शनि देव माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, 24 जनवरी 2020 को दोपहर करीब 12 बजकर 10 मिनट पर धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 30 वर्षों बाद स्वराशि मकर राशि में आएंगे। शनि बहुत ही धीमी गति से चलते हैं। शनि एक राशि में लगभग ढाई साल तक रहते हैं। शनि के राशि परिवर्तन से साढ़ेसाती आरंभ हो जाती है।
शनि के एक राशि में ढाई साल तक समय बिताने के लिहाज से सभी 12 राशियों का एक चक्कर लगाने में लगभग 30 साल का समय लगता है। इस समय शनि धनु राशि में गोचर है अब दोबारा धनु राशि में आने के लिए शनि को 30 वर्षों का समय लगेगा।
शनि के किसी 1 राशि में गोचर होने से 7 राशियों पर इसका प्रभाव पड़ता है। 3 राशियों पर शनि की साढ़ेसाती चढ़ती है। 2 राशियों पर शनि की ढैय्या लगती है और अन्य 2 राशियों पर शनि की नजर हमेशा लगी रहती है। शनि ग्रह की एक राशि में मंद चाल से किसी व्यक्ति के पूरे जीवन में औसतन 2 से 3 बार साढ़ेसाती लग सकती है।
शनि की साढ़ेसाती
जब शनि का गोचर किसी एक राशि में होता है तो शनि उस राशि में ढाई साल तक रहते हैं। ढाई साल के बाद ही शनि का राशि परिवर्तन दूसरी राशि में होता है। ज्योतिष गणना के अनुसार चंद्र राशि से जब शनि 12वें भाव, पहले भाव व द्वितीय भाव से निकलते हैं। उस अवधि को शनि की साढ़े साती कहा जाता है।
शनि जिस राशि में गोचर करते हैं तो राशि क्रम के हिसाब से उस राशि के आगे और पीछे वाली राशि पर भी अपना असर डालते हैं। इस तरह से शनि एक राशि पर साढ़े सात साल तक रहते हैं। इस साढ़े सात साल के समय को ही शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। फिर जैसे-जैसे शनि आगे बढ़ता है साढ़ेसाती उतरती जाती है।
शनि की ढैय्या
शनि जब गोचर में जन्म राशि से चतुर्थ और अष्टम भाव में रहता है तब इसे शनि की ढैय्या कहते है। शनि की ढय्या एक राशि पर साढ़े सात साल और दूसरी पर लगभग 16 साल में आती है। शनि के ढैय्या किसी राशि पर इसको पता लगाने के लिए शनि जिस राशि में रहता है उससे क्रम अनुसार पहले की चौथी और बाद वाली छठी राशि पर शनि की ढैय्या रहती है।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि देव अपनी ही राशि मकर में गोचर करते हुए दशम कर्मभाव में जा रहे हैं जिससे पंचमहापुरुष योग में से एक शशक योग का निर्माण होगा जो फलित ज्योतिष के श्रेष्ठतम योगों में से एक है।
मेष राशि
साढ़ेसाती- 29 मार्च 2025 से 31 मई 2032 तक
ढय्या- 13 जुलाई 2034 से 27 अगस्त 2036 तक
- 12 दिसंबर 2043 से 8 दिसंबर 2046 तक
वृष राशि
आपकी राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर शनि का चांदी के पाए पर होकर गोचर करना अति भाग्यवर्धक सिद्ध होगा। पिछले ढाई साल से चल रही शनि की ढैय्या समाप्त होगी जिससे आपकी परेशानियां खत्म होने के संकेत हैं।
वृष राशि
साढ़ेसाती- 3 जून 2027 से 13 जुलाई 2034 तक
ढय्या- 27 अगस्त 2036 से 22 अक्टूबर 2038 तक
मिथुन राशि
शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से मिथुन राशि वालों के ऊपर शनि की ढैय्या शुरू हो जाएगी। ढाई साल चुनौतियों से भरे रहेंगे। नौकरी के मामले में साल 2021 कुछ अच्छे परिणाम नहीं लेकर आएगा।
साढ़ेसाती- 8 अगस्त 2029 से 27 अगस्त 2036 तक
ढैय्या- 24 जनवरी 2020 से 29 अप्रैल 2022 तक
22 अक्टूबर 2038 से 29 जनवरी 2041 तक
कर्क राशि
आपकी राशि से सप्तमभाव में शनिदेव का गोचर कई मायनों में आपकी परीक्षा भी लेगा और कार्य अथवा व्यापार की दृष्टि से आपको सफल भी बनाएगा, क्योंकि ये आपकी राशि से केंद्र भाव में गोचर करते हुए 'शश' योग का निर्माण भी करेंगे, जिसके फलस्वरूप आपके लिए शनिजन्य सभी कार्यों में लाभ होगा...
साढेसाती- 31 मई 2032 से 22 अक्टूबर 2038 तक
ढैय्या- - 29 अप्रैल 2022 - 29 मार्च 2025 तक
- 29 जनवरी 2041 से 12 दिसंबर 2043 तक
सिंह राशि
आपकी राशि से छठे शत्रुभाव में शनि का गोचर अप्रत्याशित परिणाम दिलाने वाला सिद्ध होगा। तीसरे, छठे, और ग्यारहवें भाव में शनि गोचर कर रहे हों या किसी भी जातक की जन्मकुंडली के इन भावों में बैठे हों तो सभी अरिष्टों का शमन करते हुए उसे जीवन के सर्वोच्च शिखर तक पहुचाते हैं ।
साढ़ेसाती- 13 जुलाई 2034 से 29 जनवरी 2041 तक
ढैय्या- 29 मार्च 2025 से 3 जून 2027 तक
-12 दिसंबर 2043 से 8 दिसंबर 2046 तक
कन्या राशि
शनि के मकर राशि में प्रवेश से 26 जनवरी 2017 से चली आ रही शनि की शनि की ढैय्या समाप्त हो जाएगी। शनि की ढैय्या का उतरना आपके लिए शुभ परिणाम लाएगा। आय में बढ़ोत्तरी होगी। व्यवसाय में तरक्की और यश की प्राप्ति होगी।
साढ़ेसाती- 27 अगस्त 2036 से 12 दिसंबर 2043 तक
ढैय्या- 3 जून 2027 से 8 अगस्त 2029 तक
तुला राशि
24 जनवरी को मकर राशि में शनि का गोचर होने से तुला राशि पर चतुर्थ शनि की ढैय्या चलेगी। तुला राशि के जातकों पर शनि की विशेष कृपा रहती है। शनि की ढैय्या शुरू होने से कार्यों का दबाव रहेगा। सेहत से जुड़ी कुछ तकलीफों का समाना करना पड़ सकता है।
साढ़ेसाती- 22 अक्टूबर 2038 से 8 दिसंबर 2046 तक
ढैय्या- 24 जनवरी 2020 से 29 अप्रैल 2022 तक
- 8 अगस्त 2029 से 31 मई 2020 तक
वृश्चिक राशि
24 जनवरी को जैसे ही शनि मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा वैसे ही वृश्चिक राशि से शनि की साढ़ेसाती की अवधि पूरी हो जाएगी। शनि के मकर राशि में जाने से अब से आपको सभी तरह की सुख सुविधा प्राप्त होने लगेगी।
साढ़ेसाती- 28 जनवरी 2041 से 3 दिसंबर 2049 तक
ढैय्या- 29 अप्रैल 2022 से 29 मार्च 2025 तक
- 31 मई 2032 से 13 जुलाई 2034 तक
धनु राशि
शनि के मकर राशि में प्रवेश करने से धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होगा। शनिदेव आपके धन स्थान से गोचर करेंगे। जिस कारण से आपको धन के मामले में सफलता प्राप्त होगा। शनि की साढ़ेसाती का अंतिम चरण होने से परेशानियां कम होने लगेंगी।
साढ़ेसाती- 12 दिसंबर 2043 से 3 दिसंबर 2049 तक
ढैय्या- 29 मार्च 2025 से 3 जून 2027 तक
- 13 जुलाई 2034 से 27 अगस्त 2036 तक
मकर राशि
24 जनवरी को शनि 30 वर्षों के बाद मकर राशि में आ रहे हैं। मकर राशि स्वयं शनि की राशि है। शनि के मकर राशि में आने शनि की साढ़ेसाती का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा। जिससे कार्यक्षेत्र पर दबाव बढ़ेगा और परेशानियां पहले के मुकाबले ज्यादा आएंगी।
साढ़ेसाती- 26 जनवरी 2017 से 29 मार्च 2025 तक
ढैय्या- 3 जून 2027 से 8 अगस्त 2029 तक
- 27 अगस्त 2036 से 22 अक्टूबर 2038 तक
कुंभ राशि
कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण रहेगा। परेशानियां बढ़ने लगेंगी।
साढ़ेसाती- 24 जनवरी 2020 से 3 जून 2027 तक
ढय्या- 8 अगस्त 2029 से 31 मई 2032 तक
- 22 अक्टूबर 2038 से 29 जनवरी 2041 तक
मीन राशि
शनि के मकर राशि में गोचर से आपके लाभ भाव में गोचर करेंगे। जिस कारण से शनि के शुभ परिणाम मिलते हैं।
साढ़ेसाती- 29 अप्रैल 2022 से 8 अगस्त 2029 तक
ढय्या- 31 मई 2032 से 13 जुलाई 2034 तक
- 29 जनवरी 2041 से 12 दिसंबर 2043 तक