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सूर्य मिथुन संक्रांति 2022: कैसे दें सूर्यदेव को अर्घ्य, जानें नियम, अर्घ्य और ध्यान मंत्र

mithun sankranti
इस वर्ष सूर्य ग्रह वृषभ राशि से निकलकर 15 जून 2022 को (Surya mithun rashi, gochar 2022) मिथुन राशि में प्रवेश कर रहे हैं, इस दिन को सूर्य मिथुन संक्रांति पर्व भी कहते है। इस दिन सूर्य देव (Lord Sun) को अर्घ्य देने से आरोग्य का वरदान मिलता है।


पौराणिक शास्त्रों के अनुसार सूर्य की उपासना (Sun Worship) वैदिक काल से चली आ रही है। सूर्यदेव (Lord Sun) सृष्टि के महत्वपूर्ण आधार हैं। सूर्यदेव ज्ञान, आध्यात्म और प्रकाश के प्रतीक माने जाते हैं। भगवान सूर्यदेव के उदय होते ही पूरी दुनिया का अंधकार नष्ट होकर चारों ओर प्रकाश फैल जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार जब सूर्य का मिथुन राशि (Surya Mithun Rashi me) में प्रवेश होता है तब सूर्यदेव का पूजन करके, उन्हें अर्घ्य देकर आप आरोग्य प्राप्त कर सकते हैं। 
 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य समस्त ग्रह एवं नक्षत्र मंडल के अधिष्ठाता माने गए हैं। कुंडली में सूर्य अशुभ होने पर कई रोग होने की संभावना बढ़ती है। अत: सूर्य मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य पूजा से सूर्यदेव की ऊष्मा एवं प्रकाश मिलता है, जिससे आरोग्य लाभ तथा बुद्धि प्राप्त होती है। सूर्य उपासना से कुष्ठ, नेत्र आदि रोग भी दूर होते हैं और सेहत संबंधी कई परेशानियां दूर होती है।

सूर्य अर्घ्य देने के नियम-Surya Arghya ke Niyam
 
1. इस दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शुद्ध होकर स्नान करें। 
 


2. तत्पश्चात उदित होते सूर्य के समक्ष कुश का आसन लगाएं। 
 
3. आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। 
 
4. उसी जल में मिश्री भी मिलाएं। मान्यतानुसार सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के दूषित मंगल का उपचार होता है।
 
 
5. मंगल शुभ हो तब उसकी शुभता में वृद्दि होती है। 
 
6. जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्यागमन से पहले नारंगी किरणें प्रस्फूटित होती दिखाई दें, आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़ कर इस तरह जल चढ़ाएं कि सूर्य जल चढ़ाती धार से दिखाई दें।
 
7. सूर्य को जल धीमे-धीमे इस तरह चढ़ाएं कि जलधारा आसन पर आ गिरे ना कि जमीन पर। 
 
8. जमीन पर जलधारा गिरने से जल में समाहित सूर्य-ऊर्जा धरती में चली जाएगी और सूर्य अर्घ्य का संपूर्ण लाभ आप नहीं पा सकेंगे। 
 
9. अर्घ्य देते समय यह मंत्र 11 बार पढ़ें- 'ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।' 
 
10. फिर यह मंत्र 3 बार पढ़ें- 'ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा:।।' 
 
11. तत्पश्चात सीधे हाथ की अंजूरी में जल लेकर अपने चारों ओर छिड़कें। 
 
12. अपने स्थान पर ही 3 बार घूम कर परिक्रमा करें। 
 
13. आसन उठाकर उस स्थान को नमन करें।
 
14. इसके अलावा सूर्यदेव को अर्घ्य देते समय तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें रोली, चंदन, लाल पुष्प डालना चाहिए तथा चावल अर्पित करके गुड़ चढ़ाना चाहिए। इससे सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है।
 
सूर्यदेव का अर्घ्य मंत्र- 
 
अत: सूर्यदेव को निम्नलिखित मंत्र बोल करके अर्घ्य प्रदान करें-
 
ॐ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
 
ॐ सूर्याय नम:, ॐ आदित्याय नम:, ॐ नमो भास्कराय नम:।
अर्घ्य समर्पयामि।।
 
ध्यान मंत्र-
 
ध्येय सदा सविष्तृ मंडल मध्यवर्ती।
नारायण: सर सिंजासन सन्नि: विष्ठ:।।
केयूरवान्मकर कुण्डलवान किरीटी।
हारी हिरण्यमय वपुधृत शंख चक्र।।
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाधुतिम।
तमोहरि सर्वपापध्‍नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम।।
सूर्यस्य पश्य श्रेमाणं योन तन्द्रयते।
चरश्चरैवेति चरेवेति...! 
 
अत: सूर्य मिथुन संक्रांति के दौरान सूर्यदेव का पूजन करके आरोग्य, निरोग शरीर, वैभव, सामर्थ्य, पुर्णायु को प्राप्त करें। 


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