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Written By DW

तू नहीं और सही...नहीं नहीं

तू नहीं और सही...नहीं नहीं -
जो लोग तू नहीं तो और सही, और नहीं तो और सही के चक्कर में रहते हैं, वे अक्सर अकेले रह जाते हैं। ऐसा अब वैज्ञानिक भी मान रहे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक जिन लोगों के पास प्यार में विकल्प ज्यादा होते हैं वे अकेले रह जाते हैं।

ND
ब्रिटेन की एक रिसर्च टीम का दावा है कि प्यार के मामले में ज्यादा विकल्प अच्छा नहीं है। इस टीम ने स्पीड डेटिंग के जरिए लोगों के साथी चुनने की प्रक्रिया पर रिसर्च की। स्पीड डेटिंग में महिला और पुरुष कुछ ही देर के लिए एक दूसरे से मिलते हैं। अक्सर स्पीड डेटिंग के इवेंट होते हैं, जिनमें पुरुषों और महिलाओं को एक दूसरे के साथ थोड़ा समय बिताने का मौका दिया जाता है। सभी पुरुष सभी महिलाओं के साथ चंद मिनट बिताते हैं और फिर वे अपने-अपने साथी चुनते हैं।

विकल्प खुले तो रास्ते बंद : रिसर्च टीम ने पाया कि जिन लोगों ने अपने विकल्प खुले रखे उनके पास ज्यादा विकल्प थे। लेकिन ऐसा तभी हो पाया जब ग्रुप में सभी लोगों के विकल्प खुले हों। ऐसा न होने पर डेटिंग करने वाले लोग कन्फ्यूज हो गए और वे किसी को नहीं चुन पाए।

स्कॉटलैंड में एडिनबरा यूनिवर्सिटी की रिसर्च टीम की एलिसन लेंटन कहती हैं कि मानव व्यवहार में ज्यादा विकल्प होना अच्छा माना जाता है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि जैसे-जैसे विकल्प बढ़ते जाते हैं, उलझनें भी बढ़ती जाती हैं। उनके मुताबिक, 'जब विकल्प बहुत ज्यादा होते हैं तब लोगों के किसी को भी न चुन पाने की संभावनाएँ ज्यादा होती हैं।'

ब्रिटिश जर्नल बायोलॉजी लेटर्स में छपी इस रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों ने 84 स्पीड डेटिंग इवेंट्स में जाकर 1868 महिलाओं और 1870 पुरुषों को जाँचा-परखा। पुरुषों की औसत उम्र 35.6 साल थी जबकि महिलाओं की 34.3 साल।

लेंटन बताती हैं कि ज्यादा विकल्पों को समझने के लिए बहुत ज्यादा ध्यान और याददाश्त की जरूरत होती है, लेकिन हर आदमी की क्षमता सीमित होती है। वह कहती हैं, 'हम अकसर लोगों के बारे में बहुत जल्दी राय बना लेते हैं। कई बार तो कुछ सेकेंडों में ही राय बन जाती है और जब एक बार राय बन गई तो उसे बदलना मुश्किल होता है।'

- एजेंसियाँ/वी. कुमार