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Written By ND

अच्छी बारिश में नक्षत्रों का रोड़ा

सूर्य का आर्द्रा में प्रवेश 22 को

बारिश
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मौसम विज्ञानी चाहे अच्छी बारिश के लाख दावे कर लें, लेकिन हिन्दी पंचांगों के अनुसार इस साल बारिश में नक्षत्रों का रोड़ा है। ग्रहों की दशा बता रही है कि इस साल अपेक्षाकृत बारिश कम होगी। केवल 75-80 प्रतिशत वर्षा के आसार हैं, जिसका असर फसलों और उसके दामों पर दिखेगा। इस साल ग्रहों का राजा और वर्षा का स्वामी मंगल है। ग्रहों की दशा वर्षा का संतुलन बिगाड़कर उसे कहीं-कहीं उसे विनाशकारी बना सकती है।

पंडित चंद्रशेखर दत्त त्रिपाठी ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस साल संवत्सर 'शोभन' नाम से है। इस साल पुष्कर नामक मेघ आएगा, जिससे मध्यम दर्जे की वर्षा होगी। रो‍हिणी का निवास पर्वत पर होने से वर्षा अल्प होगी। वर्षा के मध्य में संवत्सर का निवास कुम्हार के घर होने से अनावृष्टि का संयोग दुख का कारण बनेगा।

फसलों के अनुरूप नहीं : ग्रहों का राजा और वर्षा का स्वामी मंगल होने के कारण पानी के नाम से वर्ष भर विवाद की स्थिति बनी रहेगी। त्रिपाठी ने बताया कि फसलों के स्वामी इस साल शुक्र है, इसलिए गन्न, गेहूँ, फूल-फलों के पैदावार बढ़ेंगे। वहीं चना, मसूर में तेजी रहेगी। मंगल के कारण वर्षा फसलों के अनुरूप नहीं होगा।

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22-23 को आर्द्रा नक्षत्र : पंडित आशुतोष झा ने बताया कि ज्येष्ठ शुक्ल नक्षत्र यानी 22-23 जून को आर्द्रा नक्षत्र का प्रवेश होगा। इस साल स्वाति नक्षत्र, शिव योग एवं चंद्रमा स्वामी रहेगा। सूर्य आर्द्रा में प्रवेश करेगा। पूरा वर्ष सामान्य वृष्टि का योग रहेगा। मंगल मेघेश होने के कारण अपेक्षाकृत बारिश कम होगी। वहीं कहीं-कहीं प्रदेश के तटीय क्षेत्र में भंयकर बारिश होगी।

तापमान में होगी बढ़ोतरी : कहीं अधिक, कहीं कम वर्षा से क्षति की आशंका है। पूरा वर्ष आपाधापी का होगा और तापमान में वृद्धि होगी। रसों का स्वामी सूर्य है, वह भी वर्षा पर प्रभाव डालेगा। दूध, घी एवं तेल का उत्पादन कम होगा। वस्त्र, सरसों, गुड़ एवं शक्कर में तेजी आएगी। निरस पदार्थों का स्वामी स्वामी शुक्र है। गंधयुक्त पदार्थ, सोना, मोती आदि के भाव गिरेंगे। कलपुर्जे, मशीनरी, लौह, धातु पदार्थों के दाम बढ़ेंगे।

त्रिपाठी ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन रोहणी नक्षत्र होना चाहिए, जो इस साल नहीं है। पूस अमावस्या मूल नक्षत्र में होना चाहिए, जो नहीं है। रक्षाबंधन श्रवन नक्षत्र में होना चाहिए, जो नहीं है। कार्तिक पूर्णिमा में कृतिका नक्षत्र पूर्ण के बजाय आंशिक रूप से होगा। इससे वर्ष की समग्र कार्यप्रणाली जैसे-तैसे चलेगी, लेकिन सुखदायी नहीं होगी। कहीं-कहीं अनावृष्टि का कहर अधिक होगा। जानवरों को चारे के लिए लाले पड़ेंगे। आँधी तूफान का प्रकोप बढ़ेगा।