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Written By भाषा
Last Modified: नई दिल्ली , मंगलवार, 7 सितम्बर 2010 (15:03 IST)

किसी का सहारा नहीं मिला-आशा भोंसले

किसी का सहारा नहीं मिला-आशा भोंसले -
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लोकप्रियता के शिखर छूने के बावजूद सुरों की मलिका आशा भोंसले को इस बात का मलाल है कि कैरियर के शुरुआती दौर में किसी ने उनका साथ नहीं दिया और वह संगीतकारों के पास काम माँगने के लिए घूमती रहीं।

अपना 76वाँ जन्मदिन मना रही आशा ने एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे किसी ने मदद नहीं की थी। संघर्ष के दौर में अकेली मैं संगीतकारों के पास काम माँगने के लिए घूमती रही। उस समय सहारा मिला होता तो बेहतर होता क्योंकि अकेले इंसान के फैसले कभी गलत भी हो जाते हैं।

अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर के साथ रिश्तों को लेकर उन्होंने हालाँकि कोई टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा कि मीडिया जो कहता आया है, मैं उस पर कुछ नहीं कहना चाहती।

आशा ने कहा कि वह अपने श्रोताओं की शुक्रगुजार है जिन्होंने अभी तक उन्हें जिंदा रखा है वरना वह कब की खत्म हो गई होतीं।

उन्होंने कहा कि पिताजी, माँ के अलावा मैं उन संगीतकारों को धन्यवाद दूँगी जिन्होंने शुरुआती दौर में मुझे गाने का मौका दिया जबकि उन्हें पता भी नहीं था कि मैं कैसा गाती हूँ। इसके अलावा मैं अपने सुनने वालों की शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने आशा को अभी तक जिंदा रखा है।

अपने जन्मदिन पर श्रोताओं को अक्सर कोई नया तोहफा देने वाली आशा इस बार मशहूर तबला वादक शुजात खान के साथ नया रिकॉर्ड लांच करेगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए बरसों बाद पहली बार उन्होंने लाइव रिकॉर्डिंग की है।

अपने करीब सात दशक के कैरियर में पॉप, गजल, भजन, शास्त्रीय, कव्वाली, रविंद्र संगीत गा चुकी आशा की ख्वाहिश मशहूर मैक्सिकन अमेरिकी बैंड संताना के साथ गाने की है और इस सिलसिले में बात भी चल रही है।

उन्होंने बताया कि मैं संताना जैसे कलाकार के साथ गाना चाहती हूँ जो कुछ नया और अलग होगा। मैंने अपने संगीत में कई प्रयोग किए और अब मुझे यह नई चुनौती रोचक लग रही है। दस ग्रैमी और तीन लैटिन ग्रैमी पुरस्कार जीत चुके मशहूर गिटारिस्ट कालरेस आगस्टो अल्वेस संताना का संगीत रॉक, सालसा और जाज का मिला जुला रूप है।

उन्होंने कहा कि मैं इतना गा चुकी हूँ कि अब कुछ नया और दिलचस्प मिलेगा तो ही गाउँगी। वैसे भी आज के दौर के संगीतकारों ने मुझे बचपन से देखा है और उन्हें रिकॉर्डिंग के समय मुझे कुछ कहने में झिझक होती होगी। मुझे ऐसा ही लगता है लेकिन नया और अलग कुछ होगा तो मैं जरूर गाउँगी।

आशा ने कहा कि फिलहाल वह सारा ध्यान भारतीय संगीत को विदेश में पहुँचाने पर दे रही हैं और अब उनका लक्ष्य अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के किसी नाट्य गीत को भारत के बाहर पहुँचाना है। (भाषा)