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Written By भाषा

वंदे मातरम यानी वतन को सलाम-रामदेव

Jamiat-e-Ulema-e-Hind fatwa against Vande Mataram | वंदे मातरम यानी वतन को सलाम-रामदेव
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विख्यात योगाचार्य स्वामी रामदेव ने बुधवार को कहा कि वंदे मातरम किसी प्रकार की पूजा-पाठ की प्रक्रिया नहीं अपितु मातृभूमि एवं जन्मभूमि के प्रति एक देशभक्त नागरिक का अपने वतन को सलाम है। वंदे मातरम का शाब्दिक अर्थ है माँ को सलाम।

स्वामी रामदेव ने राष्ट्रीय गीत पर स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि वंदे मातरम गाकर एक नागरिक अपने वतन को अपना सर्वस्व मानकर उस पर अपनी कुर्बानी या शहादत देने का संकल्प लेता है।

इससे अपने राष्ट्रप्रेम का इजहार कर गर्व की अनुभूति करता है। उन्होंने कहा कि आजादी के संघर्ष में चाहे हिंदू हो या मुसलमान सब ने समान रूप से स्वाधीनता के नारे के रूप में वंदे मातरम् का उद्घोष किया और शहीदों के सपनों को पूरा कर माँ भारती को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त किया। इसमें कहीं भी मूर्ति पूजा जैसा कर्मकांड नहीं है।

विहिप ने कड़ी निंदा की : विश्व हिंदू परिषद ने मुस्लिमों को वंदे मातरम नहीं गाने की सलाह देने वाला प्रस्ताव पारित करने के लिए आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद की आलोचना की और कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ‘उनकी मौजूदगी में हुई राष्ट्र विरोधी घोषणा के बावजूद चुप्पी रखने के लिए’ माफी माँगें। संगठन ने उत्तर प्रदेश के देवबंद में इस्लामी मदरसे में एक सम्मेलन के दौरान पारित प्रस्ताव को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार दिया।

विहिप महासचिव प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि इस प्रस्ताव ने एक बार फिर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्र विरोधी चरित्र को उजागर कर दिया है। हिंदू संगठन के तेजतर्रार नेता ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम को इसके लिए माफी माँगनी चाहिए कि सम्मेलन में उनकी मौजूदगी में प्रस्ताव पारित किया गया।

स्वामी ने निन्दा की : जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि मुस्लिमों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पारित उस प्रस्ताव की निंदा करनी चाहिए, जिसमें समुदाय से वंदे मातरम नहीं गाने को कहा गया है।

स्वामी ने वक्तव्य में कहा कि देवबंद मदरसे में हुए समारोह में मुस्लिमों को वंदेमातरम खारिज करने के निर्देश देते फतवे की प्रकृति में आए प्रस्ताव का पारित होना संविधान का उल्लंघन है और इसके लिए भारतीय दंड संहिता के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

मुस्लिमों की मिलीजुली प्रतिक्रिया : वंदे मातरम के गायन संबंधी जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रस्ताव पर मुस्लिम नेताओं ने आज मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। मुस्लिम नेताओं के एक धड़े ने इसे ‘मृत मामला’ बताया तो दूसरे धड़े ने जोर देकर कहा कि वंदे मातरम को गाने या नहीं गाने से देशभक्ति को परिभाषित नहीं किया जा सकता।

जामा मस्जिद यूनाइटेड फोरम के याह्या बुखारी ने कहा कि यह एक मृत मामला है। मुझे समझ नहीं आता कि उन्होंने इसे क्यों उठाया। ऐसे मामले क्यों उठाए जाते हैं, जब इससे ज्यादा गंभीर मामले मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि यह गीत यदि अभिवादन के बारे में है तो इसमें कुछ गलत नहीं है। (भाषा)