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Written By भाषा

अब होगा मानव भ्रूण्‍ा कोशिका से इलाज

अब होगा मानव भ्रूण्‍ा कोशिका से इलाज -
स्टेम सेल चिकित्सा और अनुसंधान में लगी भारत की एक महिला चिकित्सक एवं अनुसंधानकर्ता ने दावा किया है कि यह प्रौद्योगिकी पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है, जो चिकित्सकीय निष्‍कर्ष से साबित हो चुका है

दिल्ली के न्यूटेक मेडीवर्ल्ड की संस्थापक और चिकित्सा निदेशक डॉ. गीता श्राफ ने इस क्षेत्र में ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित की है, जिसका लोहा अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर माना जा रहा है।

अमेरिका के येल विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ चिकित्सा विज्ञानी ने डॉ. श्राफ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस क्षेत्र में भारत को पश्चिमी देशों से 10 साल आगे पहुंचा दिया है।

डॉ. श्राफ ने अपनी इस प्रौद्योगिकी के पेटेंट के लिए विश्व बौद्धिक अधिकार संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) के जरिए पेंटेट का आवेदन किया है। उन्होंने इस प्रौद्योगिकी को पूरी तरह से सुरक्षित और कारगर बताते हुए कहा कि यह बात चिकित्सकीय निष्‍कर्षों और परीक्षणों से साबित की जा सकती है।

उनके इस तरह के निष्‍कर्षों और परीक्षणों की एक रिपोर्ट यहां एक समारोह में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ. सी रंगराजन के हाथों जारी की गई।

येल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के डॉ. एमिरम कात्ज ने डॉ. श्राफ के अनुसंधान के बारे में कहा कि उन्होंने स्टेम सेल थेरैपी के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है। उनके काम को देखकर मैं कह सकता हूं कि भारत इस क्षेत्र में पश्चिमी देशों से दस साल आगे है।

स्टेम सेल चिकित्सा अभी विकसित हो रही एक नई विधा है, जिसमें पहले मानव भ्रूण की आरंभिक अवस्था की कोशिकाओं को लेकर उनका कल्चर यानी प्रयोगशाला की परिस्थितियों में विकास किया जाता है और उनको रोगी के शरीर के प्रभावित तंत्र को पुनर्जीवित या ठीक करने के लिए उसमें प्रत्यारोपित किया जाता है।

इस प्रौद्योगिकी से स्नायु तंत्रिका तंत्र, पुरानी चोट के कारण उत्पन्न असाध्य रोग या दोष तथा पार्किंसन, पक्षाघात और मधुमेह आदि से पीड़ित ऐसे रोगियों का इलाज किया जा रहा है, जिन पर दवा से कोई असर नहीं होता।

डॉ. श्राफ पिछले दस वर्षों में दुनिया के 43 देशों के 1000 से अधिक लोगों का इलाज कर चुकी हैं। इनमें आधे मरीज भारत के बाहर के हैं। दस साल पहले उन्होंने मानव भ्रूण के जिस स्टेम सेल को लेकर कार्य शुरू किया था, आज भी उसी से विकसित कोशिकाओं का ही प्रयोग कर रही हैं।

वैज्ञानिक बताते हैं कि मानव भ्रूण की ऐसी कोशिकाओं (स्टेम सेल) में ही मनुष्य की पूरी रचना समाहित होती है और जो एक पूर्व नियोजित कार्यक्रम की तरह विकसित होती है।

अमेरिका में स्टेम सेल अनुसंधान को लेकर विवाद का जिक्र किए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि वहां मानव स्टेम सेल के कल्चर और विकास में पशु उत्पादों के प्रयोग और चयनित कोशिकाओं के विकास की अवस्था के कारण समस्याएं खड़ी हुईं।

उन्होंने इस प्रयोग को पशु उत्पादों के इस्तेमाल से मुक्त रखने पर बल दिया। डॉ. श्राफ ने ऐसे स्टेम सेल उत्पाद विकसित किए हैं, जो छह माह तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं। उनका कहना है कि हमारे उत्पाद पूरी दुनिया में उसी तरह उपलब्ध हों, जिस तरह सामान्य इंजेक्शन और दवाइयां उपलब्ध हैं। (भाषा)