सोमवार, 6 अक्टूबर 2025
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Written By ND

लव-मंत्र : अपनी गरिमा का ख्याल रखें

- मानसी

लवमंत्र
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हैलो दोस्तो! आप हमेशा आदर्श स्थिति की तलाश में रहते हैं। आपके मस्तिष्क में आदर्श स्थिति बनती है, प्रचलित नियमों व आदर्शों से। यह जानते हुए भी कि समय-समय पर आदर्श स्थिति मापने का पैमाना बदलता रहा है और तेजी से बदल रहा है। फिर भी आप वर्तमान के जो मुख्य स्थापित स्वीकृत नियम-कानून होते हैं उसे ही अपना आदर्श मानकर, जीवन में उतारना चाहते हैं।

अधिकतर लोग यह नहीं चाहते कि वह बदलाव के वाहक बनें। हां, उनके मन का विचार यदि वर्तमान का आम चलन बन गया है तो उसे अपनाने में उन्हें कोई हर्ज भी नहीं लगता। दरअसल, प्रचलित आदर्श स्थिति भी एक काल्पनिक सुख की कसौटी होती है जिस पर खरा उतरकर हर कोई संपूर्णता पाना चाहता है। पर अकसर उन्हें ढेर सारे अगर-मगर और झोल नजर आते हैं जहां कुछ भी उतना सुंदर, उतना करीने से सजा-सजाया नहीं मिलता है जिसकी कामना सभी पालकर बैठे होते हैं।

कई युवकों को युवतियों के बारे में एक धारणा होती है कि जो बेहद गंभीर व खामोश रहती हो, किसी ओर देखती नहीं हो, किसी से बात न करती हो, वह उसकी हो जाए। वह बस उसकी ओर देखे बातें करें और उसे प्यार करें। इस अवधारणा के कारण जब कोई वैसी युवती मिल जाती है तो वे उसे पाने के लिए व्याकुल हो उठते हैं। उन्हें लगता है बस यही आदर्श प्रेमिका व जीवनसाथी हो सकती है। इसमें किसी प्रकार की कोई नापसंद करने वाली कोई बात ही नहीं होगी।

वे सोचते हैं, प्रेमिका के लिए इससे उचित पात्र हो ही नहीं सकता। उस युवती की ओर से कोई सकारात्मक संकेत न मिलने पर वे अपना काम-काज छोड़कर दिन-रात इसी जुगाड़ में रहते हैं कि उसे आकर्षित करने का क्या उपाय किया जाए। कोई ऐसा मंत्र मिल जाए जिसके प्रभाव से वह तटस्थ मूर्ति में हलचल आ जाए।

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ऐसा ही एक मंत्र चाहते हैं सुशील (बदला हुआ नाम)। 20 वर्षीय सुशील की क्लास में एक लड़की है जो बेहद अंतर्मुखी और गंभीर है । वह किसी से भी संवाद बनाना पसंद नहीं करती है। उसकी उम्र की आम लड़कियों की तरह न तो युवकों में दिलचस्पी लेती है और न ही वह इस कारणवश कुंठित दिखती है। उसका पूरा ध्यान अपने करियर पर केंद्रित है।

पर वह कभी-कभार सुशील की ओर देख लेती है। पर उसकी नजर में कोई अपनापन या विशेष भाव नहीं होता है। इधर सुशील जो उस युवती को अति आदर्श कन्या मानकर दिल ही दिल पूजा करने लगे हैं, उसे प्रभावित करना चाहते हैं, अपना बनाना चाहते हैं।

सुशील जी, अव्वल तो यह प्यार नहीं केवल आकर्षण है। बिना संवाद बनाए, विचार जाने, किसी विशेष स्थिति में आपके अपेक्षित व्यवहार पर प्रतिक्रिया जाने, आपके लिए उसके मन में कितनी श्रद्धा व इज्जत है प्रेम नहीं हो सकता है। हो सकता है, आप सोच बैठे हों कि जब कभी उदास हों, परेशान हों तो उसकी आपके मनमाफिक वैसी प्रतिक्रिया होगी पर यदि वैसी प्रतिक्रिया नहीं हुई और वह बहुत आत्मकेंद्रित निकली तब भी क्या आपको वह उतनी ही प्यारी लगेगी।

आपके लिए उसे वैसी फिक्र न हो जैसी आप अपेक्षा करते हैं। उसमें केवल खुद को लेकर संवेदनशीलता हो, आपके दुख-सुख को समझने की, महसूस करने की उसमें ताकत न हो। बिना किसी से संवाद बनाए, विभिन्न हालात में साथ निभाए यह सुनिश्चित करना कठिन है।

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लंबी दोस्ती के कारण बहुत से मोड़ आते हैं जब एक-दूसरे को परखने, जानने का मौका मिलता है। उस समय ही एक-दूसरे के प्रति जो धैर्यपूर्वक जवाबदेही का निर्वाह होता है, उससे संबंध में शक्ति आती है। प्रेम के भाव प्रगाढ़ होते हैं। यहां तक कि अंतरंग दोस्ती भी तभी तक निश्छलता से कायम रहती है जब उसमें संवेदनशीलता व सहायता का पुट हो।

इसलिए केवल मन ही मन प्रेम करना वास्तविकता से थोड़ा दूर है। आप अपने करियर पर ध्यान दें। उस पर तवज्जह न दें तो शायद वह खुद ही आपसे संवाद बना ले। पर अपना भविष्य बिगाड़कर किसी के पीछे पड़े रहना किसी भी प्रकार से सराहा नहीं जा सकता है। खासकर, वह तो कतई नहीं सराहेगी जिसके लिए आप यह सब कुछ कर रहे हैं। हर मनुष्य उसी को तरजीह देता है जिसकी अपनी भी गरिमा हो।