है। शंख योग का अर्थ है कि जातक के राज्याभिषेक का शंखनाद हो रहा है और होता रहेगा। हर जगह और हर कार्य में उनका शंखनाद होता रहेगा। दूसरी ओर द्वादश भाव में केतु मौजूद हैं जो मोक्ष का कारक ग्रह है। इसके हिसाब से देखा जाए तो जातक का समय शानदार होने वाला है।
योगी आदित्यनाथ कब बनेंगे पीएम?
योगी आदित्यनाथ जिस राज्य के मुख्यमंत्री है वो राज्य करीब ब्रिटेन के क्षेत्रफल के बराबर का राज्य है और यदि जनसंख्या की बात करें तो रशिया की जनसंख्या से दोगुनी है और यदि सामाजिक विषमता की बात करें तो यह देश के अन्य राज्यों और देशों से कहीं ज्यादा विषम है। इसके बावजूद योगी आदित्यनाथ ने राज्य के सभी माफिया को ठिकाने लगाकर अपने प्रदेश में विश्व के सबसे बड़े कुंभ मेले का सफल आयोजन किया। उत्तर प्रदेश से भय का राज खत्म कर दिया। यह कार्य बताते हैं कि वे कितने कुशल और योग्य हैं। वे सभी को कंट्रोल करना जानते हैं।
लाल किताब के अनुसार राहु की महादशा में ही योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और इसके बाद उन्होंने केतु की महादशा में राज्य के शासन एवं प्रशासन को पुरी तरह अपने कंट्रोल में लेकर राज्य को प्रगति पथ पर अग्रसर किया। आने वाले समय में 2031 से शुक्र की दशा में जब मंगल की अंतर्दशा प्रारंभ होगी तो उन्हें देश के केंद्र की सत्ता में जाने से कोई रोक नहीं सकता।
सभी ग्रहों और उनके गोचर का विश्लेषण करने के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि वर्ष 2030 से योगी आदित्यनाथ का प्रबल समय प्रारंभ होगा जो उन्हें एक कठिन समय में उन्हें सत्ता के शीर्ष पर ले जाएगा। वे यदि प्रधानमंत्री नहीं भी बने तो उनका गृह मंत्री बनना तय मानो। लेकिन कहा जा रहा है कि कुछ ऐसी विषम परिस्थिति बन सकती है जिसके चलते उन्हें प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है।
लाल किताब दशा महादशा:
1. गुरु की दशा: योगी आदित्यनाथ राहु की महादशा में मुख्यमंत्री बने, इसके बाद केतु की दशा प्रारंभ हुई और अब वर्तमान में गुरु की महादशा चल रही है। यह दशा वर्ष 2022 से प्रारंभ होकर 2028 को समाप्त होगी।
2. सूर्य: बृहस्पति के बाद 5 जून 2028 से सूर्य की महादशा प्रारंभ होगी। सूर्य इनके कर्म भाव में विराजमान है। यह दशा वर्ष 2030 तक चलेगी। इसके बाद चंद्रमा की दशा प्रारंभ होगी। यहां से उनका प्रबल योग प्रारंभ होगा।
3. चंद्रमा: सूर्य के बाद 5 जून 2030 से चंद्रमा की दशा प्रारंभ होगी जो 5 जून 2031 तक चलेगी।
4. शुक्र: चंद्रमा के बाद 5 जून 2031 से शुक्र की दशा प्रारंभ होगी जो 5 जून 2034 तक चलेगी। इस दशा में वे केंद्र की सत्ता में किसी बड़े पद पर विराजमान हो सकते हैं।
5. मंगल: 5 जून 2034 से 5 जून 2040 तक मंगल की दशा प्रारंभ होगी। यदि वे केंद्र की सत्ता में विराजमान हो गए तो फिर उन्हें वर्ष 2050 तक कोई हटा नहीं सकता।
वैदिक ज्योतिष की दशा महादशा:
शुक्र की महादशा: वर्ष 2024 से 2027 तक उनके कुंडली में शुक्र की महादशा में शुक्र की दशा चलेगी। इसके बाद शुक्र की महादशा में सूर्य की दशा चलेगी जो 2028 तक रहेगी। इसके बाद शुक्र में चंद्रमा की दशा प्रारंभ होगी जो 2030 तक रहेगी। इसके बाद शुक्र में मंगल, फिर राहु और फिर केतु की दशा प्रारंभ होगी। कहा जा रहा है कि जब शुक्र में मंगल की दशा प्रारंभ होगी तब योगी आदित्यनाथ का सितारा आसमान में चमकता हुआ नजर आएगा। वह देश के प्रधानमंत्री बनने की राह पर चल पड़ेंगे।
योगी आदित्यनाथ की कुंडली में शुक्र की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है। इसके अंतर्गत राहु की प्रत्यंतर दशा चल रही है। इसी क्रम में फिर गुरु, शनि, बुध और केतु की प्रत्यंतर दशा चलेगी। इसके बाद वर्ष 2027 में शुक्र में सूर्य की अंतर्दशा चलेगी। शनि सप्तमेश होकर लग्नेश चंद्रमा के साथ एकादश भाव में बैठे हैं और शुक्र चतुर्थेश होकर सप्तम भाव में बैठे हैं। यहां शनि और शुक्र का परिवर्तन योग भी है। शुक्र, चंद्र और शनि से नवम भाव में भी आते हैं और दशा एवं अंतर्दशा के अंतर्गत योगी जी पद प्राप्ति के सप्तम भाव का मजबूती से प्रतिनिधित्व करते हैं।