सरकारी सूत्रों के अनुसार औषधि नियंत्रक विभाग ने गत वर्ष दवाओं के नमूने लेकर परीक्षण के लिए भेजे थे। इनमें आँखों में डालने वाली दवा सहित तमाम तरह की शामिल थी।
केंद्रीय लेबोरेट्री में परीक्षण के दौरान आँखों में डालने की दवा के नमूने घटिया मानक से पाए गए। इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों को आराम के बजाय इन्फेक्शन होने की आशंका से इनकार नहीं किया गया है।
इसके अलावा गत 31 मार्च 2008 को दवा के नमूने फेल पाए गए हैं, यह नमूने सरकारी जिला अस्पताल के दवा स्टोर से लिए गए थे। इससे पूर्व भी सरकारी अस्पतालों की दवा के नमूने फेल पाए जा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार इस संबंध में दवा निर्माता कंपनियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जा रही है।