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Written By भाषा

मुलायम मामले में सीबीआई को फटकार

मुलायम मामले में सीबीआई को फटकार -
उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायमसिंह के आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में बार-बार रुख बदलने के लिए केंद्रीय जाँच ब्यूरो की आलोचना करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह नहीं चाहेगा कि एजेंसी सरकार के हाथ का खिलौना बने।

उच्चतम न्यायालय ने जाँच रिपोर्ट दाखिल करने की दलील वापस लेने के जाँच एजेंसी के फैसले के बारे में कुछ सवाल किए। न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई के निर्णय पर आश्चर्य जताया और जानना चाहा कि आवेदन की प्रार्थना में क्या गलत था।

जाँच एजेंसी ने पिछले साल छह दिसंबर को शीर्ष न्यायालय में आवेदन देकर अक्टूबर 2007 के अपने पूर्व के आवेदन को वापस लेने की मंशा जताई, जिसमें उसने एक मार्च 2001 के आदेश के अनुसार केंद्र सरकार के समक्ष दाखिल करने की बजाय स्थिति रिपोर्ट पेश करने की अनुमति माँगी थी।

पीठ में सिरियाक जोसेफ भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि आपने न्यायपूर्ण आदेश चाहा, आप (सीबीआई) इसे वापस क्यों लेना चाहते हैं। पीठ ने केंद्र सरकार को रिपोर्ट देने संबंधी सीबीआई को दिए आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि हम अपने आदेश में संशोधन करने के इच्छुक हैं।

पीठ ने कहा कि जब सीबीआई ने एक मार्च के आदेश में संशोधन के लिए आवेदन दाखिल किया था तब कहा था कि यह एक स्वतंत्र संस्था है और केंद्र के नियंत्रण में नहीं है, अत: यह अदालत में जाँच रिपोर्ट दाखिल करना चाहती है।

न्यायमूर्ति कबीर ने कहा कि केन्द्र के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने के फैसले में दिया निर्देश संभवत: गलती थी। न्यायाधीश ने कहा कि हम भी नहीं चाहते हैं कि सीबीआई केंद्र सरकार का उपकरण बने। उन्होंने अतिरिक्त सोलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम से बार-बार पूछा कि आप (सीबीआई) अदालत के समक्ष रिपोर्ट दाखिल करने की माँग करने संबंधी आवेदन (पूर्ववर्ती प्रार्थना-पत्र) क्यों वापस लेना चाहते हैं। पीठ ने कहा कि हो सकता है कि सीबीआई की तरह केंद्र कुछ दलीलें दे।

सुब्रह्मण्यम के सहयोगी अमरेन्दर शरन ने कहा कि केंद्र अपना दृष्टिकोण बनाएगा। इस पर पीठ ने कहा कि क्या केंद्र कोई दृष्टिकोण बनाएगा। केंद्र का रुख वही र्हगा, जैसा सीबीआई का है।

आवेदन वापस लेने की सीबीआई की दलील का वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने विरोध किया, जिनकी याचिका पर शीर्ष न्यायालय ने एक मार्च 2007 को एजेंसी को प्राथमिक जाँच करने का निर्देश दिया था। शीर्ष न्यायालय ने यादव, उनके पुत्रों अखिलेश, प्रतीक और बहू डिम्पल के कथित तौर पर आय से अधिक सम्पत्ति रखने की सीबीआई जाँच का आदेश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई से इस बात की जाँच करने को कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा यादव परिवार पर आय से अधिक सम्पत्ति रखने के बारे में लगाए गए आरोप सही हैं या नहीं। न्यायालय ने इस बारे में केंद्र को रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था, जो आगे कदम उठा सकता है।

शीर्ष न्यायालय ने यादव और उनके परिवार की इस दलील को ठुकरा दिया था कि जनहित याचिका पूर्वाग्रह से प्रेरित है और चतुर्वेदी ने इसलिए दाखिल की है क्योंकि वह कांग्रेस कार्यकर्ता हैं। शीर्ष न्यायालय ने सीबीआई जाँच का आदेश देते हुए कहा कि हमारी दृष्टि में अंतिम परीक्षण यह है कि आरोपों में क्या कोई दम है।