HIGHLIGHTS
• 09 अप्रैल से कालयुक्त संवत्सर शुरू जानें देश-दुनिया पर असर।
• इस बार हिन्दू नववर्ष में कौन होगा राजा, कौन मंत्री, जानें ग्रहों का असर।
• जानें विक्रम संवत 2081 कैसा रहेगा पूरे विश्व के लिए।
varsh 2024 mein kaisa hoga grahon ka mantrimandal: जिस प्रकार देश को संचालित करने के लिए सरकार की आवश्यकता होती है, जो मंत्रिमंडल बनाकर देश को संचालित करती है। ठीक उसी प्रकार शास्त्रों में ग्रहों के मंत्रिमंडल की भी व्यवस्था है। ग्रहों का यह मंत्रिमंडल समूचे विश्व को संचालित करता है।
यह मंत्रिमंडल नवसंवत्सर के साथ ही प्रतिवर्ष बदलता रहता है। 09 अप्रैल 2024, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (गुड़ी पड़वा) से 'कालयुक्त' नामक नवीन संवत्सर प्रारंभ हो रहा है। आइए जानते है 'कालयुक्त' संवत्सर 2081 में ग्रहों का मंत्रिमंडल कैसा होगा।
संवत्सर 2081 के प्रारंभ होते ही निम्न मंत्रिमंडल अपना कार्यभार लेकर विश्व का संचालन प्रारंभ करेगा जो निम्न प्रकार से होगा-
1. राजा-मंगल : (प्रधानमंत्री)- नवीन संवत्सर 2081 में राजा (प्रधानमंत्री) मंगल होंगे। जो मंत्रिमंडल के प्रमुख होंगे। मंगल के राजा होने से विश्व में युद्ध का भय होगा। जनता में सरकारों के प्रति विद्रोह होगा। महामारी एवं बीमारी में वृद्धि होगी। धन-धान्य की कीमतों में बढ़ोत्तरी होगी।
2. मंत्री-शनि : (गृह मंत्री)- देश की सरकार में जिस प्रकार गृहमंत्री को सरकार में द्वितीय स्थान दिया जाता है, उसी प्रकार ग्रहों के मंत्रिमंडल में यह भूमिका मंत्री की होती है। नवीन संवत्सर 2081 में शनि मंत्री होंगे। शनि के मंत्री होने से विश्व में अराजकता में वृद्धि होगी। राजपक्ष तानाशाहीपूर्ण व्यवहार करता है। जनता को कष्ट होता है। जनता पर करों का भार बढ़ता है। अर्थव्यवस्था में ऊथल-पुथल होती है। देश में कर्ज का बोझ बढ़ता है।
3. धनेश-मंगल : (वित्त मंत्री)- देश के संचालन हेतु वित्त की व्यवस्था करना वित्त मंत्री की ज़िम्मेवारी होती है, ग्रहों के मंत्रिमंडल में यह कार्य धनेश करते हैं। नवीन संवत्सर 2081 में धनेश का यह पद भी मंगल के पास है। नए वर्ष में मंगल धनेश होंगे। मंगल के धनेश होने से मंहगाई बढ़ेगी। जनता को कष्ट होगा। करों में बढ़ोत्तरी होगी। अनाज मंहगा होगा। भूमि की कीमतें बढ़ेंगी।
4. दुर्गेश-शनि : (रक्षा मंत्री)- जिस प्रकार देश की सरकार में कभी-कभी एक मंत्री दो मंत्रालय संभालता है, उसी प्रकार ग्रहों के मंत्रिमंडल में भी ऐसा होता है। नवीन वर्ष में दुर्गेश शनि होंगे जो इसके गृहमंत्री भी हैं। शनि के दुर्गेश होने से विश्व में अराजकता फैलेगी। भय व पीड़ा का वातावरण बनेगा। व्यापार की हानि होगी। देशों में परस्पर वैमनस्य और शत्रुता की भावना बलवती होगी। देश में सामाजिक सौहार्द्र में कमी आएगी।
5. रसेश-गुरु : (कृषि /खाद्य)- नवीन वर्ष में रसेश गुरु होंगे। गुरु के रसेश होने से खाद्य पदार्थों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी। कपड़े एवं वाहनों के दाम बढ़ेंगे। दूध, दही, फ़लों के रसों के दाम बढ़ेंगे।
(निवेदन- उपर्युक्त विवेचन पंचांग आधारित होकर समूचे विश्व के संबंध में है। अत: इसे व्यक्तिगत फलित एवं केवल भारत के संदर्भ में ना देखें।)
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र