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Written By भाषा

आखिर क्या है सरोगेसी?

आखिर क्या है सरोगेसी? -
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अभिनेता आमिर खान और उनकी निर्देशक पत्नी किरण राव को सरोगेसी अर्थात किराए की कोख के जरिये संतान सुख प्राप्त हुआ है। हालांकि इस 'इडियट' अभिनेता की पूर्व पत्नी रीना दत्ता से एक बेटी और एक बेटा है। आमिर के घर आई इस खुशी से लोगों में एक जिज्ञासा भी पैदा हुई है कि आखिर क्या है सरोगेसी और इससे कैसे एक दं‍पत्ति को संतान की प्राप्ति हो सकती है?

नि:संतान लोगों के लिए एक बेहतरीन चिकित्‍सा विकल्‍प है सरोगेसी, जिसके माध्यम से कोई भी संतान की खुशी हासिल कर सकता है। इसकी जरूरत तब पड़ती है जब किसी स्त्री को या तो गर्भाशय का संक्रमण हो या फिर वह किसी अन्य कारण (जिसमें बांझपन भी शामिल है) से गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं होती है।

सरोगेसी दो प्रकार की होती है- एक ट्रेडिशनल सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी। ट्रेडिशनल सरोगेसी में पिता के शुक्राणुओं को एक अन्य महिला के अंडाणुओं के साथ निषेचित किया जाता है। इसमें जैनेटिक संबंध सिर्फ पिता से होता है, जबकि जेस्‍टेशनल सरोगेसी में माता-पिता के अंडाणु व शुक्राणुओं का मेल परखनली विधि से करवा कर भ्रूण को सरोगेट मदर की बच्‍चेदानी में प्रत्‍यारोपित कर दिया जाता है। इसमें बच्‍चे का जैनेटिक संबंध माता-पिता दोनों से होता है।

भारत में सरोगेसी : दुग्ध कैपिटल के नाम से मशहूर आणंद अब सरोगेसी का भी बड़ा केन्द्र बन चुका है। उल्लेखनीय है कि भारत में दूध के सबसे बड़े ब्रांड अमूल का ताल्लुक आणंद से ही है। यहां 150 से भी ज्यादा फर्टिलिटी सेंटर सरोगेसी सेवाएं देते हैं। अमेरिका में सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्त करने का खर्चा 50 लाख रुपए से भी ज्यादा बैठता है, जबकि भारत में यह सुविधा सभी खर्चों को मिलाकर मात्र 10 से 15 लाख में प्राप्त की जा सकती है।

एक जानकारी के मुताबिक सरोगेसी के मामले में दुनिया में सर्वाधिक भारत में ही होते हैं। यदि पूरी दुनिया में साल में 500 सरोगेसी के मामले होते हैं तो उनमें से 300 सिर्फ भारत में होते हैं। भारत में गुजरात के अलावा मुंबई एवं कुछ अन्य प्रांतों में यह सुविधाएं मिल जाती हैं। चूंकि भारत में यह सुविधा सस्ती मिल जाती है अत: विदेशी भी किराए कोख के लिए भारत की ओर रुख कर रहे हैं।

कौन बनती है सरोगेट मां : भला दूसरे बच्चे को कौन भारतीय महिला अपनी कोख में पालना चाहेगी, लेकिन गरीबी या भूख क्या नहीं करवा देती। आमतौर 18 से 35 साल तक की गरीब महिलाएं सरोगेट मां मनने के लिए तैयार हो जाती हैं। इस कार्य के लिए उन्हें तीन से चार लाख रुपए तक मिल जाते हैं तथा इस अवधि में अच्छा खान-पान और पूरी सुख-सुविधा उन्हें मिलती है

विवाद भी होते हैं : कई बार बच्चे को जन्म देने के बाद सरोगेट मां भावनात्मक लगाव के चलते बच्चे को देने से इनकार कर देती है और ऐसी स्थिति में विवाद की स्थिति निर्मित हो जाती है। ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं। दूसरी ओर कई बार ऐसा भी होता है जब जन्म लेने वाली संतान विकलांग होती है या अन्य किसी गंभीर ‍बीमारी से ग्रस्त होती है तो इच्छुक दंपति उसे लेने से इनकार कर देते हैं।

भारत में सरोगेसी पर पाबंदी लगाने वाला कोई कानून नहीं है, जबकि ब्रिटेन और कुछ दूसरे देशों में सरोगेट मदर को मां का दर्जा मिलता है। फ्रांस, नीदरलैंड्स, नॉर्वे में कमर्शियल सरोगेसी की इजाजत नहीं है। (वेबदुनिया)