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Written By WD

प्रकृति और सांस्कृतिक धरोहर का पालना- उत्तरप्रदेश

प्रकृति और सांस्कृतिक धरोहर का पालना- उत्तरप्रदेश -
आगरा : मुगल शहंशाह शाहजहाँ और मुमताज बेगम के अमर प्रेम के प्रतीक ताजमहल का शहर। मुगल शहंशाहों के जमाने में भारत की राजधानी, विश्व के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक।

दिल्ली से दूरी लगभग 200 किलोमीटर। भारत के प्रमुख शहरों से हवाई सड़क और रेल मार्गों द्वारा जुड़ा हुआ। तापमान गर्मियों में 45-21, सर्दियों में 31-4.2।

अन्य दर्शनीय स्थल : दयाल बाग, फतेहपुर सीकरी। 60 किलोमीटर दूर भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य। कृष्ण भक्तों का प्रमुख उपासना स्थल मथुरा और ब्रजभूमि भी निकट ही है।

वाराणसी : प्रमुख हिंदू तीर्थ। संभवतः भारत का प्राचीनतम्‌ नगर। भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों क्रमांक 2, 7 और 29 के जंक्शन पर स्थित।

हिंदुओं का पवित्रतम्‌ तीर्थ स्थल रानी अहिल्याबाई होलकर द्वारा सन्‌ 1777 में निर्मित विश्वनाथ मंदिर के अलावा बनारस के गंगाघाट विदेशियों के लिए भी बहुत बड़े आकर्षण का केंद्र हैं। हिंदू तीर्थ के अलावा वाराणसी में ज्ञानव्यापी मस्जिद 1 तथा 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित। बौद्ध तीर्थ स्थान सारनाथ है। यहाँ केंद्रीय तिब्बतीय अध्ययन संस्थान भी है और कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश 'महा-धर्म-चक्रप्रवर्तन' यहीं पर दिया था। उसी के स्मारक के रूप में यहाँ सम्राट अशोक महान ने एक स्तूप का निर्माण भी किया।

14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रामनगर संग्रहालय पुरातत्व प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र। 80 किलोमीटर दूर विंध्याचल शक्तिपीठ, अष्टभुजा विंध्यवासिनीदेवी का मंदिर।

प्रमुख मेले तथा उत्सव : बुद्ध पूर्णिमा, सारनाथ मई महीने में, रामलीला, ध्रुपद मेला, हनुमंत जयंती, भरत मिलाप, नाककटैया मेला, महाशिवरात्रि, पर्यटन महोत्सव, गंगा महोत्सव। प्रतिवर्ष प्रबोधिनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक (अक्टूबर-नवंबर)

संग्रहालय और कला वीथिकाएँ : भारत कला भवन, फोर्ट म्यूजियम तथा एबीसी आर्ट, बनारसी साड़ियाँ।

लखनऊ : मुस्लिम तहजीब, नजाकत और नफाजत का शहर लखनऊ उत्तरप्रदेश की राजधानी। लजीज कबाब और चिकन के कुर्तों का शहर लखनऊ देश के सभी बड़े शहरों से विमान, सड़क तथा रेलमार्गों से जुड़ा हुआ है। दिल्ली और खजुराहो से दूरी क्रमशः 569 तथा 320 किलोमीटर।

प्रमुख दर्शनीय स्थल : बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाजा, हुसैनाबाद, जामा मस्जिद, रेसीडेंसी, विधानसभा भवन तथा ब्रिटिश जमाने का स्मारक लामारतीनियरे।

इलाहाबाद : गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित इलाहाबाद या प्राचीन प्रयाग हिंदुओं के प्रमुखतम तीर्थस्थानों में से एक। प्रति बारह वर्र्षों में आयोजित होने वाले महाकुंभ, मदनमोहन मालवीय के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का शहर। नेहरू परिवार एवं आनंद भवन का शहर, अमिताभ बच्चन का शहर, इलाहाबाद भारत में राजनीति, साहित्य, संस्कृति एवं धर्म का केंद्र।

दर्शनीय स्थल : संगम, इलाहाबाद किला, पातालपुरी, हनुमान मंदिर, खुसरो बाग, आनंद भवन, ऑल सेंड्स गिरजाघर।

ऑल सेंड्स गिरजाघर : कलकत्ता के विक्टोरियल मेमोरियल के वास्तुकार विलियम एमरसम द्वारा तेरहवीं सदी की गोथिक शैली में निर्मित।

निकटवर्ती आकर्षण : कौशाम्बी 60 किलोमीटर, बौद्ध तथा जैन धर्म का केंद्र, चित्रकूट 137 किलोमीटर, हिंदू तीर्थ स्थान। भगवान राम वनवास अवधि में यहाँ रहे, चित्रकूट में ही कामदगिरि, रामघाट, जानकीकुंड, हनुमान धारा, गुप्त गोदावरी तथा सती अनुसूया आश्रम। इलाहाबाद से वाराणसी 125 किलोमीटर और अयोध्या 167 किलोमीटर।

देहरादून : हिमालय और शिवालिक पर्वतमालाओं, गंगा तथा यमुना के बीच स्थित देहरादून वानिकी अनुसंधान केंद्र, भारतीय सैनिक अकादमी तथा भारतीय सर्वेक्षण संस्थान।

ऋषिकेष : ऋषि-मुनियों की विचरण स्थली तथा विश्व की योग राजधानी के रूप में मशहूर ऋषिकेष अपने आश्रमों तथा गंगा के घाटों तथा गंगा पर 1929 में बने झूलते पुल लक्ष्मण झूला के लिए प्रसिद्ध है। त्रिवेणी घाट, 13 मंजिला कैलाश आनंद मिशन आश्रम, योग निकेतन, वेद निकेतन, शिवानंद आश्रम ऋषिकेष के प्रमुख आकर्षण हैं।

हिंदू संस्कृति, धर्म एवं योग विराग के लिए प्रख्यात्‌ ऋषिकेष को देहरादून, हरिद्वार तथा दिल्ली से (300 किलोमीटर लगभग) द्वारा रेल, वायु तथा सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है।

कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान : सन्‌ 1936 में स्थापित भारत का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान। मशहूर अंग्रेज शिकारी और 'द मैन ईटर्स ऑफ कुमाऊँ' पुस्तक के लेखक जिम कार्बेट की स्मृति में स्थापित इस उद्यान के साथ अब सोन नदी वन्य जीव अभयारण्य को भी जोड़ दिए जाने के बाद अब इस उद्यान का क्षेत्रफल 520 से बढ़कर 1318 वर्ग किलोमीटर हो गया है।

कुमाऊँ के तत्कालीन ग्रामीणजन के बीच कार्बेट को बड़ी इज्जत से देखा जाता था, क्योंकि उन्होंने अनेक आदमखोर शेरों का शिकार कर राहत पहुँचाई, मगर बाद में कार्बेट ने बंदूक के बजाय कैमरे से वन्य प्राणियों को शूट करना शुरू कर दिया और इसीलिए उन्हें अब वन्य जीव संरक्षक के रूप में ही याद किया जाता है।

कार्बेट पार्क में मौका लगने पर शेरों को भी स्वच्छंद विचरण करते हुए देखा जा सकता है। यहाँ विविध पशु-पक्षी जैसे लंगूर, मोर, चीतल, सांभर, मगर, घड़ियाल आदि देखने को मिल जाते हैं। पक्षी निहारने के शौकीनों के लिए तो कार्बेट स्वर्गोपम है।

हिमालय की तराई में रामगंगा नदी के तट पर स्थित कार्बेट पार्क में रात में रुकने के लिए अनुमति रामनगर स्थित पार्क 'स्वागत केंद्र' से लेनी होती है।

मसूरी : देहरादून से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मशहूर पर्वतीय सैरगाह। दो हजार मीटर की ऊँचाई पर स्थित अंग्रेजों द्वारा विकसित मसूरी को हिल स्टेशनों की रानी कहा जाता है। मसूरी में आप सर्दियों में बर्फ, बसंत में हरे-भरे वृक्षों और फूलों की वादियों, गर्मियों में शीतल बहारों और बारिश में देवदार के वृक्षों पर तैरते बादलों और रहस्यमय धुँध का आनंद ले सकते हैं।

निकटतम विमानतल 58 किलोमीटर, इसके अलावा देहरादून से रेल यात्रा, सड़क मार्गों से जुड़ा हुआ। प्रमुख दर्शनीय स्थल सुप्त ज्वालामुखी, गन हिल जहाँ रज्जू मार्ग (रोप-वे) से पहुँचेंगे। पंद्रह किलोमीटर यमुनेत्री मार्ग पर केम्परी प्रपात। निकट के सैरगाह धनोल्ली देवदार की वनराइयाँ तथा हिमाच्छादित पर्वत शिखर। 10 हजार फीट की ऊँचाई पर बना सरकंडादेवी का मंदिर (10 किलोमीटर) तथा महाभारत की पौराणिक कथा में वर्णित लाख मंडल।
हरिद्वार : प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थान। हिमालय से निकली गंगा नदी यहाँ से मैदानों की तरफ प्रवाहित होती है। प्रति बारह वर्षों के बाद वह महाकुंभ मेला यहाँ भरता है, जो तीन-तीन वर्षों के अंतर से क्रमशः इलाहबाद (प्रयाग), नासिक तथा उज्जैन में भरता है।

नगर के प्रमुख आकर्षण : प्रमुख घाट हर की पौड़ी, सांध्यकालीन आरती, शक्ति का अवतार मंसादेवी मंदिर, रोप-वे द्वारा पहुँचें, दक्ष महादेव का मंदिर। किंवदंती के अनुसार राजपक्ष के यज्ञ में अपने दामाद भगवान शिव को आमंत्रित न किए जाने से क्रुद्ध सती ने यज्ञ कुंड में आत्माहुती दे दी। परमार्थ आश्रम ऋषिकेश मार्ग पर पाँच किलोमीटर दूर स्थित दुर्गा की प्रतिमा, भारत माता मंदिर तथा चंडादेवी मंदिर।

निकटवर्ती आकर्षण : राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, अन्य जीवों के अलावा स्वच्छंद विचरण करता डेढ़ सौ हाथियों का समूह।

देहरादून से मसूरी ऋषिकेश से रेल तथा बस द्वारा पहुँचें। यहीं से तीर्थ यात्री शिमला, नैनीताल, अलमोड़ा, उत्तर काशी, गंगोत्री और बद्रीनाथ के लिए भी बसें पकड़ सकते हैं।

नैनीताल : मध्य हिमालय के कुमांड इलाके में बसे नैनीताल को उसकी अनेक झीलों के कारण झील प्रदेश भी कहते हैं। पहाड़ियों से घिरी प्रमुख झील को नैनीदेवी के कारण कहते हैं और इसीलिए इसे सुरम्य पर्वतीय स्थल कहा जाता है।

नैनीताल विभिन्न सैलानियों को अपने ऐतिहासिक स्थलों, वन्य जीव आरक्षित क्षेत्रों, फल, बागों, धार्मिक स्थलों के कारण आकर्षित करता है। तल्ली ताल और मल्ली ताल के बाजारों को एक सड़क जोड़ती है। पर्यटक कार्यालय, ट्रेवल कंपनी तथा रेल और बस बुकिंग ऐजेंसियाँ तल्ली ताल में ही स्थित हैं।

प्रमुख आकर्षण : नैना पीक (2610 मीट) पाँच किलोमीटर की दूरी पर स्थित पर्वत शिखर, हिमाच्छादित हिमालय की नयनाभिराम छवि प्रस्तुत करता है। पर्यटक चार कमरों वाले काष्ठ गृह से नीचे फैले नैनीताल शहर को निहार सकते हैं। स्नो व्यू (2270 मीट) का पैदल या घोड़े की पीठ पर सवारी करते तिब्बतीय गोम्पा और हिमालय श्रृंखलाओं का दर्शन।

नैनी झील, सेंट जॉन चर्च (निर्माण 1847), हनुमानगढ़ एवं वेधशाला, डोरभी सीट, दो हजार मीटर की ऊँचाई पर फैला चिड़ियाघर मछली के शिकार के शौकीनों के लिए खुरपाताल और भीमताल, नौकुचियाताल। सात ताल में नौका विहार, जिम कार्बेट पार्क तथा भोवाली का केंद्र तथा फल बाजार।

निकटतम रेलवे स्टेशन काठ गोदाम 35 किलोमीटर। लखनऊ, आगरा, पितली से जुड़ा हुआ। 'पर्वत टूर्स' की टैक्सियाँ स्थानीय परिवहन हेतु निश्चित भाड़ों-दर पर उपलब्ध। सायकल-रिक्शे भी हैं, किंतु नैनीताल की सैर सबसे बढ़िया पैदल चलकर ही होगी। ठहरने के लिए ठाठदार और किफायती दोनों किस्म के होटल हैं।