ज्योतिष में पंचमहापुरुष योग की चर्चा बहुत होती है। पंच मतलब 5, महा मतलब महान और पुरुष मतलब सक्षम व्यक्ति। पंच में से कोई भी एक योग होता है तो व्यक्ति सक्षम हो जाता है और उसे जीवन में संघर्ष नहीं करना होता है। आओ जानते हैं कि यह पंच महापुरुष योग से एक मालव्य योग के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
क्या होता है मालव्य योग : यह योग शुक्र से संबंधित है। जिस भी जातक की कुंडली में शुक्र लग्न से अथवा चन्द्रमा से केन्द्र के घरों में स्थित है अर्थात शुक्र यदि कुंडली में लग्न अथवा चन्द्रमा से 1, 4, 7 अथवा 10वें घर में वृष, तुला अथवा मीन राशि में स्थित है तो कुंडली में मालव्य योग बनता है।
असर : मालव्य योग का जातक सौंदर्य और कला प्रेमी होता है। काव्य, गीत, संगीत, फिल्म, कला और इसी तरह के कार्यों में वह सफलता अर्जित करता है। उसमें साहस, पराक्रम, शारीरिक बल, तर्क करने की क्षमता तथा समयानुसार उचित निर्णय लेने की क्षमता भी गजब की होती है।
ज्योतिष ग्रंथ बृहत् पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार मालव्य योग में जन्मा व्यक्ति आकर्षक होंठ वाला, चन्द्र के समान कांति वाला, गौरवर्ण, मध्यम कद, धवल एवं स्वच्छ दंतावलियुक्त, हस्तिगर्जनायुक्त, लंबी भुजाएं, दीर्घायु एवं भौतिक-सांसारिक सुखों को भोगते हुए जीवन व्यतीत करता है।
मालव्य योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति आकर्षक, कांतिमान, पुष्ट शरीर वाला, धैर्यवान, विद्वान, प्रसन्नचित्त रहने वाला, सदैव वृद्धि को प्राप्त करने वाला, विवेकशील बुद्धि का धनी होता है। उसको समस्त ऐश्वर्य, धन-संपत्ति, संतान सुख आदि सहज ही प्राप्त हो जाते हैं। वह सौभाग्यशाली होता है, उसे भौतिक सुख आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। वाहनों का पर्याप्त सुख तथा उसकी कीर्ति और प्रसिद्धि सर्वत्र फैलती है। वह जन्मजात विद्वान होता है, सुबोध मति वाला और सुखों को आजीवन भोगने वाला होता है।