शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. प्रादेशिक
Written By वार्ता
Last Modified: अलवर (वार्ता) , रविवार, 21 दिसंबर 2008 (22:52 IST)

...जब गिर गई जातिवाद की दीवार

...जब गिर गई जातिवाद की दीवार -
राजस्थान में अलवर के हजूरी गेट मलीन बस्ती में रविवार को अनूठा भोज हुआ। इसमें ब्राह्मण, पंडित और सिर पर मैला ढोने वाली महिलाओं तथा जिनके घर में वे मैला ढोती थीं, उन सभी ने मिलकर एक साथ भोजन किया।

भोजन से पूर्व इन सभी ने एक साथ सत्यनारायण भगवान की कथा सुनी, हवन किया और अलवर के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में सामूहिक रूप से प्रवेश कर भगवान की पूजा-अर्चना की।

इस मौके पर सुलभ आंदोलन के प्रणेता डॉ. बिंदेश्वरी पाठक ने कहा कि इस तरह के आयोजनों से जातिवाद की समस्या से त्रस्त भारतीय समाज से अस्पर्श्यता और भेदभाव को दूर भगाने में मदद मिलेगी और चार हजार साल पुरानी सामाजिक कुरुतियों से निजात मिलेगी।

उन्होंने कहा मैला ढोने वाली (स्केवेंजरों) को आजादी से पहले अछूत माना जाता था और ऐसे परिवारों को जातिगत प्रणाली के तहत समाज से सबसे निचले पायदान पर रखा जाता था।

गैरसरकारी संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने पुनर्वास कार्यक्रम के तहत स्केवेंजरों के एक बड़े समूह को पढ़ा लिखा करके स्वालंबी बनाने के साथ ही उन्हें मैला ढोने के काम से मुक्ति दिलाई है। अन्तरराष्ट्रीय स्वच्छता दिवस-2008 के अवसर पर आयोजित कई कार्यक्रमों में भी इन स्केवेंजर महिलाओं ने हिस्सा लिया।