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Written By भाषा
Last Modified: लंदन (भाषा) , गुरुवार, 1 अक्टूबर 2009 (14:18 IST)

बोफोर्स मामला, सीबीआई 3 को देगी आवेदन

Quatrochi CBI Boforce Gun Case | बोफोर्स मामला, सीबीआई 3 को देगी आवेदन
केन्द्रीय जाँच ब्यूरो बोफोर्स तौप सौदे में इतालवी व्यवसायी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ दायर मामलों को वापस लेने के लिए तीन अक्टूबर को दिल्ली में मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष औपचारिक रूप से एक आवेदन दाखिल करने जा रहा हैइसके साथ ही क्वात्रोच्चि के खिलाफ दो दशक पुराने मामले को दफनाने की कानूनी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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केन्द्रीय मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने यहाँ साक्षात्कार में बताया कि सरकार ने मामलों को वापलेने का फैसला किया है तथा सीबीआई की ओर से सरकारी वकील तीन अक्टूबर को मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन दाखिल करेंगे।

विधि मंत्री ने कहा कि ऐसे मामले को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है, जिसने इतने लोगों की जिंदगी को नुकसान पहुँचाया। क्या आप चाहते हैं कि इसका भूत अभी भी पीछा करता रहे।

उन्होंने कहा हम केवल सरकार की झूठी प्रतिष्ठा या केवल विपक्ष के दबाव के चलते इस मामले को आगे नहीं बढ़ा सकते, जो इस मुद्दे को जिंदा रखना चाहता है। इस मुद्दे पर सरकार की आलोचना करने के लिए भाजपा पर पलटवार करते हुए मोइली ने कहा कि भगवा पार्टी आठ साल तक सत्ता में रही, लेकिन इस मामले में कोई प्रगति नहीं करवा सकी।

दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा 31 मई 2005 को अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपों को खारिज किए जाने के बाद 69 वर्षीय क्वात्रोच्चि मामलों में एकमात्र आरोपी हैं। वे भारतीय अदालतों के समक्ष हाजिर नहीं हुए हैं।

सरकार ने उच्चतम न्यायालय में कहा था कि स्वीडिश होवाइत्जर तोप सौदे में 64 करोड़ रुपए का भुगतान बतौर कमीशन किए जाने संबंधी मामले में आरोपी क्वात्रोच्चि को प्रत्यार्पित कराने के सभी प्रयास विफल साबित हुए हैं।

सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के मद्देनजर भी इस मामले को बंद करने का फैसलकिया है, जिसने कहा था कि बोफोर्स तोप सौदे में भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं बनता।

ब्रिटिश सरकार के निमंत्रण पर यहाँ आए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि चूँकि एक जनहित याचिकउच्चतम न्यायालय में लंबित है, सॉलिसीटर जनरल का विचार है कि यह उचित रहेगा कि उच्चतम न्यायालय के संज्ञान में यह बात लाई जाए।

खुद एक प्रख्यात वकील मोइली ने इस बात को रेखांकित किया कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जेडी कपूर ने चार फरवरी 2004 को बोफोर्स मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम औपैनल कोड के तहत रिश्वतखोरी के सभी आरोपों को खारिज कर दिया था।

न्यायाधीश ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और उस समय रक्षा सचिव रहे एसके भटनागर को मामले से बरी कर दिया था।

न्यायाधीश कपूर ने कहा था कि आरोप ‘विशुद्ध रूप से अनुमान, परिकल्पना और अटकलबाजी के आधार पर लगाए गए और सीबीआई ने इन तथ्यों पर भी गौर नहीं किया कि केवल ऐसअटकलबाजी के आधार पर आपराधिक सुनवाई आगे नहीं बढ़ सकती, जिसमें कोई महत्व की बात या सबूत नहीं हो।

भारतीय मंत्री ने कहा कि मामले को यदि आगे बढ़ाने के लिए कहीं कोई सबूत होता तो हम मामलको आगे बढ़ाने में हिचकते नहीं।

उन्होंने कहा जब भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में कोई मामला नहीं है तो इसमें आपराधिक संलिप्तता का सवाल कहाँ रह जाता है। गौरतलब है कि केन्द्र में कांग्रेस सरकारें इस मामले में विपक्ष की आलोचनाओं का शिकार होती रही हैं।

विपक्ष कांग्रेसी सरकारों पर क्वात्रोच्चि के खिलाफ धीमी गति से आगे बढ़ने का आरोप लगाता रहा है, जिसे वह ‘दामाद’ करार देता है।

मोइली ने कहा यह मामला अर्जेन्टीना की अदालत और फिर मलेशियाई अदालत में उठाया गया। हर जगह सीबीआई विफल रही। अर्जेन्टीना की अदालत ने इतने सालों के बाद मामले को आगे बढ़ाने के लिए सरकार पर भारी शुल्क लगाया, क्योंकि मामला 1986 से लंबित था।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि बोफोर्स तोप सौदे के लिए अंतिम भुगतान 1990 में किया गया, जब वीपीसिंह की सरकार थी। उन्होंने सवाल किया यदि उन्हें कोई शक था तो उन्होंने अंतिम भुगतान क्यों किया।

मोइली नकहा कि इस मामले के अधिकांश समय में विपक्षी पार्टियाँ सत्ता में रहीं। यदि वे धन को वापस लाना चाहते थे तो उन्हें दीवानी मामला दायर करना चाहिए था, लेकिन यह समय सीमा में बंधा था और इसे तीन साल के भीतर किया जाना चाहिए था।