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Written By भाषा

स्वायत्ता से छेड़छाड़ नहीं कर सकते:रणधीर

स्वायत्ता से छेड़छाड़ नहीं कर सकते:रणधीर -
अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति (आईओसी) के सदस्य और भारतीय ओलिम्पिक संघ (आईओए) के महासचिव रणधीर सिंह ने खेल महासंघों पर शीर्ष पदाधिकारियों के कार्यकाल को सीमित करने के खेल मंत्रालय के नियम के बारे में कहा कि आईओसी ने हाल में हुई बैठक में स्पष्ट रूप से कह दिया है कि खेल महासंघों की स्वायत्ता के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।

आईओए और खेल मंत्रालय के बीच तनातनी जब शुरू हुई थी, जब खेल मंत्री एमएस गिल ने देश में खेल प्रशासकों के कार्यकाल को सीमित करने के दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसके बाद यह मुद्दा आईओसी के समक्ष पहुँच गया था और फिर अंतरराष्ट्रीय संस्था को दोनों पक्षों से बात करनी पड़ी। पिछले दिनों दोनों पक्षों से हुई बैठक में आईओसी ने यह मामला सुलझा दिया।

इस बारे में पूछने पर रणधीर ने कहा कि आईओसी से बैठक में साफ हो गया कि खेल महासंघ की स्वायत्ता कितनी जरूरी है। आईओसी के संविधान में भी इसका जिक्र है और अब तो यह उनकी वेबसाइट पर भी आ गया है, आप इसे देख सकते हैं। यह नियम ओलिम्पिक चार्टर का उल्लंघन है। ओलिम्पिक संविधान में साफ लिखा है कि सुशासन सबसे अहम है।

रणधीर ने कहा कि ओलिम्पिक चार्टर के मुताबिक खेल और एथलीटों के फायदे को ध्यान में रखते हुए सरकारी अधिकारियों को ओलिम्पिक आंदोलन का सम्मान करना होगा।

यह पूछने पर कि आईओसी के साथ हुई बैठक के बाद क्या सरकार ने इस नियम पर पीछे हटने का फैसला कर लिया तो उन्होंने कहा कि आईओसी ने साफ कर दिया कि ओलिम्पिक चार्टर में क्या लिखा है और इसका उल्लघंन नहीं किया जा सकता। कोई भी देश इस ओलिम्पिक आंदोलन के खिलाफ नहीं जा सकता।

रणधीर सिंह की अगुआई में आईओए के दल और संयुक्त सचिव आई श्रीनिवास की नेतृत्व में खेल मंत्रालय ने इस मुद्दे पर आईओसी से बैठक की थी।

एशियाई ओलिम्पिक परिषद (ओसीए) के महासचिव रणधीर ने कहा कि इस तरह का नियम बनाकर ओलिम्पिक चार्टर का उल्लघंन नहीं किया जा सकता क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का सम्मान दाँव पर लगा है।

उन्होंने कहा कि इसमें भारत का सम्मान दाँव पर लगा है और ऐसा नियम बनाकर देश ओलिम्पिक चार्टर का उल्लंघन नहीं कर सकता। सभी देशों को ओलिम्पिक चार्टर का सम्मान करना होगा। रणधीर ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में काफी कम समय रह गया है और इससे पहले इस तरह का मुद्दा नहीं खड़ा किया जाना चाहिए था। (भाषा)