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चैत्य-वंदन की शुरुआत
सबसे पहले तीन बार 'खमासमण सूत्र' बोलकर विधिपूर्वक तीन खमासमण दें। फिर खड़े होकर या बैठे-बैठे हाथ जोड़कर थोड़े झुकते हुए प्रश्नार्थ अंदाज में बोलें- 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन् चैत्यवंदन करूँ इच्छं।' यह कहकर दाहिना घुटना मोड़कर एड़ी पर बैठते हुए बाएँ घुटने को ऊपर रखें एवं हाथ जोड़कर सर पर अंजलि रचाकर निम्न सूत्र कहें- चैत्य-वंदन का सूत्र सकलकुशलवल्ली पुष्करावर्त-मेघो । दुरित तिमिर भानुः कल्पवृक्षोपमानः ॥ भवजलनिधिपोतः सर्वसंपत्ति-हेतुः । स भवतु सततं वः श्रेयसे शांतिनाथः ॥ श्रेयसे पार्श्वनाथः ॥ उपर्युक्त सूत्र बोलकर निम्न 'चैत्यवंदन' कहें। अन्य 'चैत्यवंदन' आता हो, तो वह भी कह सकते हैं। एक चैत्यवंदन कहना चाहिए। जय चिंतामणी पार्श्वनाथ! जय त्रिभुवन स्वामी । अष्ट कर्मरिपु जीती ने पंचमी गति पामी ॥ प्रभु नामे आनंद-कंद सुख संपत्ति लहिए । प्रभु नामे भवभय तणा पातक सब दहिए ॥ ॐ ह्रीं वर्ण जोड़ी करी जपिये पारस नाम । विष अमृत थई परिणमे, लहिए अविचल ठाम ॥ अब सिर झुकाकर निम्न तीन सूत्र एक साथ बोलें- जंकिंचि सूत्र जंकिंचि नाम तित्थं सग्गे पायालि माणुसे लोए । जाइं जिणबिंबाइं ताई सव्वाइं वंदामि ॥ नमोत्थुणं सूत्र नमोत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं ॥1॥ आइगराणं तित्थयराणं सयं-संबुद्भाणं ॥2॥ पुरिसुत्तमाणं पुरिस-सीहाणं पुरिस-वर पुंडरीआणं पुरिस-वर गंधहत्थीणं ॥3॥ लोगुत्तमाणं लोह-नाहाणं लोग-हिआणं लोग-पइवाणं लोग पज्जोअगराणं ॥4॥ अभय-दयाण चक्खु-दयाणं मग्ग-दयाणं सरण-दयाणं बोहि-दयाणं ॥5॥ धम्म-दयाणं धम्म-देसयाणं धम्म-नायगाणं धम्म-सारहीण धम्म-वर चाऊरंत चक्कवट्टीणं ॥6॥ अप्पडिहय वर-नाण दंसणधराणं वियट्ट-छउमाणं ॥7॥ जिणाणं जाबयाणं तिन्नाणं तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोअगाणं ॥8॥
सव्वन्नूणं सव्व-दरिसीणं सिवमयलमरुअमणंतमक्खय- मव्वाबाहमपुणरावित्ति सिद्धिगइ-नामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमो जिणाणं जिअ-भयाणं ॥9॥ जे अ अईआ सिद्धा जे अ भविस्संति णागए काले संपइ वट्टमाणा ॥10॥ सव्वे तिविहेण वंदामि ॥ यहाँ पर 'मुक्ताशुक्ति मुद्रा'- दो हथेलियों को कुछ मोड़कर हाथ जोड़ें एवं सिर पर अंजलि रचाकर निम्न सूत्र बोलें- '
जावंति चेइयाइं' सूत्र जावंति चेइयाइं उड्ढे अ अहे अ तिरिअलोए अ । सव्वाइं ताइं वंदे, इह संतो तत्थ संताइं ॥ यहाँ पर बैठे-बैठे ही (चैत्यवंदन मुद्रा में ही) सिर झुकाकर खमासमण सूत्र बोलकर खमासमण दें। फिर निम्न दो सूत्र बोलें- '
जावंत केवि' सूत्र जावंत केवि साहू भरहेरवय-महाविदेहे अ । सव्वेसिं तेंसि पणओ, तिविहेण तिदंड-विरयणं ॥ (
वापस चैत्य वंदन मुद्रा में हाथ जोड़ें) '
नमोऽर्हत्' सूत्र नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यः ।