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Written By भाषा
Last Modified: लेह/श्रीनगर , रविवार, 9 जनवरी 2011 (18:12 IST)

चीनी सैनिक फिर भारतीय क्षेत्र में घुसे

चीनी सैनिक फिर भारतीय क्षेत्र में घुसे -
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चीनी सैनिकों ने पिछले वर्ष अधिकतर समय शांतिपूर्ण रहने के बावजूद 2010 के अंत में दक्षिण-पूर्वी लद्दाख क्षेत्र स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा के जरिए भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की और ‘यात्री प्रतीक्षालय’ का निर्माण कर रहे एक अनुबंधकर्ता तथा उसके दल को काम रोकने की चेतावनी दी।

विवरणों के अनुसार, चीनी सैनिकों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का एक मोटरसाइकल सवार कर्मी भी शामिल था। इन सैनिकों ने जम्मू-कश्मीर के देमचोक क्षेत्र के गोम्बीर इलाके में प्रवेश किया और वहाँ प्रतीक्षालय बना रहे असैन्य कर्मियों को धमकाया। प्रतीक्षालय बनाने की योजना को राज्य ग्रामीण विकास विभाग ने मंजूरी दी थी।

यह घटना पिछले वर्ष सितंबर-अक्टूबर में लेह जिला मुख्यालय के दक्षिण-पूर्व में करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर हुई थी।

असैन्य प्रशासन, सेना, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियाँ और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के अधिकारियों के बीच एक बैठक के बाद तैयार की गई आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया कि दो लाख रुपए की लागत से इस यात्री प्रतीक्षालय के निर्माण को मंजूरी दी गई थी। इसे गृह मंत्रालय की सीमा क्षेत्र विकास परियोजना के तहत गोम्बीर गाँव के एक ‘टी प्वाइंट’ पर बनाया जाना है। रिपोर्ट कहती है कि चीनी सेना इस ‘टी प्वाइंट’ पर आई और उसने अनुबंधकर्ता से काम रोकने को कहा।

एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि चीनी सैनिकों में से कुछ दिलचस्प रूप से मोटरसाइकल पर आए थे। उनके प्रवेश करने से कर्मी दहशत में आ गए और उन्होंने मदद के लिए तुरंत निकटवर्ती सैन्य चौकी से संपर्क किया। अधिकारी ने कहा कि चीनी सैनिकों ने कुछ नारे भी लगाए, जिनका अधिकारी अनुवाद नहीं कर सके।

रिपोर्ट कहती है कि सेना ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और राज्य सरकार से यथास्थिति बरकरार रखने को कहा गया। तीन इन्फेंट्री डिवीजनों ने राज्य सरकार से कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से कम से कम 50 किलोमीटर की दूरी के भीतर किसी भी निर्माण गतिविधि को अंजाम देने से पहले रक्षा मंत्रालय से अनुमति ली जाए।

लेह स्थित 14वीं कोर के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस बरार से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

रिपोर्ट के अनुसार, असैन्य प्रशासन ने दो अक्टूबर 2010 और उसके अगले दिन क्षेत्र का सत्यापन किया था। सेना ने प्रशासन को पत्र लिखकर कहा था कि सीमा से 50 किलोमीटर के दायरे के भीतर किसी भी परियोजना को अंजाम देने के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी ली जाए।

असैन्य प्रशासन ने कहा था कि वह सेना के इस संदेश से चकित है क्योंकि इसके ये मायने होंगे कि पूरे न्योमा उप जिले में विकास कार्य प्रभावित होगा।

राज्य सरकार ने न्योमा तथा डेमचोक के बीच सात लिंक रोड बनाने की योजना बनाई थी ताकि संपर्क बढ़ाया जा सके और वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे इस सुदूर क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जा सकें। चीनी सैनिकों ने जून और जुलाई 2009 में भी भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी। नवंबर 2009 में भी ऐसा ही हुआ था, जब सैनिकों ने भारतीयकर्मियों को लद्दाख में सड़क निर्माण रोकने की चेतावनी दी थी।

यह सड़क निर्माण डेमचोक क्षेत्र में हो रहा था, जिसे रक्षा मंत्रालय द्वारा लेह के तत्कालीन उपायुक्त एके साहू के समक्ष आपत्तियाँ जताने के बाद रोक दिया गया था।

चीनी सेना के आपत्तियाँ जताने के बाद भी पिछले महीन दक्षिण-पूर्वी लद्दाख क्षेत्र के डेमचोक में एक लिंक रोड का निर्माण रोक दिया गया था। अक्टूबर 2009 के अंतिम सप्ताह के दौरान भारत-चीन सीमा स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डेमचोक के आखिरी दो गाँवों को आपस में जोड़ने वाले मार्ग का निर्माण भी रोक दिया गया था।

इस सड़क का निर्माण केंद्र द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत किया जा रहा था। वर्ष 2009 में चीनी सेना ने लद्दाख क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन कर पत्थरों और चट्टानों पर लाल रंग पोत दिया था। तब चीनी सैनिक 31 जुलाई को भारतीय क्षेत्र में माउंट गया के निकट करीब डेढ़ किलोमीटर अंदर तक प्रवेश कर गए थे और वहाँ लाल रंग के स्प्रे से ‘चाइना’ और ‘चीन9’ पोत दिया था। (भाषा)