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सूर्य उत्तरायण के बाद पहला रविवार आज, सूर्यदेव के पूजन और मंत्रों से जीवन में होगा शुभ ही शुभ

सूर्य उत्तरायण के बाद पहला रविवार आज, सूर्यदेव के पूजन और मंत्रों से जीवन में होगा शुभ ही शुभ - Today Sun Worship
Sun Worship
 
16 जनवरी को (आज) मकर संक्रांति (Makar  Sankranti 2022) के बाद यानी सूर्य के उत्तरायण (Surya Uttarayan) होने के बाद पहला रविवार हैं। आज के दिन सूर्य नारायण (Sun Worship) की आराधना करने का विशेष महत्व होता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष के महीने में सूर्य की उपासना की जाती है। यह महीना सूर्यदेव की पूजा के लिए विशेष महत्‍व रखता है। पौष मास के रविवार सूर्य पूजन के लिए बहुत ही पवित्र दिन माने जाते है। आज के दिन धार्मिक कार्य, नदी स्नान एवं दान करना बहुत शुभ माना जाता है। 
 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस माह सूर्यदेव का पूजन Sun Worship और सूर्य मंत्र (Surya Mantra) का 108 बार जाप करने से अवश्य लाभ मिलता है। प्रत्येक रविवार को दिन नीचे दिए गए मंत्रों में से जो भी मंत्र आसानी से याद हो सकें उसके द्वारा सूर्य देव का पूजन-अर्चन करें। फिर अपनी मनोकामना मन ही मन बोलने से भगवान सूर्य नारायण आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करेंगे। साथ ही अच्छा आरोग्य प्राप्त करके जीवन में संपन्‍नता पाकर भाग्य चमक उठता है। 
 
आज करें यह कार्य-Sun Worship Today
 
- पौष माह में रविवार को मुख्य रूप से सूर्य देव की उपासना का महत्व है।
- इस मास में लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- पौष मास में सूर्य उत्तरायन के बाद आने वाले रविवार को सुबह स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पित करें।
- एक तांबे के पात्र से जल अर्घ्य देते समय उसमें रोली, अक्षत, काला तिल, गुड़, लाल पुष्प और अक्षत डालें।
- सूर्य अर्घ्य देते समय 'ॐ आदित्याय नमः' मंत्र का जाप करें। 
- आज के दिन गुड़, गेहूं, तांबे की वस्तुएं या धातु का दान करना चाहिए। 
- अपने पिता या पितातुल्य व्यक्तियों के चरण स्पर्श करके उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। 
- पौष मास में की गई सुर्य आराधना अधिक लाभकारी मानी जाती है। 
- इस दिन गर्म वस्त्रों का दान करना अतिउत्तम माना गया है। 
- अगर भाषा व उच्चारण शुद्ध हो तो आज के दिन ज्यादा से ज्यादा आदित्य हृदय स्तोत्र तथा निम्न सूर्य मंत्रों का पाठ करना चाहिए। आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ एक अनुभूत प्रयोग है। 
 
सूर्य मंत्र-Surya Mantra
 
1. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:।  
 
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।। 
 
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:। 
 
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ। 
 
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

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