जब राहुल गाँधी ने सीखे मुक्केबाजी के गुर
राहुल गाँधी भले ही हमेशा कमांडो से घिरे रहते हों लेकिन इस युवा राजनीतिज्ञ ने आत्मरक्षा के लिए भारत के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त कोच ओमप्रकाश भारद्वाज से मुक्केबाजी के गुर सीखे।भारद्वाज ने बताया कि राहुल ने पिछले साल उनसे दो महीने मुक्केबाजी की तकनीक सीखी ताकि व्यस्त राजनीतिक जीवन में खुद को शारीरिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर फिट रख सकें। उन्होंने कहा कि पिछले साल दो महीने राहुल को मुक्केबाजी सिखाना मेरे लिए अच्छा अनुभव रहा।उन्होंने कहा कि शुरुआत में मुझे अचरज हुआ कि वे मुक्केबाजी क्यों सीखना चाहते हैं क्योंकि वे रिंग में मुक्केबाजी तो कभी नहीं करेंगे लेकिन बाद में पता चला कि वे आत्मरक्षा की कला के बारे में जानने के इच्छुक हैं।सत्तर बरस के कोच सह कमेंटेटर ने बताया कि राहुल की खेलों में अपार रुचि है और वे अच्छे निशानेबाज, तैराक और घुड़सवार हैं। उन्हें विभिन्न गतिविधियों के बारे में जानने का शौक है।भारद्वाज ने कहा कि उन्हें एक भी मिनट व्यर्थ गँवाना पसंद नहीं। वे शारीरिक तौर पर बहुत फिट हैं और बहुत तेजी से सीखते हैं। भारद्वाज ने बताया उन्हें मुक्केबाजी की कुछ तकनीकों के बारे में पहले से पता था। उन्होंने मुझसे इन पर बात भी की।उन्होंने कहा कि वे शारीरिक तौर पर बहुत फिट हैं। मैंने उनकी व्यस्त दिनचर्या को देखते हुए हलका अभ्यास बताया और अपने घर के मैदान का एक चक्कर लगाने को कहा।उन्होंने हालाँकि मुझसे पूछा कि क्या इतना ही काफी है और उन्होंने दो चक्कर और लगाए। उन्होंने राहुल की विनम्रता और शिष्टाचार की भी तारीफ की।उन्होंने कहा कि एक दिन मुझे पीने का पानी चाहिए था तो किसी नौकर को कहने के बजाय वे खुद किचन में जाकर मेरे लिए पानी लेकर आए। इसके बाद एक दिन वे मुझे गेट तक छोड़ने आ रहे थे तो सोनियाजी ने उन्हें बुलाया, उन्होंने जवाब में कहा मैं सर को गेट तक छोड़ आऊँ फिर आता हूँ। भारद्वाज ने बताया कि एक बार प्रियंका गाँधी वढेरा ने भी मुक्केबाजी सत्र के दौरान अपने हाथ आजमाए।