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Written By वार्ता

शेयर बाजार में जारी रहेगी उथल-पुथल

शेयर बाजार में जारी रहेगी उथल-पुथल -
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अनिश्चितता और घरेलू आर्थिक परिदृश्य लगातार घुँधला बने रहने से निवेशकों के मन में जारी शंका से देश के शेयर बाजारों में आगामी सप्ताह भी उथल-पुथल रहने की संभावना है।

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बाजार विश्लेषकों के मुताबिक बीते सप्ताह विदेशी शेयर बाजारों का जो बुरा हाल रहा, उसे देखते हुए इस बात की पूरी आशंका है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का दबाव आगे भी जारी रहेगा।

बीते सप्ताह सरकार द्वारा तीसरे राहत पैकेज की घोषणा भी शेयर बाजार में जान नहीं फूँक सकी और मुंबई स्टॉक एक्सचेंज के बीएसई सेंसेक्स में कुल 565.79 अंक अर्थात 6.36 प्रतिशत की गिरावट आई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 143.50 अंक अर्थात 5.19 फीसदी लुढ़क गया। बीएसई के मिडकैप में 171.99 अंक की गिरावट रही और स्मालकैप 194.28 अंक गिरा।

विदेशी बाजारों में बीते सप्ताह छह वर्ष की सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई, जिसके कारण सप्ताह की शुरुआत में ही शेयर बाजार कमजोर खुले। देश के निर्यात और आयात के बारे जारी कमजोर सरकारी आँकड़ों ने भी इस पर असर डाला। पिछले कारोबारी सत्र के पाँच दिनों में तीन दिन शेयर बाजार गिरावट में रहे। हालाँकि शुक्रवार को सत्र के आखिर दिन ॉर्ट कवरिंग की वजह से सेंसेक्स 128 अंक तथा निफ्टी 43 अंक उपर चढ़कर बंद हुआ।

ब्रोकरों का कहना है कि शुक्रवार को आई तेजी के बावजूद आम तौर पर बाजार में खरीदारी का अभाव ही रहा। अमेरिका में गिरवी संकट रिकॉर्ड स्तर पर पहुँचने, बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन करने वालों की संख्या 6 लाख होने और बैंकिंग व्यवस्था पर खतरा देखते हुए यूरोपीय केन्द्रीय बैंको द्वारा मुख्य ब्याज दरों में आधा फीसदी की कटौती इस बात का संकते देती रही की विश्व आर्थिक परिदृश्य खराब बना हुआ है, ऐसे में घरेलू शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का दबाव बना रहा।

विदेशी निवेशक इस वर्ष फरवरी तक बाजार से कुल 2707 करोड़ रुपए की निकासी कर चुके हैं और 4 मार्च तक यह आँकड़ा बढ़कर 8519.30 करोड़ रुपए तक पहुँच चुका है।

  विशेषज्ञों की मानें तो आगामी सप्ताह भी बाजार के लिए कुछ बेहतर संकेत वाला नहीं होगा। आम चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार को लेकर भी निवेशकों के मन में दुविधा है और जब तक यह परिदृश्य साफ नहीं हो जाता बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा।      
अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपए में बीते सप्ताह तीन मार्च को 52.20 रुपए प्रति डॉलर की रिकॉर्ड गिरावट आने से आउटसोर्सिंग करने वाली सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई, क्योंकि इनकी आमदनी का बड़ा हिस्सा सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट से आता है।

विप्रो के शेयर 2.82 प्रतिशत, टीसीएस के शेयर 0.04 प्रतिशत, सत्यम कम्प्यूटर के शेयर 1.45 प्रतिशत लाभ में रहे। हालाँकि देश की दूसरी बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इन्फोसिस के शेयर 0.98 फीसदी नुकसान में रहे।

हालाँकि जानकारों का कहना है कि इन कंपनियों की आमदनी का मार्जिन बढ़ने के बावजूद शेयर बाजार पर इसका खास असर नहीं दिखेगा, क्योंकि बिक्री पर संकट बना रहेगा।

घरेलू ढाँचागत क्षेत्र की उत्पादन वृद्धि दर पिछले वर्ष के 3.6 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष जनवरी में घटकर 1.4 फीसदी रहने से इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के शेयर घाटे में रहे। डीएलएफ के शेयर 4.22 फीसदी इंडिया बुल्स के शेयर 4.68 प्रतिशत और यूनीटेक के शेयर 7.45 प्रतिशत की गिरावट आई।

लंदन धातु बाजार में तेजी से धातुओं के शेयर उठे। हिंडाल्को 1.81 प्रतिशत और स्टरलाइट इंडस्ट्रीज के शेयर 2.06 प्रतिशत ऊपर गए, जबकि टाटा स्टील और नाल्कों के शेयरों को खराब उत्पादन आँकड़ों के कारण घाटा हुआ।

माँग घटी रहने के कारण ऑटो क्षेत्र और उपभोक्ता उत्पादों से जुड़ी कंपनियों के शेयर मंदी में रहे। रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस पेट्रोकेमिकल के विलय की घोषणा के बावजूद इसके शेयर घाटे में रहे। उधर, ओएनजीसी के शेयर भी 2.56 प्रतिशत लुढ़क गए। सुस्त अर्थव्यवस्था में डिफाल्टर के बढ़ते डर से बैंकिंग शेयर भी कमजोर रहे।

गृहमंत्री पी. चिंदबरम और वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी के छह मार्च को आए इस बयान से कि देश में आर्थिक मंदी इस वर्ष सितंबर तक बनी रह सकती है और इसके बाद ही कुछ सुधार होगा शेयर बाजारों पर खराब असर डाला।

विशेषज्ञों की मानें तो आगामी सप्ताह भी बाजार के लिए कुछ बेहतर संकेत वाला नहीं होगा। आम चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार को लेकर भी निवेशकों के मन में दुविधा है और जब तक यह परिदृश्य साफ नहीं हो जाता बाजार में अनिश्चितता का माहौल बना रहेगा।