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Written By भाषा

सोमरस में होता था मशरूम का रस!

सोमरस
प्राचीन भारतीय साहित्य में देवताओं का पसंदीदा पेय 'सोमरस' क्या मशरूम का रस था। एक यूरोपीय शोधकर्ता की मानें तो यही सच है।

गार्डन वास्सन ने वेदों पर शोध के बाद लिखा है कि सोमरस में सोम और कुछ नहीं, बल्कि खास मशरूम था।

सोम डिवाइन मशरूम ऑफ इमार्टेलिटी नामक पुस्तक में उन्होंने लिखा है सोम एक मशरूम था, जिसे लगभग 4000 वर्ष पहले यानी 2000 ईसा पूर्व उन लोगों द्वारा धार्मिक कर्मकांडों में प्रयोग में लाया जाता था, जो खुद को आर्य कहते थे।

वास्सन का निष्कर्ष है कि इस मशरूम में पाया जाने वाला हेलिसोजेनिक तत्व मस्तिष्क के ग्वेद में उल्लिखित परमोल्लास का कारक था।

महाराष्ट्र के अमरावती विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी विषय की शोधकर्ता अल्का करवा ने कहा कि मशरूम का सेवन स्वास्थ्य के लिए बड़ा गुणकारी है।

इसमें अद्भुत चिकित्सकीय गुण मौजूद हैं। यह एड्स, कैंसर, रक्तचाप और ह्रदयरोग जैसी गंभीर बीमारियों में काफी लाभदायी है, क्योंकि यह रोगी की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ता है।

इसी कारण से इसे अंग्रेजी में 'एम्यूनो बूस्टर' भी कहा जाता है। करवा जैसे कुछ मशरूम विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और चीन जैसे कुछ देशों में इसका सेवन अच्छे स्वास्थ्य, अच्छे सौभाग्य और अमरत्व का प्रतीक माना जाता रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों का यह विश्वास इस बात पर आधारित है कि मशरूम का सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने वाला तथा लंबी उम्र प्रदान करने वाला माना जाता रहा है।

करवा ने कहा कि मशरूम में फैटी एसिड की कमी होती है। इसके अलावा इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा लगभग पत्ता गोभी के मात्रा के बराबर होती है। इसके अतिरिक्त इसमें फाइबर पदार्थ होते हैं। यह कम कैलोरी वाला भोज्य पदार्थ है, जिसमें कोई कॉलेस्ट्रॉल नहीं होता। जो अनसेचुरेटेड फैट की मात्रा अलसी में पाई जाती है, वह मशरूम में भी उपलब्ध है।

मशरूम की ऐसे ही गुणों से भरपूर एक प्रजाति गायनोडर्मा ल्युसिडम है, जिसका उपयोग वर्षों से चीन जैसे देश में पारंपरिक दवाओं में बड़ी मात्रा में होता है। मोरचेल्ला या गुच्छी मशरूम सूखे मेवे से भी महँगा होता है। यह मशरूम भी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला और जरूरी विटामिनों एवं खनिजों से भरपूर होता है। भारत में ज्यादातर चलन आयस्टर मशरूम और बटन मशरूम का है।

करवा ने कहा कि इसमें विटामिन ए, डी, के, ई और बी काम्प्लैक्स के सारे विटामिन पाए जाते हैं। भारतीय भोजन में दो अनिवार्य एमिनो एसिड का अभाव है, जबकि मशरूम लाइसिन और ट्रायप्टोफैन जैसे दो एमिनो एसिड के मामले में काफी समृद्ध हैँ।

उन्होंने कहा कि इन सबके अलावा मशरूम में पोटाशियम, सोडियम, मैगनेशियम, कैल्शियम और कुछ लौह तत्व जैसे खनिज पदार्थ पर्याप्त मात्रा में हैँ।

इन्हीं गुणों की मौजूदगी के कारण मशरूम को गरीबों का माँस भी कहा जाता है। करवा ने कहा कि मशरूम मूलतः फंगस (कवक) है तथा प्लांट किंगडम, एनिमल किंगडम और फंगस में से यह यह फंगस समूह में गिना जाता है।

उन्होंने इस गलतफहमी को दूर करने की कोशिश की कि फंगस सिर्फ नुकसानदेह ही होते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ फंगस खाने योग्य भी होते हैं जैसे कि पावरोटी जिसमें खमीर ईस्ट की वजह से उठता है। इसी प्रकार तमाम दवाओं में उपयोग में आने वाले पेनीसीलीन इंजेक्शन को पेनीसीलीन फंगस से बनाया जाता है।