वर्ष 2022 में आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 17 जून, शुक्रवार को पड़ रही है। आषाढ़ मास की इस चतुर्थी को कृष्णपिंगल संकष्टी चतुर्थी (Krishnapingal Sankashti Chaturthi) कहते हैं। चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है। इस चतुर्थी पर सर्वार्थसिद्धि और इंद्र नामक शुभ योग का निर्माण हो रहा है, अत: इस चतुर्थी का महत्व अधिक बढ़ गया है। पुराणों के अनुसार पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी तथा अमावस्या के बाद की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। श्री गणेश विघ्नहर्ता है। यहां जानें खास जानकारी-
शुभ योग-
इस बार संकष्टी चतुर्थी के ये शुभ संयोग बन रहे हैं-
पहला सर्वार्थ सिद्धि योग- 17 जून 2022 को सुबह 09.56 मिनट से शुरू होकर 18 जून को प्रात: 05.03 मिनट पर सर्वार्थ सिद्धि योग का समापन होगा।
दूसरा इंद्र योग: सुबह से सायंकाल 05.18 मिनट तक।
संकष्टी चतुर्थी 2022 मुहूर्त : Sankashti Chaturthi Muhurt
इस बार आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 17 जून 2022, शुक्रवार, सुबह 06.10 मिनट से
चतुर्थी तिथि की समाप्ति: 18 जून 2022, शनिवार, तड़के 02.59 मिनट पर होगी।
17 जून को उदयातिथि के चलते शुक्रवार को यह व्रत किया जाना शास्त्र सम्मत है।
चंद्रोदय का समय- 17 जून को रात्रि 10.03 मिनट पर।
पंचांग मतभेद के चलते अलग-अलग शहरों चंद्रोदय के समय में कुछ मिनट का अंतर आ सकता है।
मंत्र-Ganesh Mantra
1. 'श्री गणेशाय नम:'
2. 'ॐ गं गणपतये नम:'
3. 'ॐ वक्रतुंडा हुं।'
4. 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'
5. एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
6. वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।
चतुर्थी पूजा विधि-Chaturthi Puja Vidhi
- प्रात:काल स्नानादि के पश्चात एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना करें।
- चांदी, पीतल, तांबे या मिट्टी के गणेश की मूर्ति नहीं है तो आप तस्वीर से काम चलाएं।
- भगवान श्री गणेश को पीले वस्त्र चढ़ाएं।
- श्री गणेश प्रतिमा को लाल रोली, कलावा, फूल, हल्दी, दूर्वा, चंदन, धूप, घी आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
- श्री गणेश को फूलों की माला पहनाएं।
- भगवान श्री गणेश के मंत्रों का जाप करें।
- इसके बाद पूरा दिन निर्जला व्रत रखें।
- मोदक का प्रसाद बनाएं तथा भगवान श्री गणेश को मोदक, लड्डू, केला, नारियल आदि का भोग लगाएं।
- आज के दिन गरीबों को खाने-पीने की चीजों का दान दें।
- पूजा के साथ इस दिन श्री गणेश नामावली, श्री गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश चालीसा का पाठ करें।
- इस दिन में अथवा गोधूली बेला में श्री गणेश दर्शन अवश्य करें।
- रात्रि में मोदक या लड्डू का भोग श्री गणेश के साथ ही चंद्रमा को भी अर्पित करके इसी लड्डू से व्रत खोलें।
- आषाढ़ मास के श्री गणेश चतुर्थी की कथा पढ़ें।
- चतुर्थी व्रत करने से मनुष्य को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।