• Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. समाचार
  4. »
  5. राष्ट्रीय
Written By ND
Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 8 अगस्त 2007 (17:07 IST)

गाँव पीछे छोड़ेंगे शहरों को

शैम्पू, क्रीम, लिपस्टिक, पाउडर की बिक्री के मामले में

गाँवों शहरों ज्यादा आबादी
देश के गाँवों शहरों की तुलना में ज्यादा आबादी बसती है और इसीलिए बाजार के विशेषज्ञों को गाँवों के बाजार में ग्रोथ ज्यादा नजर आने लगी है।

जहाँ तक शैम्पू, पाउडर, लिपस्टिक और अन्य एफएमसीजी उत्पादों की बात है, तो उस लिहाज से तो गाँव अगले तीन साल में शहरों को पीछे छोड़ने वाले हैं। गाँवों में इनकी माँग बढ़ेगी तो शहरों में कम होने वाली है।

इसके नमूने अभी ही देखने को मिल सकते हैं। एडिड्स और रीबॉक के जूते ग्रामीण और अर्द्धशहरी क्षेत्रों में तेजी से बिक रहे हैं, बजाय शहरी क्षेत्रों के और इस वजह से कंपनियों ने अपने उत्पाद के दाम भी घटाए हैं।

हाल ही के एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक 2010 तक साबुन, शैम्पू और स्किन क्रीम का उठाव गाँवों और अर्द्धशहरी इलाकों में ज्यादा हो जाएगा। ग्रामीण इलाकों में इनकी बिक्री दस प्रतिशत बढ़ जाएगी, तो छोटे शहरों या कस्बों में इनकी बिक्री में 6 प्रतिशत का इजाफा होगा। तेजी से बढ़ती आय और रहन-सहन के तरीकों में बदलाव की वजह से युवा वर्ग में इनकी माँग तेजी से बढ़ती जा रही है। इसी वजह से एफएमसीजी उत्पादों की माँग में तेजी आती जा रही है और कारोबार भी बढ़ा है।

एसोचैम के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत का कहना है कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी उत्पादों का बाजार 52 प्रतिशत का है और यह 2010 तक बढ़कर 57 प्रतिशत होने के आसार थे, परंतु अगले तीन साल में यह इससे कहीं ज्यादा यानी करीब 62 प्रतिशत हो जाएगा।

इसी तरह अर्द्धशहरी इलाकों में तो विस्फोटक माँग उठने वाली है। वर्तमान में यह 19 प्रतिशत के करीब है और यह 21 प्रतिशत बढ़ जाने के आसार हैं। यह और बात है कि शहरों में इनकी माँग कम होने वाली है। शहरों में इनका बाजार 29 प्रतिशत है और इसके अगले तीन साल में 7 प्रतिशत घट जाने की संभावना है।

जहाँ तक कारोबार की बात है, तो एफएमसीजी का कुल कारोबार 7.9 अरब डॉलर ग्रामीण क्षेत्र से है, जबकि शहरी और महानगरों से 4.2 अरब डॉलर का है और अर्द्धशहरी इलाके से 2.85 अरब डॉलर का है। एफएमसीजी कंपनियों की यदि बात करें तो इनके लाभ 20 प्रतिशत औसत की दर से बढ़े।

ये बात है खास

* जहाँ तक खाद्य पदार्थों पर खर्च की बात है तो इस पर कुल व्यय 125 अरब डॉलर का है।

* देश की 45 प्रतिशत आबादी 20 से 28 साल के बीच है और यही इसके उपभोक्ता भी हैं।

* एफएमसीजी उत्पादों की कुल खरीदी में 70 प्रश मध्यमवर्ग खरीदता है। (नईदुनिया)