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Written By भाषा

भारत में व्यापक स्तर पर फैला है भ्रष्टाचार

भारत में व्यापक स्तर पर फैला है भ्रष्टाचार -
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वॉशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में न्यायपालिका समेत सरकार के हर स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार है।

अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी द्वारा गुरुवार को जारी इस वार्षिक रिपोर्ट (कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज) में कहा गया कि भ्रष्टाचार व्यापक स्तर पर है।

इस रिपोर्ट के अनुसार हालांकि आधिकारिक स्तर पर भ्रष्टाचार होने पर कानून आपराधिक दंड देता है लेकिन भारत सरकार ने कानून को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया और अधिकारी छूट का फायदा उठाकर भ्रष्ट कामों में लिप्त हो जाते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार के हर स्तर पर भ्रष्टाचार मौजूद है। सीबीआई ने जनवरी से नवंबर माह के बीच में भ्रष्टाचार के 583 मामले दर्ज किए हैं। इसमें कहा गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग को वर्ष 2012 में 7,224 मामले मिले। 5,528 मामले वर्ष 2012 के थे और बाकी 1,696 मामले 2011 से बचे थे। आयोग ने 5,720 मामलों पर कार्रवाई की सिफारिश की थी।

रिपोर्ट में कहा गया कि सीवीसी ने शिकायतें दर्ज कराने के लिए टोल फ्री हॉटलाइन और सूचनाएं साझा करने के लिए एक वेब पोर्टल शुरू किया। गैरसरकारी संगठनों ने पाया कि घूस आमतौर पर जल्दी काम करवाने के लिए दी गई। इनमें पुलिस सुरक्षा, स्कूल में दाखिला, पानी की आपूर्ति या सरकारी मदद जैसे काम प्रमुख थे।

इसमें कहा गया कि समाज के संगठनों ने पूरे साल सार्वजनिक प्रदर्शनों और भ्रष्टाचार के व्यक्तिपरक खुलासे करने वाली वेबसाइटों के जरिए जनता का ध्यान भ्रष्टाचार की ओर खींचा।

रिपोर्ट के अनुसार संसद ने दिसंबर में एक विधेयक पारित करके 'लोकपाल' नामक एक निगरानी संगठन की स्थापना की, जो कि सरकार में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि गरीबी हटाने और रोजगार दिलाने के कई सरकारी कार्यक्रम खराब क्रियान्वयन और भ्रष्टाचार के कारण प्रभावित हुए।

उदारहरण के लिए आरटीआई कानून के तहत सरकारी दस्तावेज हासिल करने के बाद एक याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र आदिवासी विकास विभाग के फंड में अनियमितता के आरोप लगाए।

13 जून को बंबई उच्च न्यायालय ने इसकी जांच के लिए एक विशेष दल के गठन के आदेश जारी किए। इस मामले में आदिवासियों के कल्याण की राशि अन्य कामों में खर्च किए जाने का आरोप था।

तिरुवन्नामलाई के नगर पार्षद केवीएन वेंकटेश समेत कई संदिग्धों के खिलाफ मामले की सुनवाई का इंतजार साल के अंत तक खत्म नहीं हुआ। जुलाई 2012 में सामाजिक कार्यकर्ता राजमोहन चंद्रा की हत्या इसी मामले से जुड़ी है। राजमोहन ने भ्रष्टाचार करने और जमीन हड़पने के संदिग्ध सरकारी अधिकारियों, नेताओं और रीयल एस्टेट एजेंटों के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी।

बीते दिसंबर में वर्ष 2012 के आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में राज्य मुख्यमंत्रियों और अन्य अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच करने वाले आयोग ने अपनी रिपोर्ट महाराष्ट्र विधानसभा को सौंपी थी लेकिन महाराष्ट्र राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया। इस घोटाले में सैनिकों व उनकी विधवाओं के लिए आरक्षित अपार्टमेंट गलत तरीके से दूसरों को आवंटित कर दिए गए थे।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2008 में 2जी मोबाइल टेलीफोन स्पेक्ट्रम की बिक्री में धांधली के लिए रिश्वत लेने के आरोपी पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और राज्यसभा सदस्य एमके कनिमोझी के खिलाफ सुनवाई साल के अंत तक नहीं पूरी हो पाई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 अगस्त को न्यायमूर्ति आरए मेहता ने उच्चतम न्यायालय द्वारा उनकी नियुक्ति बरकरार रखने के बावजूद गुजरात का लोकायुक्त बनने से इंकार कर दिया। उन्होंने यह टिप्पणी भी की थी कि राज्य सरकार उनकी जांचों में मदद नहीं करेगी।

गुजरात सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति में राज्यपाल और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की प्रमुखता को कम करने के लिए अप्रैल में गुजरात लोकायुक्त कानून में संशोधन की मांग की थी। इसमें उसने मांग की थी कि नियुक्ति की शक्तियां सिर्फ मुख्यमंत्री के फैसले में निहित हों। राज्यपाल ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर से इंकार कर दिया था।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कानून एक स्वतंत्र न्यायपालिका की बात करता है और सरकार सामान्यत: न्यायिक स्वतंत्रता का सम्मान करती है, हालांकि ‘न्यायिक भ्रष्टाचार’ व्यापक स्तर पर मौजूद है।

रिपोर्ट में कहा गया कि न्यायिक व्यवस्था पर काम का बहुत गंभीर बोझ है और इसमें मामले निपटाने की आधुनिक व्यवस्था का अभाव है। इस वजह से न्याय मिलने में या तो देरी होती है या फिर न्याय मिल ही नहीं पाता। अगस्त में कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय में 3 और उच्च न्यायालयों में 275 रिक्तियां हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि अधीनस्थ न्यायपालिकाओं में भी रिक्तियों की संख्या बहुत ज्यादा है। राज्यों में 3,700 से ज्यादा पद भरे जाने हैं। कानून मंत्री ने मामलों के निपटारे में हो रहे विलंब का कारण अदालतों में खाली पदों को बताया है। (भाषा)