उमास्वाति रचित 'तत्त्वार्थसूत्र' या मोक्षशास्त्र सभी सम्प्रदायों में मान्य जैन धर्म का प्रसिद्ध सिद्धांत ग्रंथ है। इसमें जैन दर्शन, आचार और सिद्धांतों का सांगोपांग परिचय सूत्ररूप में आ गया है।
तत्त्वार्थसूत्र दस अध्यायों में बँटा है। पहले अध्याय में ज्ञान की मीमांसा है, दूसरे से पाँचवें अध्याय तक ज्ञेय की मीमांसा है तथा छठे से दसवें अध्याय तक चारित्र की।
मनुष्य जीवन का अंतिम उद्देश्य है मोक्ष प्राप्त करना। यह मोक्ष किस प्रकार मिले, उसे पाने के कौन-कौन से उपाय हैं, इसी का इस ग्रंथ में सूत्ररूप में वर्णन है।
धर्म क्या है? मोक्ष के साधन पंच महाव्रत अहिंसाव्रत के अतिचार सत्य व्रत के अतिचार अस्तेयव्रत के अतिचार अपरिग्रहव्रत के अतिचार दान-धर्म के चार अंग।