शनिवार, 27 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By भाषा
Last Modified: सोमवार, 21 अप्रैल 2014 (12:06 IST)

चुनाव के बाद आरएसएस में भी होगा बदलाव

चुनाव के बाद आरएसएस में भी होगा बदलाव -
FILE
नागपुर। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के 3 दशकों से अधिक लंबी सक्रियता के अंत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने संगठनात्मक स्तर पर कुछ परिवर्तन कर सकता है ताकि संगठन और पार्टी के बीच समायोजन में सुधार लाया जा सके।

इस मामले में 'डेली मेल ऑनलाइन' में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 मई को नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री की कुर्सी के दावेदार होते हैं या नहीं, संघ परिवार अपने पदानुक्रम में फेरबदल करना चाहता है ताकि यह भाजपा के नए ढांचे के साथ बेहतर तरीके से तालमेल बैठा सके। संघ के एक बड़े अधिकारी सुरेश सोनी अपने प‍ितृ संगठन में वापस लौट जाएंगे।

उल्लेखनीय है कि उन्हें आडवाणी और उनके समर्थकों द्वारा नरेन्द्र मोदी के नाम के कड़े विरोध को शांत करने के लिए भाजपा में भेजा गया था और वे अपने इस काम में सफल भी रहे।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा में संघ की ओर से जो काम सुरेश सोनी कर रहे थे, उनके स्थान पर दत्तात्रेय होसाबाले अथवा सुरेश 'भैय्याजी' जोशी को भाजपा में लाया जाएगा। पहले जब राजग सत्ता में थी तो यह काम मदनदास देवी देखते थे।

वर्ष 2004 में राजग की हार के बाद सोनी को भाजपा में संघ का अग्रणी नेता बनाकर लाया गया था, लेकिन हाल के समय में भाजपा को लेकर संघ ने निर्णायक रुख अपनाया तो कथित तौर पर जोशी और होसाबाले का महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले करने में दखल शुरू हुआ।

संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ में फेरबदल का एक बड़ा कारण यह है कि सोनी की मोदी के साथ करीबी है। ऐसा कहा जाता है कि उनके कारण मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाया गया और इस कारण से पार्टी में आडवाणी जैसे नेता कुछ हद तक नाराज हो गए।

लेकिन संघ के वरिष्ठ कार्यकारी राम माधव का कहना है कि संघ में इस तरह का कोई फेरबदल नहीं होने जा रहा है। उनका कहना है कि यह मात्र एक अफवाह है और कहीं कुछ ऐसा नहीं है। चुनावों के बाद भी संगठन के अंदर कोई बदलाव नहीं होगा।

अगर कोई बदलाव होता है तो, पढ़े अगले पन्ने पर...


संघ के एक दूसरे सूत्र का कहना है कि अगर कोई बदलाव होता है तो वह ज्यादातर अर्थ में एक पीढ़ीगत बदलाव होगा। उसका कहना है कि यह एक सामान्यतया बदलाव होगा और इस बात को लेकर कोई अधिकृत घोषणा भी नहीं की जाएगी। अपने स्वास्थ्‍य संबंधी कारणों से सोनीजी ने बड़ी जिम्मेदारी से राहत दिए जाने की मांग की थी।

होसाबाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के पूर्व संगठन सचिव रह चुके हैं और वे पूर्व महासचिव स्व. एचवी शेषाद्रि के शिष्य के तौर पर जाने जाते हैं। उन्हें एक प्रभावी नेता के तौर पर भी देखा जाता है।

विदित हो कि एबीवीपी के बहुत से नेता ऐसे हैं, जो कि भाजपा के शीर्ष पदों पर पहुंच चुके हैं और इनमें नितिन गडकरी और अनंत कुमार शामिल हैं।

ऐसा कहा गया है कि संभावित बदलाव से भाजपा के नए ढांचे और संघ के बीच बेहतर तालमेल पैदा हो सकेगा, क्योंकि होसाबाले को एक मोदी समर्थक नेता माना जाता है।