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Written By भाषा
Last Modified: चेन्नई , शुक्रवार, 4 जून 2010 (12:11 IST)

पुलिकट झील पर पारिस्थितिकीय संकट

खारे पानी
उड़ीसा के चिल्का के बाद देश में खारे पानी के दूसरे सबसे बड़े पारिस्थितिकीय तंत्र पुलिकट झील के सामने अस्तित्व का संकट आ खड़ा हुआ है।

हाल ही में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में स्थित पुलिकट झील का क्षेत्रफल सिमटता जा रहा है और इसमें गाद की मात्रा में बढ़ोतरी होने और अंधाधुंध मछलियाँ पकड़े जाने के कारण मछलियों की संख्या में लगातार कमी दर्ज की जा रही है।

उल्लेखनीय है कि इस झील में 160 प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं, वहीं इसमें 110 प्रकार के स्थलीय और जलीय पक्षी, छोटे स्तनधारी आदि भी मिलते हैं। साथ ही यहाँ 15 हजार की तादाद में राजहंस (फ्लेमिंगो) भी हर साल आते हैं।

गौरतलब है कि इस झील के उत्तरी हिस्से में जाड़े के मौसम में 60 हजार प्रवासी जलीय पक्षी आकर प्रजनन करते हैं। इसके अलावा इस झील के किनारों पर बसे करीब 34 गाँवों में बसने वाले लगभग 40 हजार लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर इसके उपर निर्भर हैं।

लोयोला इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रंटियर एनर्जी के विशेषज्ञों की ओर से किए गए इस शोध में पाया गया कि झील का क्षेत्रफल पिछले कुछ दशकों में 460 वर्ग किलोमीटर से सिकुड़कर 350 किलोमीटर का रह गया है, जिससे पानी में रहने वाले जन्तुओं की संख्या में भी भारी कमी पाई गई है।

इस परियोजना के मुख्य समन्वयक डॉ. सेल्वानागयम ने कहा कि पहले इसकी गहराई चार मीटर थी, लेकिन अब यह मात्र डेढ़ मीटर तक सिमट गई है। इससे पानी में रहने वाले जन्तुओं में कमी आई है। (भाषा)