शनिवार, 21 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. ज्योतिष
  3. आलेख
  4. khar maas

खर मास में शुभ कार्य वर्जित क्यों है ....

खर मास में शुभ कार्य वर्जित क्यों है .... - khar maas
सूर्यदेव के गुरु की राशि में प्रवेश करते ही 15 मार्च 2018 से खरमास शुरू हो गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य जब गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते है तो उस घड़ी को खरमास माना जाता है और खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। यह मास 14 अप्रैल 2018 तक रहेगा। 
 
इस माह में सूर्यदेव की उपासना से मिलता है सर्वश्रेष्ठ फल :-
 
खरमास की इस अवधि में जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, नव गृह प्रवेश, विवाह आदि नहीं करना चाहिए। इसे शुभ नही माना गया है। वहीं विवाह आदि शुभ संस्कारों में गुरु एवं शुक्र की उपस्थिति आवश्यक बतायी गई है। ये सुख और समृद्धि के कारक माने गए हैं। खरमास में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, किंतु मंगल शहनाई नहीं बजती।  इस माह में सभी राशि वालों को सूर्यदेव की उपासना अवश्य करनी चाहिए। 
 
 
गुरु का ध्यान सूर्यदेव पर : 
 
इसका एक धार्मिक पक्ष यह भी माना जाता है कि जब सूर्यदेव बृहस्पति के घर में प्रवेश करते हैं जो देव गुरु का ध्यान एवं संपूर्ण समर्पण उन पर ही केंद्रित हो जाता है। इससे मांगलिक कार्यों पर उनका प्रभाव सूक्ष्म ही रह जाता है जिससे इस दौरान शुभ कार्यों का विशेष लाभ नहीं होता। इसलिए भी खरमास में मंगल कार्यों को करना उत्तम नहीं बताया गया है।
ये भी पढ़ें
गुड़ी पड़वा : आनंद, विजय और परिवर्तन का उत्सव