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Written By WD

आदिशक्ति एक‍वीरा

परशुराम की देवी माँ...आदिमाया

Ekveera aai devi Temple | आदिशक्ति एक‍वीरा
-विकास शिरपुरकर
धर्मयात्रा की इस बार की कड़ी में हम आपको लेकर चलते हैं आदिशक्ति एक‍वीरा देवी की शरण में। सूर्यकन्‍या ताप्ति नदी की उपनदी पांझर नदी के तट पर स्थित अति प्राचीन मंदिर में विराजित हैं आदिमाया एकवीरा देवी। महाराष्ट्र के धुलिया शहर के देवपुर उपनगर में विराजित यह स्वयंभू देवी महाराष्ट्र सहित मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात के कई घरानों में श्रद्धालुओं द्वारा कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं।....वीडियो देखने के लिए फोटो के बीच में क्लिक करें।


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आदिशक्ति एकवीरा देवी अपने पराक्रम से तीनों लोकों में प्रसिद्ध परशुराम की माँ के स्वरूप में जानी जाती हैं। एकवीरा तथा रेणुका देवी आदिमाया पार्वती के ही रूप हैं। ऐसी धारणा है कि राक्षसों का नाश करने के लिए देवी ने अनेक अवतार धारण किए थे। पुराणों के अनुसार जमदग्‍नी ऋषि की पत्नी रेणुका देवी के परशुराम एकमात्र वीर पुत्र होने के कारण ही देवी को एकवीरा नाम से संबोधित किया जाता है।

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प्रात:काल पांझर के जल में नहाकर जब सूर्य की किरणे देवी के चरणों में शरण लेती है तब वह मनमोहक दृश्य आँखों को बड़ा सुकून देने वाला होता है। उस समय आदिमाया अष्टभुजा का अद्भुत रूप देखते ही बनता है। देवी के निकट ही गणपति और तुकाईमाता की चतुर्भुज प्रतिमाएँ विराजित हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर अखंड पत्थरों से तराशे गए दो भव्य हाथी आपका स्वागत करते हैं।

यह अति प्राचीन मंदिर पूर्व में हेमाड़पंथी था। कहते हैं कि देवी अहिल्याबाई होलकर ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इस परिसर में प्राचीन शमी का वृक्ष है जहाँ वृक्ष के नीचे शमी देव का भारत में स्थित एकमात्र मंदिर है। यहीं पर महालक्ष्मी, विट्ठल-रुक्मिणी, शीतला माता, हनुमान और काल भैरव सहित परशुराम का भी मंदिर है।

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एकवीरा देवी के मंदिर में कई भक्त नियमित रूप से पूजा, आराधना और आरती में शामिल होते हैं। नवरात्रि के दौरान यहाँ भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग यहाँ पहुँचते हैं। देवी के द्वार पर आने वाले श्रद्धालुओं का पूरा विश्वास है कि एकवीरा देवी के दर्शन से सभी संकट दूर होते हैं और देवी की कृपा दृष्टि से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।

कैसे पहुँचें:
वायु मार्ग: धुलिया के सबसे निकटतम एयरपोर्ट नासिक (187 किमी) और औरंगाबाद (225 किमी) है।
रेल मार्ग: मुंबई की ओर से आने वाली रेल से चालीसगाँव तक पहुँचा जा सकता है, जहाँ से प्रत्येक एक घंटे में धुलिया के लिए रेल उपलब्ध है। भुसावल-सूरत रेलमार्ग से नरडाणा स्टेशन भी निकट स्थित है। यहाँ से धुलिया आसानी से पहुँचा जा सकता है।
सड़क मार्ग: मुंबई-आगरा तथा नागपुर-सूरत राष्ट्रीय मार्ग धुलिया शहर से होकर जाते हैं। धुलिया मुंबई से 425 किमी, इंदौर से 250 किमी दूर स्थित है।