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Last Modified: शुक्रवार, 1 जुलाई 2022 (14:20 IST)

2 जुलाई बुध का गोचर बनाएगा बुधादित्य योग, जानिए कुंडली में यह युति है तो क्या होगा शुभ संयोग

Budhaditya Yoga
बुध ग्रह 02 जुलाई, शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 40 मिनट पर वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। इसके बाद बुध का कर्क राशि में गोचर 17 जुलाई, 2022 की सुबह 12:15 बजे होगा। दूसरी ओर 15 जून 2022, बुधवार से सूर्य ग्रह मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं। जहां 16 जुलाई 2022, तक वहीं रहेंगे और उसके बाद कर्क में गोचर करेंगे। बुध और सूर्य की युति को बुधादित्य योग कहा जाता है। आओ जानते हैं कि कुंडली में यह युति है तो क्या होगा शुभ संयोग।
 
 
बुधादित्य योग: बुध और आदित्य के मिलने से बुधादित्य योग बनता है। आदित्य अर्थात सूर्य। यानी सूर्य और बुध की युति के कारण यह योग बनता है। बुधादित्य नाम से विख्यात यह योग अलग-अलग भावों में अतिविशिष्ट फल प्रदान करने वाला होता है। इस योग को शुभ माना जाता है। यह योग जिस भी राशि में बन रहा है उसे और उसकी मित्र राशि सहित दृष्टि भाव जहां पर है उसे विशेष फल प्रदान करता है।
 
प्रथम भाव : लग्न यानी प्रथम भाव में यह योग बनता है तो जातक मान-सम्मान और प्रसिद्धि प्राप्त करता है। स्वभाव से साहसी, स्वाभिमानी और बुद्धिमान होता है। धन प्राप्ति में अड़चने नहीं आती है।
 
द्वितीय भाव : यदि दूसरे भाव में यह योग बन रहा है तो जातक धनवान होता है। उसका वैवाहिक जीवन भी सुखद रहता है। स्वभाव से वह तार्किक और गंभीर रहता है। व्यापारी और पड़ाकू होता है।
 
तृतीय भाव : तीसरे भाव में यह योग बन रहा है तो जातक की रचनात्मक कार्यों में रुचि रहती है। अच्‍छे और ऊंचे पद को प्राप्त करने में सफल होता है। भाई-बहनों में के प्रति स्नेही होता है। नौकरी या व्यापार में सफल रहता है। 
 
चतुर्थ भाव : चौथे भाव में यदि यह योग है तो जातक का जीवन हर तरह से सुखी रहता है। भूमि, भवन, वाहन, स्त्री सुख सभी प्राप्त होता है। किसी संस्था का प्रधान बन सकता है या उच्च अधिकारी बनता है।
 
पंचम भाव : यदि पांचवें भाव में यह योग बन रहा है तो जातक नेतृत्व क्षमता रखता है। कला प्रिय होने के साथ ही वह कई क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करता है। यदि संतान होती है तो उसकी संतान भी प्रतिभाशाली होती है।
 
छठा भाव : यदि छठवें भाव में यह योग बन रहा है तो जातक एक ज्योतिष, डॉक्टर, वकील या जज बन सकता है। कारोबारी है तो खूब धन तथा प्रसिद्धि प्राप्त करता है। रोग और शत्रुओं को परास्त करने की क्षमता रखता है।
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सप्तम भाव : यदि सातवें भाव में यह योग बन रहा है तो वैवाहिक जीवन और साझेदारी के व्यापार में उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। हालांकि अच्छे ग्रहों की दृष्टि है तो सभी कुछ सुखमय रहेगा। चिकित्सक, समाजसेवी, अभिनेता या किसी के सहायक बनकर मान-सम्मान प्राप्त कर सकते हैं। 
 
अष्टम भाव : यदि आठवें भाव में यह योग बन रहा है तो जातक को पैतृक संपत्ति से लाभ मिल सकता है। आध्यात्म की ओर रूझान रहता है। जातक को समाज सेवा में भी रुचि रहती है। हालांकि घटना दुर्घटना होने का भय बना रहता है।
 
नवम भाव : यदि नवम भाव में यह योग बन रहा है तो जातक कई क्षेत्रों में अपना भाग्य आजमाता है और सफल भी होता है। यह योग उच्च पद प्रदान करता है। जातक का स्वभाव अहंकारी होता है जो उसके पतन का कारण भी बनता है।
 
दशम भाव : यदि दशम भाव में यह योग बन रहा है तो जातक नौकरी या व्यवसायिक क्षेत्र में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त करता है। यह योग जातक को अनुसंधानकर्ता, अविष्कारक और खोजी बनाता है। जातक धन कमाने में माहीर होता है। संतान सुख भरपूर रहता है और धार्मिक कार्यो में भी इसकी रु‍चि रहती है।
 
ग्यारहवां भाव : यदि ग्यारहवें भाव में यह योग बन रहा है तो में यदि बुधादित्य योग हो तो जातक को बहुत मात्रा में धन प्रदान कर सकता है तथा इस प्रकार के बुध आदित्य योग के कारण जातक सरकार में मंत्री पद अथवा कोई अन्य प्रतिष्ठा अथवा प्रभुत्व वाला पद भी प्राप्त कर सकता है। यशस्वी, ज्ञानी, संगीत विद्या प्रिय, रूपवान एवं धनधान्य से संपन्न करवाता है। लोकसेवा के लिए सरकार एवं अनेक प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति भी होती है।
 
द्वादश भाव : यदि बारहवें भाव में योग बन रहा है तो जातक के विदेश जाकर धन अर्जित करने की संभावना है। वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा लेकिन गलत कार्य करने, जुआ, सट्टा, शेयर बाजार आदि का कार्य करने से बर्बाद भी हो जाएगा।
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