शुक्रवार, 27 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. ज्योतिष आलेख
  4. sun transit in Sagittarius
Written By

Sun transit in Sagittarius : सूर्य धनु राशि में,पढ़ें खरमास की कथा

Sun transit in Sagittarius : सूर्य धनु राशि में,पढ़ें खरमास की कथा - sun transit in Sagittarius
प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी सूर्य 15 दिसंबर 2020 को अपनी राशि बदल रहे हैं। भारतीय पंचांग के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में संक्रांति करते हैं तो यह समय शुभ नहीं माना जाता है।
 
इस बार मंगलवार, 15 दिसंबर 2020 को सूर्य धनु राशि में आ रहा है। जब तक सूर्य मकर राशि में संक्रमित नहीं होते तब तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। 
 
पंचांग के अनुसार यह समय पौष मास का होता है, जिसे खरमास कहा जाता है। इस माह की संक्रांति के दिन गंगा-यमुना स्नान का महत्व माना जाता है। 
 
पौष संक्रांति के दिन श्रद्धालु नदी किनारे जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इससे स्वयं के मन की शुद्धि होती है। बुद्धि और विवेक की प्राप्ति के लिए भी इस दिन सूर्य पूजन किया जाता है। सूर्य किसी विशेष राशि में प्रवेश करता है, इसी कारण से इसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान को मीठे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
 
धनु संक्रांति के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा का पाठ किया जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते, फल, सुपारी, पंचामृत, तुलसी, मेवा आदि का भोग तैयार किया जाता है। सत्यनारायण की कथा के बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती की जाती है और चरणामृत का प्रसाद दिया जाता है। जो लोग विधि के साथ पूजन करते हैं उनके सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
 
खरमास:  
संस्कृत में गधे को खर कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों में खरमास की कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उन्हें कहीं पर भी रूकने की इजाजत नहीं है। मान्यता के अनुसार उनके रूकते ही जन-जीवन भी ठहर जाएगा। लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुड़े होते हैं वे लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं।
 
उनकी इस दयनीय दशा को देखकर सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया। वे उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन उन्हें तभी यह ध्यान आया कि अगर रथ रूका तो अनर्थ हो जाएगा। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य कहिए कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे। भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने और विश्राम देने के लिए छोड़े देते हैं और खर अर्थात गधों को अपने रथ में जोत देते हैं।
 
अब घोड़ा-घोड़ा होता है और गधा-गधा, रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे-तैसे एक मास का चक्र पूरा होता है तब तक घोड़ों को विश्राम भी मिल चुका होता है, इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौर वर्ष में एक सौर खर मास कहलाता है।
ये भी पढ़ें
नवग्रहों की शांति चाहते हैं तो करें श्री गणेश की आराधना