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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , शुक्रवार, 28 जून 2013 (17:22 IST)

सरकारी आदेश से ही गठित होगा कोयला नियामक

सरकारी आदेश से ही गठित होगा कोयला नियामक -
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नई दिल्ली। सरकार कोयला क्षेत्र के लिए विनियामक निकाय की स्थापना सरकारी आदेश से करेगी। वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

चिदंबरम ने यहां कहा कि कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक 2013 को मंजूरी के लिए संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। विधेयक पारित होने का इंतजार करने की बजाय हमने इस विनियामक प्राधिकारण को कार्यपालिका के आदेश के जरिए गठित करने का प्रस्ताव किया है। पहले भी ऐसा किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि पेंशन कोष विनियमन एवं विकास प्राधिकारण (पीएफआरडीए) का गठन भी सरकारी आदेश से ही किया गया था। यह अब भी सरकारी आदेश के तहत ही काम कर रहा है। सेबी का गठन भी सरकारी आदेश से किया गया था सेबी सांविधिक निकाय बाद में बना।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को शाम कोयला क्षेत्र के लिए नियामक के गठन को मंजूरी दी थी। चिदंबरम ने कहा कि कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक, 2013 संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि चूंकि कोयला नियामक का गठन जरूरी है, इसलिए शुरू में इसे सरकारी आदेश के जरिए बनाया जाएगा और हम उम्मीद करते हैं कि इस बारे में विधेयक जल्द से जल्द पारित हो जाएगा।

चिदंबरम ने कहा कि प्राधिकरण के दायरे में कोयला ब्लॉक आवंटन नहीं आएगा। मंत्रिमंडल इस बारे में पहले ही फैसला कर चुका है। वित्तमंत्री ने कहा कि यह प्राधिकरण सभी अंशधारकों के हितों का संरक्षण करेगा।

चिदंबरम ने कहा कि कोयला नियामक प्राधिकरण मूल्य तय करने के सिद्धांतों तथा तौर-तरीके बारे में बताएगा, साथ ही वह दो अंशधारकों के बीच विवाद का निपटान भी करेगा। इस बीच एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कोयला क्षेत्र के लिए स्वतंत्र नियामक के गठन से क्षेत्र में नियमन और कोयला संसाधनों के संरक्षण में मदद मिलेगी।

बयान में कहा गया है कि इससे सभी अंशधारकों मसलन कोयला कंपनियां, कोयला खपत वाले उद्योगों, बिजली, इस्पात, सीमेंट, कोयला संसाधन वाले राज्यों और कोयला उद्योग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को फायदा होगा।

बयान में कहा गया है कि ‘कोयला नियामक प्राधिकरण कोष’ नाम से एक कोष का गठन किया जाएगा। प्राधिकरण को मिलने वाले सभी अनुदान, शुल्क आदि इस कोष में डाले जाएंगे। इसमें कहा गया है कि विधेयक के पारित होने के बाद इस बारे में ब्योरा तय किया जाएगा और इसे शुरुआती वित्तपोषण के लिए सरकार के पास जमा कराया जाएगा। (भाषा)