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Written By भाषा

यौन शोषण मामले में न्यायमूर्ति गांगुली का नाम

यौन शोषण मामले में न्यायमूर्ति गांगुली का नाम -
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नई दिल्ली। अनेक महत्वपूर्ण मामलों का निबटारा करने के बाद उच्चतम न्यायालय से सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति एके गांगुली पर युवा इंटर्न ने यौन शोषण का आरोप लगाया है जिसका उन्होंने शुक्रवार को जोरदार खंडन किया।

इस महीने की शुरुआत में एक कानूनी पोर्टल पर इस इंटर्न द्वारा न्यायाधीश पर दुर्व्‍यवहार का आरोप लगाए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय ने तत्परता से सारे मामले की जांच के लिए तीन न्यायाधीशों की समिति गठित कर दी थी।

इंटर्न के आरोप के घेरे में आए न्यायाधीश का नाम आज उस समय सार्वजनिक हुआ जब शीर्ष अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि न्यायाधीशों की समिति ने इंटर्न के साथ ही न्यायमूर्ति गांगुली का बयान भी दर्ज किया है। न्यायमूर्ति गांगुली का नाम सार्वजनिक होते ही उन्होंने इन आरोपों पर अचरज व्यक्त किया और कहा कि वे इससे हतप्रभ हैं।

न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, मैं हर चीज से इनकार कर रहा हूं। मैंने समिति को बताया है कि इंटर्न के आरोप गलत हैं। मैं नहीं जानता कैसे ये आरोप मेरे खिलाफ लगाए गए हैं। न्यायमूर्ति गांगुली इस समय पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं।

न्यायमूर्ति गांगुली तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा प्रधान न्यायाधीश को रिपोर्ट सौंपे जाने के बारे में आधिकारिक रूप से यह जानकारी दिए जाने के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे।

टेलीविजन चैनलों से उन्होंने कहा, मैं पूरी तरह से इन आरोपों का खंडन कर रहा हूं। मैं परिस्थितियों का शिकार हूं। इस कथित घटना के सार्वजनिक होने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, मैं किसी भी बात के लिए शर्मिन्दा नहीं हूं।

उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ सभी आरोप पूरी तरह गलत हैं। इस लड़की ने यौन शोषण का कोई मसला उनके समक्ष नहीं उठाया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने उसे किसी प्रकार का शारीरिक नुकसान नहीं पहुंचाया।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि इस इंटर्न ने उनके साथ काम किया था, हालांकि वह आधिकारिक रूप से उन्हें आवंटित नहीं की गई थी। यह इंटर्न एक अन्य इंटर्न के स्थान पर आई थी जो विवाह के बाद विदेश चली गई थी। उन्होंने कहा, मैंने कोई पोस्टर नहीं लगाया था। वह अपने आप ही आई थी। उन्होंने कहा कि यह लड़की अनेक बार काम के सिलसिले में उनके घर भी आई थी।

बाद में जब वह एक सार्वजनिक समारोह में शामिल हुए तो इस विवाद पर उनकी टिप्पणी के लिए भी उनका पीछा किया गया। उन्होंने तपाक से कहा, मैं कुछ भी नहीं कहूंगा। यह किस तरह का सवाल है? उन्होंने इस सवाल का भी जवाब नहीं दिया कि क्या वे पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देंगें? (भाषा)