Hariyali amavasya 2024: हरियाली अमावस्या पर भाग्योदय और उन्नति के लिए आजमाएं 5 अचूक उपाय
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हरियाली अमावस्या पर क्या करें।
हरियाली अमावस्या के आसान उपाय।
हरियाली अमावस्या कब है 2024 में।
Hariyali Amavasya Upay: हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार सावन मास की अमावस्या की तिथि 03 अगस्त 2024, दिन शनिवार को दोपहर 03 बजकर 50 मिनट पर शुरू हो रही है और श्रावण कृष्ण अमावस तिथि का समापन 04 अगस्त 2024, दिन रविवार को 04 बजकर 42 मिनट पर होगा। अत: उदयातिथि के हिसाब से हरियाली अमावस्या रविवार, 04 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी।
धार्मिक ग्रंथों में हरियाली अमावस्या को श्रावण अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर कुछ खास उपाय करने से जीवन में उन्नति और भाग्योदय होता है।
तो आइए इस लेख में यहां जानते हैं 5 सरल उपाय...
1. श्रावण/ सावन और अमावस्या के योग में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अराधना करने से मनुष्य को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। और भाग्य का उदय होता है। इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव जी का पंचामृत से अभिषेक-पूजन करने से उन्नति के रास्ते खुलेंगे।
2. हरियाली अमावस्या के दिन गेहूं और ज्वार की धानी खिलाने तथा खाने का विशेष महत्व है, इस दिन झुला झूलने भी लाभकारी रहता है। श्रावणी अमावस्या पर काली चीटियों को चीनी मिला आटा खिलाना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस उपाय से संपन्नता आती है।
3. हरियाली अमावस्या के दिन सायंकाल के समय गाय के घी का एक दीया लगा कर तथा उस बत्ती में रुई की जगह लाल रंग का धागा इस्तेमाल करने से आर्थिक तरक्की के रास्ते खुलते हैं। इस दिन लाल धागे की बत्ती के साथ ही दीये में थोड़ी केसर डालकर घर के ईशान कोण में जलाना उचित रहता है।
4. अमावस्या तिथि पर भगवान शिवशंकर को खीर और मालपुए का भोग लगाने का भी रिवाज है। इससे भी भोलेनाथ प्रसन्न होकर उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। यदि किसी कारणवश यह संभव न हो तो शिव जी को शकर का भोग अवश्य ही चढ़ाएं।
5. अमावस्या पर सुबह दैनिक कार्यों तथा स्नानादि से निवृत्त होने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। यह गोलियां बनाते समय ईश्वर का नाम लेते रहें। इसके बाद किसी तालाब या नदी तट पर जाकर आटे की यह गोलियां मछलियों को खिलाएं, इस उपाय से आपके जीवन की समस्त परेशानियों का अंत होकर भाग्योदय और उन्नति होती हैं। यदि संभव हो तो इसे अपनी दिनचर्या में अपनाएं। यह संभव न हो तो चौदस, अमावस्या तथा पूर्णिमा को यह उपाय अवश्य करें।
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