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Kushotpatni Amavasya : कुशोत्पाटनी अमावस्या 18 और 19 अगस्त को,जानिए महत्व

Kushotpatni Amavasya : कुशोत्पाटनी अमावस्या 18 और 19 अगस्त को,जानिए महत्व - Kushotpatni Amavasya 2020
मत-मतांतर से 18 और 19 अगस्त को भाद्रपद माह की कुशोत्पाटनी अमावस्या है। इसे कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है। कुछ लोग इसे कुशोत्पाठिनी अमावस्या और पोला पिठोरा भी कहते हैं। कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा को उखाड़ना या उसका संग्रहण करना। इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों, पूजा-पाठ आदि के लिए वर्ष भर तक चलने वाली कुशा का संग्रहण किया जाता है। सामान्यत: किसी भी अमावस्या को उखाड़ा गया कुश 1 मास तक प्रयोग किया जा सकता है।
 
कुशा का प्रयोग हिंदू पूजा में प्रमुख रूप से किया जाता है। न केवल पूजा बल्कि श्राद्ध आदि में भी कुशा का इस्तेमाल किया जाता है। इस कारण यह अमावस्या कुशा के संग्रहण का दिन होता है। स्नान, दान और तर्पण के लिए अमावस्या की तिथि का बहुत अधिक महत्व है। वेबदुनिया के ज्योतिषी पंडित सुरेंद्र बिल्लौरे के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 18 अगस्त 2020 को मनाना ही शास्त्र सम्मत है....
 
महत्व
इस अमावस्या पर धार्मिक कार्यों के लिए कुश एकत्रित की जा सकती है। कुश को हमारे शास्त्रों में विशेष शुद्ध माना गया है। हमारे शास्त्रों में जप इत्यादि करते समय कुश को पावित्री के रूप में धारण करने का नियम है। कुश उखाड़ने के लिए श्रद्धालुओं को निम्न रीति का प्रयोग करना चाहिए। 
 
इसे पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता हैं हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध कर्म, तर्पण, पिंडदान आदि के लिए खास माना जाता है।

यह तिथि दान-पुण्य, कालसर्प दोष निवारण के लिए भी महत्वपूर्ण मानी गई है। 
 
भाद्रपद अमावस्या में परिवार की सुख-शांति और धन-संपदा की प्राप्ति के लिए भी अनेक उपाय किए जाते हैं।

भाद्रपद माह की इस अमावस्या को पिथौरा अमावस्या भी कहा जाता है, इस दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। विवाहित स्त्रियों द्वारा संतान की प्राप्ति एवं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए देवी दुर्गा की पूजा की जाती है।
 
 
इस बार भाद्रपद माह की अमावस्या 18 अगस्त को मंगलवार के दिन है। 
 
अमावस्या तिथि आरंभ – सुबह 10:39 बजे (18 अगस्त 2020)
अमावस्या तिथि समाप्त – सुबह 08:11 बजे (19 अगस्त 2020)
 
कुछ लोग अमावस 19 अगस्त 2020 को मनाने का समर्थन कर रहे हैं....

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