पूर्वोत्तर में 1855 उग्रवादियों का आत्मसमर्पण
पूर्वोत्तर क्षेत्र में अब तक के सबसे बड़े आत्मसमर्पण कार्यक्रम में नौ समूहों के 1855 उग्रवादियों ने मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
चिदंबरम के सामने सबसे बड़ा आत्मसमर्पण
सबके साथ होगा सम्मान का व्यवहार
उग्रवादी पांच बड़े जातीय समूहों से
उनमें आदिवासी संथाल संगठन के पांच बड़े जातीय समूहों के उग्रवादी शामिल थे, जो ऊपरी असम में सक्रिय थे। इनमें तीन कुकी और एक एचएमएआर समूह का उग्रवादी था।चिदंबरम ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। इस तरह की घटना बार-बार नहीं होती जब उग्रवाद की राह पर चलने वाले इतने समूहों ने एक साथ शांति, मेल-मिलाप और भाईचारे की राह अपनाई हो।गृहमंत्री ने कहा कि मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत और असम की सरकार आपके साथ सम्मान और गरिमा के साथ भारत के नागरिक की तरह बर्ताव करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार उग्रवादियों का वापस मुख्य धारा में स्वागत करती है। हमारा मानना है कि हमारे यहां गणतंत्र और लोकतंत्र है, जहां हर किसी की आवाज सुनी जाती है। हर कोई सम्मान के साथ जीने का हकदार है।समारोह में मुख्यमंत्री तरूण गोगोई सेना के तीन और चार कोर के जीओसी तथा पुलिस महानिदेशक जयंत नारायण चौधरी भी मौजूद थे।यूपी ढंके रहेंगे हाथी, याचिका खारिजइलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को एक जनहित याचिका खारिज कर दी, जिसमें उत्तरप्रदेश में अनेक स्थानों पर लगी हाथी की मूर्तियों को ढंकने के चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी गई थी।न्यायमूर्ति अमर शरण और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता यह निर्थक याचिका दाखिल करने में दिग्भ्रमित हुआ है।चुनाव आयोग ने इस महीने की शुरुआत में राज्य में चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती और बसपा के चुनाव चिह्न हाथी की मूर्तियों को ढंकने का आदेश दिया था।कानपुर विश्वविद्यालय के स्नातक के छात्र धीरज प्रताप सिंह ने जनहित याचिका दाखिल की थी। फिलहाल इलाहाबाद में रह रहे धीरज ने कहा कि उसका कोई राजनीतिक मकसद नहीं है। धीरज ने कहा था कि चुनाव आयोग का आदेश उसकी धार्मिक आस्थाओं को आघात पहुंचाने वाला है और पूरी चुनावी अवधि में मूर्तियों को ढंकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।पीठ का मानना था कि राज्य सरकार द्वारा मूर्तियों को लगाया जाना पूरी तरह धर्मनिरपेक्ष गतिविधि है। पीठ ने कहा कि इस तरह का संकेत देने वाली कोई सामग्री नहीं है कि जनता का कोई वर्ग लखनऊ, नोएडा और गौतम बुद्ध नगर में पार्कों में मूर्तियों को धार्मिक प्रतीक के रूप में देख रहा है। हालांकि बसपा की ओर से वरिष्ठ वकील रविकांत ने दलील दी कि संभवत: कुछ राजनीतिक समूहों के कहने पर याचिका दाखिल की गई है। (भाषा)अमिताभ को याद आया बोफोर्स घोटालाराजकोट। गुजरात में इन दिनों शूटिंग कर रहे महानायक अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में उन दिनों को याद किया है जब वे पिछली बार यहां आए थे और लोगों ने बोफोर्स घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए काले झंडे दिखाकर उनका विरोध किया था।बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा- ‘राजकोट आने और यहां की गलियों से गुजरने से बीती यादें ताजा हो गईं। मैं यहां अपनी फिल्म ‘मैं आजाद हूं’ की शूटिंग के लिए सालों पहले आया था।’ उन्होंने कहा कि मुझे तब बोफोर्स मामले में झूठे आरोपों के कारण लोगों के गुस्से और विरोध का सामना करना पड़ा था । 69 साल के अभिनेता सोमवार शाम कच्छ से जूनागढ़ पहुंचे और कुछ देर के लिए राजकोट में रुके। (भाषा)