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Written By WD

दिल्ली के एसीपी राजबीरसिंह की हत्या

प्रॉपर्टी डीलर विजय भारद्वाज ने गोली मारी

दिल्ली के एसीपी राजबीरसिंह की हत्या -
दिल्ली पुलिस के एनकाउंटर विशेषज्ञ औस्पेशऑपरेशस्क्वाएसीपी राजबीरसिंह की पिछली रात एक प्रॉपर्टी डीलर ने गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या करने के बाद आरोपी विजय भारद्वाज ने खुद गुड़गाँव के सेक्टर 40 स्थित पुलिस स्टेशन जाकर अपना जुर्म कबूल कर लिया। जुर्म कबूल करने के पूर्व विजय मीडिया से भी मुखातिब हुआ।

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लाल किले औसंसभवपर आतंकहमलमेकई आतंकवादियों को ढेर करने वाले राजबीर ने 56 एनकाउंटर किए थे, लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि 57वें एनकाउंटर का शिकार वे खुद हो जाएँगे, वह भी अपनी ही पिस्तौल की गोली‍ से।

बताया जाता है कि राजबीर सोमवार की रात आठ से साढ़े आठ के बीच मेहरोली-गुड़गाँव रोड स्थित सुखराली गाँव के निकट प्रॉपर्टी डीलर विजय भारद्वार के दफ्तर पहुँचे। पहले दोनों ने शराब पी और उसकबापैसों के लेनदेन को लेकर झगड़ पड़े। पहले हाथापाई हुई और रात करीब 11 बजे विजय ने राजबीर को उन्हीं की पिस्तौल से निशाना बना डाला।

हत्या करने के बाद विजय पहले मीडिया से मुखाबित हुआ। उसने कहा कि एक खेत की जमीन के हुए सौदे के पैसे मैं राजबीर को चुका नहीं पा रहा था। पिछले एक महीने से उन्होंने मुझ पर काफी दबाव बनाया था। उन्होंने मुझे धमकी दी थी कि यदि मैंने पैसे नहीं चुकाए तो परिवार समेत मेरी हत्या कर देंगे। विजय मीडिया को और कुछ सुराग देता, उससे पहले दिल्ली के एक अन्य एसीपी ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

20 सालों से गहरा संबंध : राजबीरसिंह और विजय भारद्वाज के परिवार में 20 सालों से गहरा संबंध था। दोनों परिवार एक-दूसरे के गम और खुशियाँ आपस में बाँटते थे। राजबीर के परिजन खुद समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर ऐसी कौन-सी परिस्थितियाँ निर्मित हुईं कि बात हत्या तक पहुँच गई।

काफी घबराया हुआ था विजय : वैसे हत्या करने के बाद विजय काफी घबराया हुआ था। उसने कहा कि कुछ माह से मैं राजबीर के दबाव से इतना परेशान हो गया था कि मैंने आत्महत्या करने का फैसला ले लिया था, लेकिन आत्महत्या के लिए लिखा खत घरवालों के हाथ लग गया था। विजय के अनुसार राजबीर मुझे एसएमएस भेजकर हत्या करने की धमकी दिया करते थे। यही कारण है कि मैंने उन्हें मार डाला।

पुलिस ने शव बरामद किया : दिल्ली पुलिस ने विजय भारद्वाज के ऑफिस से राजबीरसिंह का शव बरामद किया। शव ऑफिस के एक कोने में पड़ा हुआ था। वहाँ पर पुलिस को कुछ नकदी के साथ शराब की बोतलें भी मिलीं। पुलिस ने रात 1 बजे राजबीर के परिवार को उनकी मौत की खबर दी।

पुलिस का कोई बड़ा अफसर नहीं पहुँचा : दिल्ली पुलिस में राजबीरसिंह का काफी रुतबा था और उन्हें झेड प्लस की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। उनकी हत्या के 11 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस का कोई भी बड़ा अधिकारी उनके घर नहीं पहुँचा।

आतंकवादियों की हिटलिस्ट में थे राजबीर : दिल्ली पुलिस में राजबीरसिंह की पहचान स्पेशल ड्‍यूटी इंचार्ज के रूप में थी। उन्होंने कई आतंकवादियों को अपनी गोली का शिकार बनाया था। यही कारण था कि वे आतंकवादियों की हिटलिस्ट में थे। उन्होंने लाल किले पर हमला करने वाले आतंकवादियों को ढेर किया था। संसद भवन पर हुए आतंकी हमले को विफल करने में भी राजबीर का महत्वपूर्ण योगदान था।

सुरक्षा दस्ता कहाँ था : एक सवाल यह भी है कि जब उन्हें झेड प्लस की सुरक्षा प्रदान की गई थी, उस स्थिति में जब कल रात वे विजय से मिलने पहुँचे तो उनका सुरक्षा दस्ता कहाँ था? फिलहाल दिल्ली पुलिस के कमिश्नर ने सिर्फ यही सूचना दी है कि राजबीरसिंह अब हमारे बीच में नहीं हैं। उनके हत्यारे का दफ्तर सील कर दिया है और आरोपी से पूछताछ जारी है।

राजबीर का सफर : राजबीरसिंह ने 1982 में बतौर सब-इंस्पेक्टर दिल्ली पुलिस में अपनी सेवाओं की शुरुआत की थी। वे जल्दी ही अपनी कार्यशैली से बहुत जल्दी विख्यात हो गए। राजबीर 6 साल तक दिल्ली पुलिस की स्पेशल फोर्स में शामिल रहे और बाद में वे दिल्ली आर्म्ड फोर्स से जुड़ गए। राजबीर की वर्दी पर कई बार दाग भी लगे। 2005 में सीबीआई ने जाँच के बाद उन्हें क्लीनचिट दे दी थी।

खुद मौत का सामान दिया : विजय भारद्वाज ने पुलिस को बयान दिया ‍है कि जिस रिवॉल्वर से उसने राजबीर की हत्या की वह रिवॉल्वर खुद राजबीर ने ही उसे तीन दिन पहले दी थी। यह रिवॉल्वर लोडेड थी। विजय को खुद पता नहीं है कि उसने राजबीर पर कितनी गोलियाँ दागीं। पुलिस अभी यह साफ नहीं कर पाई है कि आखिर वह रिवॉल्वर अभी है कहाँ? यह भी बताया जाता है कि विजय और राजबीर का छोटा भाई दोनों स्कूल और कॉलेज के वक्त से साथ पढ़ते थे। बाद में दोनों ने प्रॉपर्टी का व्यवसाय शुरू किया।

50 से 60 लाख का निवेश : विजय के अनुसार 6-7 महीने पूर्व राजबीरसिंह ने अपने छोटे भाई के मार्फत हरियाणा के गुड़गाँव इलाके में जमीन के सौदों में 50 से 60 लाख रुपए निवेश किए थे। विजय अकसर लोगों से कहता था कि वह चंद माह में ही उनका रुपया दोगुना कर देगा। समझा जाता है कि विजय ने राजबीर का पैसा लोगों में बाँट दिया था। यही कारण है कि वह राजबीर को पैसा वापस नहीं कर पा रहा था। पुलिस ने राजबीर और विजय के मोबाइल फोन कॉल की ड‍िटेल निकाल ली है।

गुड़गाँव पुलिस जाँच करेगी : दिल्ली पुलिस के आयुक्त वाईएस डडवाल ने कहा कि चूँकि यह घटना गुड़गाँव में हुई है, लिहाजा गुड़गाँव पुलिस ही इसकी जाँच करेगी। फिलहाल हम उन्हें सहयोग कर सकते हैं। घटना रात की है और हम उसके हर पहलू पर नजर रखेंगे।

दिल्ली पुलिस का बयान : दोपहर में गुड़गाँव पुलिस ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि राजबीर को पीछे से दो गोलियाँ मारी गईं, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई। पुलिस के अनुसार राजबीर ने घटना के वक्त मौजूद दस्ते को पेट्रोल पंप पर भेज दिया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि राजबीर ने शराब पी थी या नहीं। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक जब यह घटना हुई, तब प्रापर्टी डीलर के ऑफिस में दो ही लोग मौजूद थे।