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Written By वार्ता
Last Modified: बीजिंग , गुरुवार, 6 मई 2010 (14:51 IST)

चीन ने अमेरिका की दलील खारिज की

चीन ने अमेरिका की दलील खारिज की -
चीन ने अपनी मुद्रा युआन को अमेरिकी डॉलर की तुलना में महँगा होने देने की अमेरिका की माँग को ठुकरा दिया साथ ही कहा कि उसे अमेरिकी सरकार की 770 अरब डॉलर की हुंडियों में लगे अपने धन की सुरक्षित वापसी को लेकर चिंता हो रही है। चीन के इस बयान को संवेदनशील माना जा रहा है और इसके चलते विश्व भर में विदेशी विनिमय बाजार में भारी उठा पटक हो सकती है।

चीनी प्रधानमंत्री वेन चियापावो ने कहा कि किसी देश की विनिमय दर नीति और विनिमय दर उस देश की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और आर्थिक स्थिति पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि युआन की विनिमय दर दबा कर रखी गई है। चीन के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनका देश अपनी मुद्रा को स्थिर रखने के लिए और भी कदम उठाएगा।

चीन सरकार के पास जमा अमेरिकी सरकार की 770 अरब डॉलर की हुंडियों में निवेश की सुरक्षा और सुनिश्चितता के बारे में ियाबावो ने दो साल में दूसरी बार चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि डॉलर की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव चीन के लिए बड़ी चिंता का विषय है।

पिछले साल इसी तरह के एक बयान से विश्व में विदेशी मुद्राओं के कारोबार में भारी हलचल पैदा हो गई थी और डॉलर दबाव में आ गया था।

चीन के प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘टिकऊ’ युआन से दुनिया को हाल के भीषण वित्तीय संकट से उबरने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि जुलाई 08 से फरवरी 09 के बीच वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान चीन की मुद्रा की वास्तविक प्रभावई विनिमय दर ‘ईईआर’ 14.5 प्रतिशत चढ़ गई थी।

अमेरिकी हुंडियों को लेकर अपने देश की चिंता के विषय में चीन के प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिकी सरकार को चाहिए कि वह निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए और ठोस उपाय करने चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्तीय परिसंम्पत्तियों का प्रबंध करते समय एक भी भूल बड़ी महँगी पड़ सकती है।

उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चीन से अपनी मुद्रा की विनिमय दर को बाजार पर छोड़ने की फिर से अपील की थी और कहा था कि इससे विश्व अर्थव्यवस्था में संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।

अमेरिका सहित बहुत से देशों का मानना है कि चीन अपनी मुद्रा युआन को ॉलर ा विश्व की अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में मजबूत नहीं होने देता है और उसकी विनिमय दर को जान बूझ कर नीचे दबाए रखता है। इससे विदेशी बाजारों में उसका सामान सस्ता हो दिखता है और ज्यादा बिकता है जबकि चीन के बाजार में विदेशी माल महँगा हो जाता है। (भाषा)